तब याद तुम्हारी आती है: NBSE Class 9 Alternative Hindi (हिन्दी)

तब याद तुम्हारी आती है
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Get notes, summary, questions and answers, MCQs, extras, and PDFs of Chapter 6 “तब याद तुम्हारी आती है (Tab Yaad Tumhari Aati Hai)” which is part of Nagaland Board (NBSE) Class 9 Hindi answers. However, the notes should only be treated as references and changes should be made according to the needs of the students.

सारांश (Summary)

“तब याद तुम्हारी आती है” (Tab Yaad Tumhari Aati Hai) कविता के लेखक रामनरेश त्रिपाठी (Ramnaresh Tripathi) ने इस रचना के माध्यम से प्रकृति के सौंदर्य और उसके माध्यम से ईश्वर की याद को बहुत सरल और सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया है।

कविता की शुरुआत में, कवि सुबह का वर्णन करता है, जब चिड़ियाँ खुशी के गीत गाती हैं और कलियाँ झुरमुट से मुस्कराती हैं। ऐसे में, कवि को ईश्वर की याद आती है, जो इस सुंदर सृष्टि के सिरजनहार हैं। कवि कहता है कि जब ठंडी हवा बहती है और प्रकृति हरियाली से भर जाती है, तब भी वह ईश्वर को स्मरण करता है। इस भाव के माध्यम से, कवि ईश्वर को समस्त प्रकृति में उपस्थित बताते हैं।

आगे, रात के दृश्य का वर्णन है, जब चुपचाप चमकते तारे और चाँद की रोशनी से दिशाएँ धुल जाती हैं। ओस की बूंदें घास पर मोतियों की तरह चमकती हैं, और इस दृश्य में भी कवि को ईश्वर की याद आती है।

फिर कवि झरनों और नदियों का जिक्र करता है, जो मस्ती में बहती हैं और सागर से जाकर बातें करती हैं। जब चाँदनी समुद्र पर उतरती है और उसमें ज्वार उठाती है, तब भी कवि ईश्वर को स्मरण करता है।

इस कविता में प्रकृति के हर छोटे-बड़े दृश्य के माध्यम से ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव किया गया है।

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पंक्ति दर पंक्ति (Line by line) स्पष्टीकरण

जब बहुत सुबह चिड़ियाँ उठकर
कुछ गीत खुशी के गाती हैं।

बहुत सुबह, जब चिड़ियाँ जागती हैं, वे खुशी के गीत गाती हैं। यह एक शांत और आनंदित वातावरण का चित्रण है, जहाँ प्रकृति के जीव भी प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।

कलियाँ दरवाजे खोल-खोल
जब झुरमुट से मुसकाती हैं।

फूलों की कलियाँ अपने पत्तों को धीरे-धीरे खोलकर झाड़ियों के बीच से मुस्कुराती हैं। यहाँ ‘मुसकाना’ का अर्थ है कलियों का खिलना और प्रकृति का जीवन से भर जाना।

खुशबू की लहरें जब घर से
बाहर आ दौड़ लगाती हैं।

जब घर के अंदर से आने वाली फूलों की खुशबू बाहर हवा में फैलती है, मानो वह तेजी से दौड़ रही हो। इस पंक्ति में खुशबू की गति और उसका प्रसार व्यक्त किया गया है।

हे जग के सिरजनहार प्रभो !
तब याद तुम्हारी आती है !!

हे जगत के निर्माता, उस समय मुझे आपकी याद आती है। इस पंक्ति में कवि कहता है कि जब यह सुंदर प्राकृतिक दृश्य बनते हैं, तब ईश्वर की याद आती है।

जब छम-छम बूँदें गिरती हैं
बिजली चम चम कर जाती है।

जब बारिश की बूंदें छम-छम करती हुई गिरती हैं और आसमान में बिजली चमकती है। ‘छम-छम’ और ‘चम चम’ शब्दों से बारिश और बिजली की ध्वनि का सुंदर चित्रण किया गया है।

मैदानों में वन-बागों में
जब हरियाली लहराती है।

मैदानों, जंगलों और बगीचों में जब हरियाली फैलती है और जीवन का संकेत देती है। ‘लहराती है’ का अर्थ है कि हरियाली चारों ओर फैलकर वातावरण को हरा-भरा कर देती है।

जब ठण्डी-ठण्डी हवा कहीं से
मस्ती ढोकर लाती है।

जब कहीं से ठंडी हवा चलकर आती है और मस्ती का अनुभव कराती है। ‘मस्ती ढोकर लाती है’ का अर्थ है कि हवा वातावरण में ताजगी और आनंद भर देती है।

हे जग के सिरजनहार प्रभो !
तब याद तुम्हारी आती है !!

हे सृष्टि के निर्माता, तब मुझे आपकी याद आती है। यहाँ फिर से कवि ईश्वर को उस समय याद करता है जब वह प्रकृति के सौंदर्य से अभिभूत होता है।

चुपचाप चमकते तारों की
महफिल जब रात सजाती है।

जब रात को तारों की चमक से एक शांत सभा सजती है। यह दृश्य रात के सुंदर और शांत माहौल का है, जब आसमान में तारे चमकते हैं।

जब चाँद शान से उगता है
औ दिशा-दिशा धुल जाती है।

जब चाँद पूरी शान से उगता है और उसकी चाँदनी से चारों दिशाएँ साफ और चमकदार हो जाती हैं। ‘धुल जाती है’ का मतलब है कि चाँदनी के कारण सब कुछ उज्ज्वल और स्पष्ट दिखाई देने लगता है।

जब ओस रूप में हरी घास
चमकीले मोती पाती है।

जब सुबह ओस की बूंदें हरी घास पर पड़कर मोती की तरह चमकने लगती हैं। यहाँ ओस को मोती की तरह चमकदार बताया गया है।

हे जग के सिरजनहार प्रभो !
तब याद तुम्हारी आती है ।।

हे सृष्टि के रचयिता, तब मुझे आपकी याद आती है। यह फिर से प्रकृति के माध्यम से ईश्वर को स्मरण करने का भाव प्रकट करता है।

झरनें जब झर-झर झरते हैं
नदियाँ मस्ती में बहती हैं।

जब झरने झर-झर की आवाज के साथ गिरते हैं और नदियाँ आनंद में बहती हैं। ‘झर-झर’ शब्द से झरने की ध्वनि का चित्रण किया गया है।

जब देश देश की बातें वे
सागर से जाकर कहती हैं।

जब नदियाँ समुद्र तक पहुँचकर, मानो विभिन्न देशों की बातें उसे बताती हैं। यहाँ कवि ने नदियों की धारा को देशों के बीच संवाद के रूप में प्रस्तुत किया है।

जब उतर चाँदनी ऊपर से
सागर में ज्वार उठाती है।

जब ऊपर से चाँदनी उतरती है और समुद्र में ज्वार उत्पन्न करती है। यहाँ चाँदनी के कारण समुद्र में उठने वाले ज्वार का वर्णन किया गया है।

हे जग के सिरजनहार प्रभो !
तब याद तुम्हारी आती है !!

हे जगत के रचयिता, उस समय मुझे आपकी याद आती है। यह अंतिम पंक्ति भी कवि के प्रकृति के अनुभव से ईश्वर के प्रति भावना को व्यक्त करती है।

पाठ्य प्रश्न और उत्तर (textual questions and answers)

1. सुबह चिड़ियाँ उठकर क्या करती हैं ?

उत्तर: सुबह चिड़ियाँ उठकर कुछ गीत खुशी के गाती हैं।

2. चाँद-तारे रात को किस प्रकार सुन्दर बनाते हैं ?

उत्तर: चुपचाप चमकते तारों की महफिल रात को सजाती है और चाँद शान से उगता है।

3. चाँदनी सागर को क्या करती है ?

उत्तर: चाँदनी सागर में ज्वार उठाती है।

4. कवि ईश्वर को क्यों याद करता है ?

उत्तर: कवि ईश्वर को तब याद करता है जब चिड़ियाँ सुबह गीत गाती हैं, कलियाँ मुसकाती हैं, खुशबू की लहरें दौड़ लगाती हैं, ठण्डी हवा मस्ती ढोकर लाती है, बिजली चमकती है, हरियाली लहराती है, और रात को तारे चमकते हैं।

अतिरिक्त (extras)

प्रश्न और उत्तर (questions and answers)

1. सुबह चिड़ियाँ उठकर क्या करती हैं?

उत्तर: चिड़ियाँ उठकर कुछ गीत खुशी के गाती हैं।

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13. कवि ईश्वर को कब याद करता है?

उत्तर: कवि ईश्वर को तब याद करता है, जब प्रकृति के सुन्दर दृश्य होते हैं, जैसे चिड़ियाँ गाती हैं, बिजली चमकती है, हरियाली लहराती है, ठण्डी हवा चलती है, और तारों की महफिल सजती है।

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

1. सुबह चिड़ियाँ उठकर क्या करती हैं?

(क) गीत गाती हैं
(ख) उड़ जाती हैं
(ग) सोती हैं
(घ) झरने में नहाती हैं

उत्तर: (क) गीत गाती हैं

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10. प्रभु को किस रूप में संबोधित किया गया है?

(क) सृष्टिकर्ता
(ख) मित्र
(ग) सूर्य
(घ) चाँद

उत्तर: (क) सृष्टिकर्ता

Ron'e Dutta
Ron'e Dutta
Ron'e Dutta is a journalist, teacher, aspiring novelist, and blogger who manages Online Free Notes. An avid reader of Victorian literature, his favourite book is Wuthering Heights by Emily Brontë. He dreams of travelling the world. You can connect with him on social media. He does personal writing on ronism.

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