कर्मवीर: NBSE Class 10 Alternative Hindi (हिन्दी)

कर्मवीर (Karmaveer)
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Get notes, summary, questions and answers, MCQs, extras, and PDFs of Chapter 3 “कर्मवीर (Karmaveer)” which is part of Nagaland Board (NBSE) Class 10 Alternative Hindi answers. However, the notes should only be treated as references and changes should be made according to the needs of the students.

सारांश (Summary)

कर्मवीर (Karmaveer) नामक कविता में कवि हरिऔध जी (Harioudh Ji) ने उन लोगों की विशेषताओं का वर्णन किया है जो कर्म के प्रति समर्पित रहते हैं और जीवन में कभी भी चुनौतियों से नहीं घबराते। यह कविता उन व्यक्तियों की स्तुति करती है जो किसी भी कठिनाई या बाधा का सामना करते समय साहस और धैर्य का परिचय देते हैं।

कविता में बताया गया है कि सच्चा कर्मवीर वह व्यक्ति होता है, जो चाहे कितनी भी बाधाएँ क्यों न आएँ, हार नहीं मानता। वह भाग्य पर भरोसा नहीं करता, न ही अपने दुखों के लिए भाग्य को दोष देता है। चाहे काम कितना भी कठिन हो, वह उकताता नहीं, बल्कि निरंतर प्रयास करता रहता है। इस प्रकार के व्यक्ति ही समाज और देश की भलाई के लिए कार्य कर सकते हैं।

कवि ने कर्मवीरों के साहस को अत्यधिक ऊंचे पहाड़ों, घने जंगलों, गरजती लहरों और आग की लपटों से तुलना की है। इन भयानक और कठिनाइयों से भरे प्रतीकों के बावजूद, कर्मवीर कभी घबराता नहीं है। उसकी इच्छाशक्ति इतनी मजबूत होती है कि वह इन सभी बाधाओं को पार कर जाता है। इस संदर्भ में पहाड़ और जंगल जैसी प्राकृतिक बाधाओं को कठिन परिस्थितियों का प्रतीक माना गया है, जबकि कर्मवीर इन परिस्थितियों में भी अपना रास्ता बनाता है।

कविता आगे बताती है कि कर्मवीर व्यक्ति को कोई भी असंभव कार्य असंभव नहीं लगता। वह चिलचिलाती धूप को भी चाँदनी बना सकता है और कठिन परिस्थितियों में भी सफलता प्राप्त कर सकता है। उसके पास इतनी शक्ति होती है कि वह लोहे का चना भी चबा सकता है, अर्थात सबसे कठिन कार्यों को भी आसानी से पूरा कर सकता है।

कर्मवीर व्यक्ति कभी थकता नहीं, वह जितना भी कठिन रास्ता तय करे, हमेशा आगे बढ़ता रहता है। वह किसी भी समस्या को सुलझा सकता है, चाहे वह कितनी भी उलझी हुई क्यों न हो। उसकी इच्छाशक्ति और निरंतर प्रयास उसे हीरे जैसा बनाते हैं, जो काँच जैसी साधारण चीज़ों को भी मूल्यवान बना सकता है।

कवि हरिऔध जी ने कर्मवीरों की इस अद्भुत शक्ति को इस प्रकार चित्रित किया है कि वे पहाड़ों को काटकर सड़कें बना सकते हैं, रेगिस्तान में नदियाँ बहा सकते हैं, और जंगलों में मंगलमय जीवन की रचना कर सकते हैं।

कविता के अंत में कवि यह संदेश देते हैं कि समाज और देश की उन्नति तभी संभव है, जब ऐसे कर्मवीर लोग जन्म लेंगे और अपने प्रयासों से समाज और मानव जाति की भलाई करेंगे।

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पंक्ति दर पंक्ति (Line by line) स्पष्टीकरण

देखकर बाधा विविध बहु विघ्न घबराते नहीं।
कर्मवीर व्यक्ति अनेक प्रकार की कठिनाइयों और बाधाओं को देखकर घबराते नहीं हैं। वे मुसीबतों का सामना साहस के साथ करते हैं।

रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं।
कर्मवीर लोग भाग्य के भरोसे नहीं रहते। वे जब कष्ट सहते हैं, तो बाद में पछताते नहीं, क्योंकि वे जानते हैं कि कठिनाइयाँ उनका हिस्सा हैं।

काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नहीं।
चाहे काम कितना भी मुश्किल हो, कर्मवीर लोग कभी थकते या ऊबते नहीं हैं। वे पूरे उत्साह और धैर्य से काम को पूरा करते हैं।

भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं।
भीड़ में भी कर्मवीर व्यक्ति चंचल और विचलित नहीं होते हैं। वे अपनी वीरता को दिखावा करने के बजाय शांति से अपना कार्य करते हैं।

हो गये इक आन में उनके बुरे दिन भी भले।
कर्मवीर लोगों के कठिन दिन भी एक पल में अच्छे दिन बन जाते हैं, क्योंकि वे लगातार परिश्रम करते रहते हैं और हार नहीं मानते।

सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले-फले।। 1।।
हर जगह, हर समय, वही कर्मवीर व्यक्ति फलते-फूलते हैं जो कठिनाइयों का सामना करके अपना कार्य करते हैं। उनका परिश्रम ही उनकी सफलता का कारण होता है।

व्योम को छूते हुए दुर्गम पहाड़ों के शिखर।
कर्मवीर व्यक्ति आकाश को छूते हुए दुर्गम पहाड़ों के शिखरों को भी पार कर सकते हैं। यहाँ ‘दुर्गम’ का अर्थ है कठिनाई से पार किया जाने वाला।

वे घने जंगल जहाँ रहता है तम आठों पहर।।
वे व्यक्ति उन घने जंगलों में भी साहस से गुजरते हैं, जहाँ दिन-रात अंधकार छाया रहता है। ‘तम’ का अर्थ है अंधकार, जो पूरी तरह छाया रहता है।

गरजती जल- राशि की उठती हुई उँची लहर।
समुद्र की गर्जन करती हुई ऊँची-ऊँची लहरें भी कर्मवीर व्यक्ति को डरा नहीं सकतीं। ये लहरें भी उनके साहस को कमजोर नहीं कर पातीं।

आग की भयदायिनी फैली दिशाओं में लवर।।
चारों दिशाओं में फैली आग की भयावह लपटें भी कर्मवीर के हृदय को नहीं कँपा सकतीं। ‘भयदायिनी लवर’ से तात्पर्य है डराने वाली आग की लपटें।

ये कँपा सकती कभी जिसके कलेजे को नहीं।
ऐसी कठिनाइयाँ और भयंकर स्थितियाँ उस व्यक्ति को कभी डरा नहीं सकतीं, जिसके पास साहस का कलेजा हो।

भूलकर भी वह नहीं नाकाम रहता है कहीं।। 2।।
ऐसा व्यक्ति कभी भी असफल नहीं होता, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी विपरीत हों। वह हमेशा अपने कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करता है।

चिलचिलाती धूप को जो चाँदनी देवें बना।
कर्मवीर व्यक्ति इतनी क्षमता रखते हैं कि वे चिलचिलाती धूप को भी शीतल चाँदनी में बदल सकते हैं। यहाँ ‘धूप’ कठिनाइयों का प्रतीक है और ‘चाँदनी’ सफलता की।

काम पड़ने पर करें जो शेर का भी सामना।।
जब आवश्यकता हो, तो कर्मवीर व्यक्ति शेर जैसी खतरनाक और शक्तिशाली परिस्थितियों का भी बहादुरी से सामना करते हैं।

जो कि हँस-हँस के चबा लेते हैं लोहे का चना।
वे लोग कठिन से कठिन काम को भी हँसते हुए कर लेते हैं। ‘लोहे का चना चबाना’ एक मुहावरा है, जिसका अर्थ है कठिन कार्य करना।

है कठिन कुछ भी नहीं जिनके है जी में यह ठना।।
जिन्होंने यह ठान लिया हो कि उन्हें सब कुछ करना है, उनके लिए कोई भी कार्य कठिन नहीं होता। उनका दृढ़ संकल्प ही उनकी ताकत होती है।

कोस कितने ही चलें पर वे कभी थकते नहीं।
चाहे उन्हें कितनी भी दूरी तय करनी पड़े, वे कभी थकते नहीं हैं। उनका उत्साह और धैर्य कभी समाप्त नहीं होता।

कौन सी है गाँठ जिसको खोल वे सकते नहीं।। 3।।
ऐसी कोई भी समस्या या उलझन नहीं है, जिसे कर्मवीर व्यक्ति सुलझा न सकें। वे हर समस्या का समाधान ढूंढने में सक्षम होते हैं।

काम को आरम्भ करके यों नहीं जो छोड़ते।
कर्मवीर व्यक्ति किसी काम को शुरू करके उसे बीच में अधूरा नहीं छोड़ते। वे हमेशा अपने कार्य को पूरी लगन से अंत तक पूरा करते हैं।

सामना करके नहीं जो भूल कर मुँह मोड़ते।
वे लोग किसी भी समस्या का सामना करने से कभी पीछे नहीं हटते। चाहे कितनी भी कठिनाई हो, वे उसका डटकर सामना करते हैं, कभी डरकर भागते नहीं।

जो गगन के फूल बातों से वृथा नहीं तोड़ते।
कर्मवीर लोग बिना वजह या व्यर्थ की बातें नहीं करते। वे अनावश्यक और असंभव बातों पर समय बर्बाद नहीं करते। ‘गगन के फूल तोड़ना’ एक मुहावरा है, जिसका अर्थ है असंभव कार्य करने की बात करना।

सम्पदा मन से करोड़ों की नहीं जो जोड़ते।।
कर्मवीर लोग मन में धन या संपत्ति को लेकर लालच नहीं रखते। वे केवल अपने कार्य और कर्तव्य पर ध्यान देते हैं, भौतिक संपत्ति उनकी प्राथमिकता नहीं होती।

बन गया हीरा उन्हीं के हाथ से है कारबन।
कर्मवीर लोगों के मेहनत और परिश्रम से ही साधारण कार्बन (कोयला) हीरे में बदलता है। यहाँ यह पंक्ति कर्मवीर की ताकत और क्षमता को दर्शाती है कि वे साधारण चीजों को भी कीमती बना सकते हैं।

काँच को करके दिखा देते हैं वे उज्ज्वल रतन।। 4।।
वे लोग साधारण काँच को भी उज्ज्वल रत्न (मूल्यवान पत्थर) में बदलने की क्षमता रखते हैं। यह उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है।

पर्वतों को काटकर सड़कें बना देते हैं वे।
कर्मवीर लोग पर्वतों को काटकर सड़कें बना देते हैं। यह पंक्ति उनके अडिग और साहसी स्वभाव को दर्शाती है, जो किसी भी मुश्किल को आसानी से पार कर सकते हैं।

सैकड़ों मरुभूमि में नदियाँ बहा देते हैं वे।।
वे लोग सूखी मरुभूमियों में भी नदियाँ बहा सकते हैं, अर्थात वे असंभव दिखने वाले कार्यों को भी संभव बना देते हैं। यहाँ यह पंक्ति उनके असाधारण कार्यों की ओर इशारा करती है।

गर्भ में जल-राशि के बेड़ा चला देते हैं वे।
कर्मवीर व्यक्ति जल के गर्भ में (समुद्र या नदी के भीतर) भी नावें चला सकते हैं। यह उनके साहस और कौशल का प्रतीक है कि वे हर जगह और हर परिस्थिति में काम कर सकते हैं।

जंगलों में भी महा-मंगल रचा देते हैं वे।।
वे लोग घने जंगलों में भी मंगलमय (शुभ और सुखद) कार्य कर सकते हैं। इसका मतलब है कि वे कठिन से कठिन स्थानों और परिस्थितियों में भी अच्छे कार्य कर सकते हैं।

भेद नभ-तल का उन्होंने बहुत कुछ बतला दिया।
कर्मवीर लोगों ने आकाश और अंतरिक्ष के रहस्यों को भी उजागर कर दिया है। वे वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से भी बहुत उन्नत होते हैं।

है उन्होंने ही निकाली तार की सारी क्रिया।। 5।।
इन्हीं कर्मवीर लोगों ने तार (वायर) और संचार से जुड़ी सारी तकनीकें विकसित की हैं। वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भी आगे बढ़ते हैं और नई-नई खोजें करते हैं।

सब तरह से आज जितने देश हैं फूले-फले।
आज जो भी देश समृद्ध और विकसित हैं, वे ऐसे ही कर्मवीर लोगों के कारण हैं। इन लोगों की मेहनत और बुद्धिमानी ने देशों को उन्नति दी है।

बुद्धि विद्या धन विभव के हैं जहाँ डेरे डले।।
जिन देशों में बुद्धि, शिक्षा, धन और संसाधनों का संग्रह है, उन देशों में यह सब उन्हीं कर्मवीर लोगों की मेहनत का परिणाम है।

वे बनाने से उन्हीं के बन गये इतने भले।
ये सारे देश उन्हीं कर्मवीर लोगों के प्रयासों के कारण इतने अच्छे और विकसित बने हैं। उनके बिना यह संभव नहीं था।

वे सभी हैं हाथ से ऐसे सपूतों के पले।। 6।।
इन देशों की सफलता और समृद्धि ऐसे ही कर्मवीर सपूतों के हाथों में पली है। उन्होंने अपने श्रम और समर्पण से इन देशों को बनाया है।

लोग जब ऐसे समय पाकर जनम लेंगे कभी।
जब भविष्य में भी ऐसे कर्मवीर लोग जन्म लेंगे, तो देश और जाति का भला होगा। यह पंक्ति भविष्य की पीढ़ी के प्रति आशा व्यक्त करती है।

देश की औ’ जाति की होगी भलाई भी तभी।। 6।।
देश और जाति की भलाई तभी संभव होगी जब ऐसे कर्मवीर लोग आगे आएंगे और अपने साहस और मेहनत से राष्ट्र का कल्याण करेंगे।

पाठ्य प्रश्न और उत्तर (textual questions and answers)

अभ्यास प्रश्न

नीचे लिखे हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिये

1. कवि के मन में सम्पन्न देशों की सफलता का क्या कारण है ?

उत्तर: कवि के मन में सम्पन्न देशों की सफलता का कारण यह है कि उन देशों में ऐसे सपूत पैदा हुए, जिन्होंने कठिन परिश्रम और साहस से उन देशों को सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उन सपूतों के परिश्रम और योगदान से ही वे देश बुद्धि, विद्या, धन और विभव से सम्पन्न हो पाए हैं।

2. किस प्रकार के लोग जीवन में असफल होते हैं ?

उत्तर: जीवन में वे लोग असफल होते हैं, जो कठिनाइयों से घबराकर अपने काम को बीच में ही छोड़ देते हैं। ऐसे लोग कठिन कार्यों को करने का साहस नहीं दिखाते और अपनी किस्मत पर भरोसा कर दुख भोगते रहते हैं।

3. जीवन में दुःखी होकर कौन लोग पश्चात्ताप करते हैं ?

उत्तर: जीवन में दुःखी होकर वे लोग पश्चात्ताप करते हैं, जो विघ्न और बाधाओं से घबराकर अपने भाग्य पर भरोसा करते हैं और कठिनाइयों के सामने हार मान लेते हैं।

4. वनों की सघनता का वर्णन कवि ने किन शब्दों में किया है ?

उत्तर: वनों की सघनता का वर्णन कवि ने इन शब्दों में किया है- “वे घने जंगल जहाँ रहता है तम आठों पहर।”

नीचे लिखे हुए पद्यखण्डों की सन्दर्भ सहित सप्रसंग व्याख्या कीजिय

1. व्योम को छूते हुए दुर्गम पहाड़ों के शिखर।
वे घने जंगल जहाँ रहता है तम आठों पहर। ।

सन्दर्भ: यह पद्यांश हरिऔध जी द्वारा रचित कविता “कर्मवीर” से लिया गया है।

प्रसंग: इस पंक्ति में कवि ने कर्मवीर व्यक्ति की निर्भीकता और साहस का वर्णन किया है। उन्होंने बताया है कि कर्मवीर कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने संकल्प से डिगता नहीं है और निडर होकर बाधाओं का सामना करता है।

व्याख्या: इस पंक्ति में कवि ने दुर्गम पहाड़ों और घने जंगलों का उल्लेख करते हुए यह बताया है कि कर्मवीर व्यक्ति के लिए ये सभी कठिनाइयाँ तुच्छ हैं। चाहे दुर्गम पहाड़ों की ऊँचाई हो या जंगल की अंधकारमय स्थिति, कर्मवीर व्यक्ति इनसे भयभीत नहीं होता। उसका साहस उसे अडिग बनाए रखता है और वह कठिनाईयों का सामना करते हुए अपने कार्य में निरंतर लगा रहता है। कवि ने यह संदेश दिया है कि कर्मवीर व्यक्ति हर परिस्थिति में अटल रहता है और अपने ध्येय की ओर निरंतर अग्रसर होता है।

2. सब तरह से आज जितने देश हैं फूले-फले।
बुद्धि विद्या धन विभव के हैं जहाँ डेरे डले।।

सन्दर्भ: यह पद्यांश हरिऔध जी की कविता “कर्मवीर” से लिया गया है।

प्रसंग: कवि इस पंक्ति में विकसित और समृद्ध देशों की उन्नति का कारण बताते हुए कर्मवीरों के गुणों का महत्त्व बता रहे हैं।

व्याख्या: कवि के अनुसार, जितने भी देश आज समृद्ध और विकसित हैं, उनकी सफलता का मुख्य कारण उन देशों के कर्मवीर लोग हैं। इन देशों की उन्नति का आधार उनकी बुद्धि, विद्या, और आर्थिक संसाधन हैं, जिनका विकास कर्मठ और मेहनती लोगों ने किया है। वे देश जिनके पास विद्वता, धन, और विभव हैं, उन्हीं के पीछे कर्मवीर व्यक्तियों की मेहनत और लगन का हाथ है। यह पंक्ति इस तथ्य को स्पष्ट करती है कि किसी भी देश की उन्नति में कर्मवीरों का बहुत बड़ा योगदान होता है, और वही देश उन्नति कर सकते हैं जहाँ कर्मठ लोगों की कमी नहीं होती।

3. लोग जब ऐसे समय पाकर जनम लेंगे कभी।
देश की औ’ जाति की होगी भलाई भी तभी।।

सन्दर्भ: यह पंक्ति हरिऔध जी की कविता “कर्मवीर” से ली गई है।

प्रसंग: कवि इस पंक्ति में भविष्य में देश और समाज की भलाई की संभावना को कर्मवीरों के जन्म पर निर्भर बतला रहे हैं।

व्याख्या: कवि के अनुसार, जब ऐसे महान कर्मवीर लोग जन्म लेंगे, तब देश और समाज की भलाई संभव हो सकेगी। देश और जाति की उन्नति तभी हो पाएगी जब व्यक्ति कर्मठ, साहसी और दृढ़ निश्चयी होंगे। यह पंक्ति यह संदेश देती है कि किसी भी राष्ट्र की उन्नति और समाज की भलाई कर्मवीर व्यक्तियों पर ही निर्भर होती है। जब समय आने पर ऐसे लोग जन्म लेते हैं जो अपने कर्म में निष्ठा रखते हैं, तभी देश का भविष्य उज्ज्वल होता है।

कविता के आधार पर कर्मवीर के कौन-कौन-से लक्षण हैं ?

उत्तर: कविता के आधार पर कर्मवीर के निम्नलिखित लक्षण हैं:

  • कर्मवीर कभी भी बाधाओं और कठिनाइयों से घबराता नहीं है।
  • वह कठिन से कठिन कार्य को हंसते-हंसते पूरा कर लेता है।
  • कर्मवीर किसी भी काम को शुरू करने के बाद उसे अधूरा नहीं छोड़ता।
  • वह भीड़ में चंचल या विचलित नहीं होता।
  • कर्मवीर का कलेजा इतना मजबूत होता है कि प्राकृतिक आपदाएं या भयावह स्थितियाँ भी उसे विचलित नहीं कर सकतीं।
  • वह जीवन में कभी भी असफलता का सामना नहीं करता।
  • कर्मवीर व्यक्ति कठिन परिश्रम से कोई भी असंभव कार्य को संभव बना देता है।
  • वह अपने ध्येय से कभी नहीं भटकता और अंततः सफलता प्राप्त करता है।

हरिऔध जी की प्रमुख रचनाओं के नाम लिखिये।

उत्तर: हरिऔध जी की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं:

  • प्रिय प्रवास
  • वैदेही वनवास
  • रस कलश
  • पारिजात
  • चुभते चौपदे

नीचे लिखे हिन्दी वाक्यों का अंग्रेजी में अनुवाद कीजिये

1. सूर्य का उदय पूरब दिशा से होता है।

उत्तर: The sun rises in the east.

2. झारखण्ड हमारे देश का नवीनतम राज्य है।

उत्तर: Jharkhand is the newest state of our country.

3. आकाश में असंख्य तारे हैं।

उत्तर: There are countless stars in the sky.

4. समुद्र की गहराइयों में अनेक रत्न छिपे हुए हैं।

उत्तर: Many gems are hidden in the depths of the sea.

5. हमें स्वच्छ आचरणवालों से मित्रता करनी चाहिए।

उत्तर: We should befriend those who have clean conduct.

6. बुढ़िया ने अपनी करुण गाथा प्रकट की।

उत्तर: The old woman expressed her tale of sorrow.

7. इस वर्ष काफी वर्षा हुई।

उत्तर: There has been a lot of rainfall this year.

8. हमारे देश के राष्ट्रपति एक वैज्ञानिक हैं।

उत्तर: The President of our country is a scientist.

9. हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है। हमें इसकी रक्षा करनी चाहिए।

उत्तर: Hindi is our national language. We should protect it.

10. हिन्दी भाषा में हर भाषा की शुद्ध उच्चारण की शक्ति है।

उत्तर: The Hindi language has the power of pure pronunciation for every language.

भाषा-अध्ययन

1. “चिलचिलाती धूप को जो चाँदनी देवे बना” पंक्ति का भाव पल्लवन कीजिये।

उत्तर: इस पंक्ति में कवि ने कर्मवीर की विशेषताओं का वर्णन किया है। जो व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानता और अपने साहस और दृढ़ निश्चय से विपरीत परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बना लेता है, वही सच्चा कर्मवीर है। यहाँ चिलचिलाती धूप का अर्थ है कठिनाइयाँ, और चाँदनी देना यानी उन कठिनाइयों को सरलता में बदल देना।

2. भाव स्पष्ट कीजिये-
जो गगन के फूल बातों से वृथा नहीं तोड़ते।
सम्पदा मन से करोड़ों की नहीं जो जोड़ते।

उत्तर: इस पंक्ति में कवि ने उन व्यक्तियों की बात की है जो केवल दिखावे की बातों में विश्वास नहीं करते, बल्कि वास्तविकता में कर्म करते हैं। वे व्यर्थ की बातों और कल्पनाओं में समय बर्बाद नहीं करते और ना ही धन या सम्पत्ति के पीछे भागते हैं। वे अपने काम से ही महान बनते हैं, धन से नहीं।

3. नीचे लिखे शब्दों के विलोम शब्द लिखिये-

उत्तर:

  • बहादुर – कायर
  • ताजा – बासी
  • शत्रु – मित्र
  • यश – अपयश
  • प्रेमी – द्वेषी
  • सौभाग्य – दुर्भाग्य
  • सुगन्ध – दुर्गन्ध
  • कीर्ति – अपकीर्ति
  • उपस्थित – अनुपस्थित

4. नीचे लिखे शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिये-

उत्तर:

  • पर्वत – गिरि, शैल
  • आग – अनल, अग्नि
  • पृथ्वी – धरती, वसुंधरा
  • स्त्री – महिला, नारी
  • मनुष्य – आदमी, इंसान
  • नेत्र – आँख, लोचन
  • मेघ – बादल, घन
  • आकाश – गगन, नभ

5. कर्मवीर कविता में आये सभी मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिये।

उत्तर:

  • लोहे का चना चबाना – कठिन काम करना
    उदाहरण: कठिनाइयों से घबराओ नहीं, लोहे का चना चबाना सच्चे वीर की पहचान है।
  • गगन के फूल तोड़ना – असंभव कार्य करना
    उदाहरण: वह गगन के फूल तोड़ने जैसे असंभव कार्य की योजना बना रहा था, लेकिन उसे सफलता मिली।
  • आग में कूदना – जानबूझकर मुसीबत में पड़ना
    उदाहरण: बिना सोचे समझे निर्णय लेना, आग में कूदने के समान है।

अतिरिक्त (extras)

प्रश्न और उत्तर (questions and answers)

1. देखकर बाधा विविध बहु विघ्न घबराते नहीं।
रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं।

उत्तर: यह पंक्तियाँ “कर्मवीर” कविता से ली गई हैं, जिसे कवि हरिऔध जी ने रचा है। इन पंक्तियों में कवि कर्मवीर के गुणों का वर्णन करते हुए बताते हैं कि सच्चा कर्मवीर व्यक्ति किसी भी प्रकार की बाधाओं और विघ्नों से नहीं घबराता। वह अपने भाग्य के भरोसे दुख सहने और पछताने वाला नहीं होता, बल्कि अपने कर्म पर विश्वास रखता है और हर कठिनाई का सामना करता है। ऐसे व्यक्ति का धैर्य और साहस उसे महानता की ओर अग्रसर करते हैं।

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30. देश और जाति की भलाई किसके जन्म लेने पर होगी?

उत्तर: देश और जाति की भलाई तब होगी जब कर्मवीर व्यक्ति जनम लेंगे।

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

1. वीर किस स्थिति में घबराते नहीं?

(क) दुःख में
(ख) बहु विघ्न में
(ग) भीड़ में
(घ) शिखर पर

उत्तर: (ख) बहु विघ्न में

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10. वीर मरुभूमि में क्या बहा देते हैं?

(क) पानी
(ख) नदियाँ
(ग) हवा
(घ) बर्फ

उत्तर: (ख) नदियाँ

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