भेड़ें और भेड़िये: NBSE Class 10 Alternative Hindi (हिन्दी)

भेड़ें और भेड़िये (Bheden aur Bhediye)
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Get notes, summary, questions and answers, MCQs, extras, and PDFs of Chapter 7 “भेड़ें और भेड़िये (Bheden aur Bhediye)” which is part of Nagaland Board (NBSE) Class 10 Alternative Hindi answers. However, the notes should only be treated as references and changes should be made according to the needs of the students.

सारांश (Summary)

“भेड़ें और भेड़िये” (Bheden aur Bhediye) हरिशंकर परसाई (Harishankar Parsai) द्वारा लिखी गई एक प्रतीकात्मक व्यंग्यात्मक कहानी है, जिसमें लोकतांत्रिक प्रणाली की चुनावी प्रक्रिया पर कटाक्ष किया गया है। यह कहानी एक जंगल के पशुओं की है, जहां पशु इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि उन्हें एक उचित शासन व्यवस्था की आवश्यकता है, और प्रजातंत्र को अपनाने का निर्णय लिया जाता है। भेड़ें, जो सरल, निर्दोष, और ईमानदार प्राणियों के रूप में प्रस्तुत की गई हैं, इस निर्णय से खुश होती हैं। उन्हें लगता है कि अब उनका भय समाप्त हो जाएगा और वे अपने प्रतिनिधियों से कानून बनवाकर एक शांति और भाईचारे पर आधारित समाज बनाएंगे, जहां किसी को सताया या मारा न जाएगा।

दूसरी ओर, भेड़िये इस निर्णय से चिंतित हो जाते हैं। उन्हें भय होता है कि यदि भेड़ों का बहुमत हुआ और उन्होंने ऐसे कानून बना दिए, तो उनके भोजन का क्या होगा? उन्हें घास चरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जो उनके लिए असंभव है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता है, भेड़ों की खुशी बढ़ती जाती है जबकि भेड़ियों की चिंता गहरी होती जाती है।

भेड़ियों की चिंता को बूढ़ा सियार समझता है और वह भेड़ियों को एक योजना बताता है। वह भेड़िये को यह सुझाव देता है कि यदि वे अपना रूप बदल लें और भेड़ों को यह विश्वास दिला दें कि अब वे हिंसक नहीं रहे और उनका हृदय परिवर्तन हो गया है, तो वे भेड़ों के समर्थन से चुनाव जीत सकते हैं। बूढ़ा सियार कुछ अन्य सियारों को रंगीन रूप में प्रस्तुत करता है – एक को पीले रंग में, दूसरे को नीले में और तीसरे को हरे में। ये तीन सियार क्रमशः कवि, नेता और धर्मगुरु का प्रतीक हैं।

भेड़िया, सियारों की योजना के अनुसार, एक संत का रूप धारण करता है और भेड़ों के सामने प्रस्तुत होता है। भेड़ों को यह बताया जाता है कि भेड़िया अब हिंसक नहीं रहा और वह घास खाने लगा है। भेड़ों को इस पर विश्वास हो जाता है क्योंकि भेड़िया अब संत बन गया है और उनके हितों के लिए काम करेगा। इस प्रकार, भेड़िये चुनाव जीत जाते हैं और पंचायत में पहुँचते हैं।

पंचायत में पहुँचने के बाद, भेड़िये सबसे पहला कानून बनाते हैं कि हर भेड़िया को रोज सुबह एक भेड़ का मुलायम बच्चा, दोपहर में एक पूरी भेड़ और शाम को आधी भेड़ खाने को मिलेगी। इस प्रकार, भेड़ें फिर से शोषण का शिकार बन जाती हैं और भेड़ियों का शासन चलता रहता है।

इस कहानी में भेड़ें आम जनता का प्रतीक हैं, जो भोली-भाली और निर्दोष होती हैं। भेड़िये शोषक वर्ग या भ्रष्ट नेताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो जनता के हितों का दावा करके सत्ता में आते हैं, लेकिन वास्तव में अपने स्वार्थ की पूर्ति करते हैं। सियार उस वर्ग का प्रतीक हैं, जो सत्ता के लिए किसी भी हद तक जा सकता है और हर परिस्थिति में शक्तिशाली के साथ रहता है।

इस कहानी का व्यंग्य यह बताता है कि कैसे चुनावी प्रचार और झूठे वादों के माध्यम से सत्ता हथियाई जाती है और जनता हमेशा धोखे का शिकार बनती है।

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पाठ्य प्रश्न और उत्तर (textual questions and answers)

अभ्यास प्रश्न

1. पीला, नीला एवं हरा सियार किसका प्रतीक है?

उत्तर: पीला सियार कवि और लेखक का प्रतीक है, नीला सियार नेता और पत्रकार का प्रतीक है, तथा हरा सियार धर्मगुरु का प्रतीक है।

2. भेड़िया वर्तमान काल में किसका प्रतिनिधित्व करता है?

उत्तर: भेड़िया वर्तमान काल में शोषण करनेवाले, भ्रष्टाचारी और सत्ता के भूखे लोगों का प्रतिनिधित्व करता है।

3. पंचायत में किस वर्ग को विजय प्राप्त हुई?

उत्तर: पंचायत में भेड़ियों के वर्ग को विजय प्राप्त हुई।

लिखित

1. यह कथन किसने किससे और कब कहे-
मालिक, सरकस में भरती हो जाइये।

उत्तर: यह कथन बूढ़े सियार ने भेड़िये से तब कहा जब वन प्रदेश की पंचायत के चुनाव की बात हो रही थी और भेड़ियों को अपने भविष्य की चिंता हो रही थी।

2. चुनाव की निकटता भेड़ों के लिए हर्ष और भेड़ियों के लिए संकट का कारण क्यों बन रही थी?

उत्तर: चुनाव की निकटता भेड़ों के लिए हर्ष का कारण इसलिए बन रही थी क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि अब वे अपनी सुरक्षा और भलाई के लिए कानून बनवायेंगे और सुख-शांति का युग आयेगा। वहीं भेड़ियों के लिए संकट इसलिए बन रहा था क्योंकि उन्हें डर था कि भेड़ों की बहुमत वाली सरकार बनने पर वे शिकार नहीं कर पायेंगे और भूखे मर जायेंगे।

3. नीले एवं हरे रंग के सियारों ने भेड़िये के पक्ष में क्या तर्क दिये?

उत्तर:

  • नीले रंग के सियार ने तर्क दिया कि निर्बलों की रक्षा बलवान ही कर सकते हैं, इसलिए भेड़िया भेड़ों की रक्षा कर सकता है। उसने कहा कि भेड़ें और भेड़िये एक ही जाति के हैं, और भेड़िये को बदनाम कर दिया गया है कि वह भेड़ों को खाता है।
  • हरे रंग के सियार ने तर्क दिया कि जो यहाँ त्याग करेगा, वह उस लोक में पायेगा। उसने भेड़िये को दानी, परोपकारी और संत बताया, और भेड़ों से कहा कि भेड़िया को वोट देने से वे वहाँ भी लाभ पायेंगे।

4. यह एक भेड़िये की कथा नहीं है, यह सब भेड़ियों की कथा है। ऐसा कहने से लेखक का तात्पर्य क्या है?

उत्तर: लेखक का तात्पर्य यह है कि यह कहानी केवल एक भेड़िये की नहीं है, बल्कि सभी भेड़ियों की स्थिति और चालाकी का प्रतीक है। यह कहानी समाज में व्याप्त उन सभी शक्तिशाली और धूर्त लोगों पर कटाक्ष करती है, जो अपने स्वार्थ के लिए भोली जनता को धोखा देते हैं।

5. निम्नलिखित का व्यंग्यार्थ स्पष्ट कीजिये-

(क) हर भेड़िये के आस-पास दो-चार सियार रहते ही हैं।

उत्तर: इसका व्यंग्यार्थ यह है कि भेड़िया शक्ति और सत्ता का प्रतीक है, और सियार उसकी चापलूसी करनेवाले लोग हैं, जो उसे अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए घेरे रहते हैं। ये सियार भेड़िये के शिकार के बाद उसकी बची-खुची हड्डियों पर संतुष्ट रहते हैं, ठीक वैसे ही जैसे समाज में शक्तिशाली व्यक्तियों के चारों ओर चापलूस लोग रहते हैं जो उनके टुकड़ों पर पलते हैं।

(ख) अरे कवि की बात सब की समझ में आ जाय तो वह कवि काहे का?

उत्तर: इसका व्यंग्यार्थ यह है कि कवि की रचनाएँ जटिल होती हैं और उन पर विचार करना पड़ता है। अगर कवि की बात को हर कोई आसानी से समझ जाए तो वह कवि किस प्रकार का विशिष्ट रचनाकार होगा। यहां व्यंग्यात्मक रूप से यह कहा जा रहा है कि कवि की रचना को समझने के लिए गहरी सोच की आवश्यकता होती है, नहीं तो वह साधारण लेखनी मानी जाएगी।

6. प्रचारतन्त्र गलत को सही और सही को गलत सिद्ध करने में सफल होता है। प्रस्तुत कहानी के आधार पर इस कथन की समीक्षा कीजिये।

उत्तर: प्रस्तुत कहानी ‘भेड़ें और भेड़िये’ में प्रचारतन्त्र की भूमिका स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। सियारों के माध्यम से भेड़िये का प्रचार किया गया कि वह अब साधु बन चुका है और उसने हिंसा छोड़ दी है। भेड़ों को इस बात का विश्वास दिलाने के लिए तरह-तरह के तर्क दिए गए, जैसे कि भेड़िये का हृदय परिवर्तन हो गया है और वह अब घास खा रहा है। सियारों ने धर्म, साहित्य और राजनीति के माध्यम से यह प्रचार किया कि भेड़िया अब भेड़ों का रक्षक बन चुका है। प्रचारतन्त्र के इस कुशल उपयोग से भेड़ों को सही और गलत का भेद नहीं समझ आया, और उन्होंने भेड़िये को अपना प्रतिनिधि चुन लिया।

7. यह एक जन्तु कथा है या प्रतीकात्मक कथा? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिये।

उत्तर: यह कहानी प्रतीकात्मक कथा है। इस कहानी में भेड़ें, भेड़िये और सियार प्रतीकात्मक रूप से समाज के विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं। भेड़ें सामान्य जनता का प्रतीक हैं, जो सरल और निर्दोष हैं। भेड़िये उन शोषकों का प्रतीक हैं, जो जनता का शोषण करते हैं। सियार वे लोग हैं जो शोषकों के साथ मिलकर उनकी चापलूसी करते हैं और अपने स्वार्थ साधते हैं। इस प्रकार यह कथा प्रतीकात्मक रूप से समाज में सत्ता, शोषण और चापलूसी का चित्रण करती है।

8. प्रस्तुत कहानी में प्रयुक्त भेड़, भेड़िये और सियार आज के किस-किस वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं।

उत्तर: प्रस्तुत कहानी में भेड़, भेड़िये और सियार निम्नलिखित वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं:

  • भेड़: यह सामान्य जनता का प्रतीक है, जो सरल, भोली और निर्दोष है। यह वह वर्ग है जिसे सत्ता और ताकत के लोग आसानी से भ्रमित कर लेते हैं।
  • भेड़िये: ये शोषक और सत्ता के लालची लोगों का प्रतीक हैं, जो अपने स्वार्थ के लिए कमजोर वर्गों का शोषण करते हैं।
  • सियार: ये चापलूस और स्वार्थी लोगों का प्रतीक हैं, जो शक्तिशाली व्यक्तियों के आसपास रहते हैं और अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए उनकी मदद करते हैं।

9. निम्नलिखित मुहावरों एवं शब्दों के अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिये-

(क) आसमानी बातें करना

उत्तर: अर्थ: ऊँची-ऊँची बातें करना
वाक्य: उसने इतनी आसमानी बातें कीं कि सुनने वालों को विश्वास ही नहीं हुआ।

(ख) दाँत निपोरना

उत्तर: अर्थ: दया की भीख माँगना
वाक्य: चोरी करते पकड़े जाने पर वह दाँत निपोरते हुए माफी माँगने लगा।

(ग) गुण गाना

उत्तर: अर्थ: तारीफ करना
वाक्य: वह अपने अधिकारी के गुण गाते हुए अपना प्रमोशन करवा लेता है।

(घ) रँगा सियार होना

उत्तर: अर्थ: बनावटी रूप धारण करना
वाक्य: वह व्यक्ति समाज में भला आदमी बनकर घूम रहा है, लेकिन असल में वह रँगा सियार है।

(ङ) विश्वात्मा

उत्तर: अर्थ: ईश्वर
वाक्य: विश्वात्मा से जुड़ने के लिए हमें सच्चे मन से प्रार्थना करनी चाहिए।

(च) विराट्

उत्तर: अर्थ: विशाल और महान
वाक्य: उसने विराट् सफलता प्राप्त करके सबको आश्चर्यचकित कर दिया।

(छ) अवरुद्ध

उत्तर: अर्थ: रुकावट
वाक्य: उसकी योजना में कई तरह की अवरुद्ध स्थितियाँ पैदा हो गईं।

10. निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिये।

(क) पशु-समाज में इस क्रान्तिकारी परिवर्तन से हर्ष की लहर दौड़ गयी कि सुख, समृद्धि और सुरक्षा का स्वर्णयुग अब आया और वह आया।

सन्दर्भ: यह वाक्यांश पाठ “भेड़ें और भेड़िये” से लिया गया है, जिसके लेखक हरिशंकर परसाई हैं।

प्रसंग: इस वाक्य में लेखक ने वन-प्रदेश में प्रजातांत्रिक प्रणाली की स्थापना के संदर्भ में पशु-समाज की प्रतिक्रिया को व्यक्त किया है।

व्याख्या: इस वाक्यांश में लेखक ने व्यंग्य के माध्यम से यह बताया है कि जब पशु-समाज में प्रजातंत्र की स्थापना हुई, तो उन्हें लगा कि अब उनका जीवन सुख, समृद्धि और सुरक्षा से परिपूर्ण हो जाएगा। पशुओं को यह भ्रम हो गया कि प्रजातंत्र उनके लिए स्वर्णयुग लेकर आया है। लेखक यहाँ मानव समाज पर भी कटाक्ष कर रहे हैं, जहाँ लोग नई शासन प्रणाली या सरकार के आने पर बेवजह उम्मीदें पाल लेते हैं। यह वाक्य व्यंग्यात्मक रूप से यह दिखाता है कि समाज अक्सर बिना सोच-समझे ही राजनीतिक बदलावों को अपनी मुक्ति मानने लगता है, जबकि वास्तविकता इससे विपरीत होती है।

(ख) हम अपने प्रतिनिधियों से कानून बनवायेंगे कि कोई जीवधारी किसी को न सताये, न मारे। सब जियें और जीने दें। शांति, स्नेह, बन्धुत्व और सहयोग पर समाज आधारित हो।

सन्दर्भ: यह वाक्यांश पाठ “भेड़ें और भेड़िये” से लिया गया है, जिसके लेखक हरिशंकर परसाई हैं।

प्रसंग: इस वाक्य में भेड़ों द्वारा अपने प्रतिनिधियों से शांति और बंधुत्व पर आधारित कानून बनाने की अपेक्षा व्यक्त की गई है।

व्याख्या: इस वाक्यांश में भेड़ों की भोली और आदर्शवादी सोच का वर्णन है। वे सोचते हैं कि अब उनके प्रतिनिधि ऐसे कानून बनाएंगे, जिससे कोई किसी को न सताए और सबको स्वतंत्रता के साथ जीने का अधिकार मिले। उनके अनुसार, समाज शांति, स्नेह, बन्धुत्व और सहयोग पर आधारित होगा। लेखक ने इस विचार के माध्यम से यह व्यंग्य किया है कि कमजोर और भोले लोग अक्सर ऐसी दुनिया की कल्पना करते हैं, जहाँ सभी लोग अच्छे और सहयोगी हों। लेकिन यथार्थ में ऐसा नहीं होता। यह एक आदर्शवादी दृष्टिकोण है जो सत्ता की वास्तविकता से कोसों दूर है। लेखक इस सोच पर कटाक्ष कर रहे हैं कि समाज में केवल कानून बनाने से ही सब कुछ ठीक नहीं हो जाता, क्योंकि शोषण और अन्याय की जड़ें कहीं गहरी होती हैं।

(ग) अपनी हिंसक आँखों को ऊपर मत उठाना, हमेशा जमीन की ओर देखना और नहीं तो पोल खुल जायगी।

सन्दर्भ: यह वाक्यांश पाठ “भेड़ें और भेड़िये” से लिया गया है, जिसके लेखक हरिशंकर परसाई हैं।

प्रसंग: इस वाक्य में बूढ़ा सियार भेड़िये को सभा में जाने से पहले यह हिदायत दे रहा है कि उसे अपनी हिंसक प्रवृत्ति को छुपाकर रखना होगा।

व्याख्या: इस वाक्यांश में बूढ़ा सियार भेड़िये को यह सलाह दे रहा है कि जब वह भेड़ों की सभा में जाएगा, तो उसे अपनी हिंसक प्रवृत्ति को छुपाकर रखना होगा। उसे अपनी आँखें जमीन पर रखनी होंगी ताकि उसकी असलियत सामने न आए। लेखक ने यहाँ प्रतीकात्मक रूप से उन शासकों और राजनेताओं की ओर इशारा किया है, जो चुनाव के समय अपनी वास्तविकता को छुपाकर जनता के सामने एक विनम्र और दयालु छवि प्रस्तुत करते हैं। यह वाक्य बताता है कि समाज में कई बार शक्तिशाली लोग अपने असली इरादों और स्वभाव को छुपाकर भोली जनता को भ्रमित करते हैं।

(घ) आप सर्वत्र व्याप्त हैं, सर्वशक्तिमान हैं। प्रातः आपके मस्तक पर तिलक करती है, साँझ को उषा आपका मुख चूमती है, पवन आप पर पंखा करता है और रात्रि को आपकी ही ज्योति लक्ष-लक्ष खण्ड होकर आकाश में तारे बनकर चमकती है। हे विराट् ! आपके चरणों में इस क्षुद्र का प्रणाम है।

सन्दर्भ: यह वाक्यांश पाठ “भेड़ें और भेड़िये” से लिया गया है, जिसके लेखक हरिशंकर परसाई हैं।

प्रसंग: इस वाक्य में बूढ़ा सियार भेड़िये के प्रति अत्यधिक चापलूसी और प्रशंसा के शब्द बोल रहा है।

व्याख्या: इस वाक्यांश में बूढ़ा सियार भेड़िये की प्रशंसा करते हुए उसकी तुलना विराट्, सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी ईश्वर से कर रहा है। वह कहता है कि सुबह का सूरज आपके मस्तक पर तिलक करता है, शाम की किरणें आपके मुख का स्पर्श करती हैं, हवा आपको शीतलता प्रदान करती है, और रात में आपके तेज से तारे चमकते हैं। यह अतिशयोक्तिपूर्ण चापलूसी भरे शब्द दरअसल उस प्रकार के लोगों की ओर इशारा करते हैं, जो सत्ता और शक्ति के आगे किसी भी हद तक जाकर चापलूसी करते हैं। लेखक ने इस वाक्य के माध्यम से समाज में मौजूद ऐसे लोगों की मानसिकता पर व्यंग्य किया है, जो सत्ताधीशों के आगे अपनी पहचान मिटाकर उनकी महिमा का बखान करते हैं।

11. निम्नलिखित वाक्यों के खाली स्थान पाठ के आधार पर कीजिये-

(क) ज्यों-ज्यों चुनाव समीप आता भेड़ों का _______ बढ़ता जाता।
(उल्लास, दुःख, कष्ट)

उत्तर: उल्लास

(ख) यह _______ वाला सियार बड़ा विद्वान् है, विचारक है, कवि भी है, लेखक भी।
(पीला, नीला, हरा)

उत्तर: पीला

(ग) यह _______ नेता और पत्रकार है। और यह _______ धर्मगुरु।
(पीला, नीला, हरा)

उत्तर: नीला, हरा

(घ) निर्बलों की रक्षा _______ ही कर सकते हैं।
(बलवान्, निर्बल, धनी)

उत्तर: बलवान्

12. निम्नलिखित वाक्यों के सामने सही अथवा गलत का चिह्न पाठ के आधार पर लगाइये

(क) हर भेड़िये के आस-पास दो-चार भेड़ें रहते ही हैं।

उत्तर: गलत

(ख) मगर अब समय ऐसा आ रहा है कि सूखी हड्डियाँ भी चबाने को नहीं मिलेंगी।

उत्तर: सही

(ग) यह हरावाला सियार बड़ा विद्वान् है।

उत्तर: गलत

(घ) आपकी सेवा में लगाकर तमाम पुण्यों का प्रायश्चित्त करेंगे।

उत्तर: गलत

(ङ) पंचायत में भेड़ों की हितों के रक्षा के लिए भेड़िये प्रतिनिधि बन गये।

उत्तर: सही

अभ्यास प्रश्न

1. वाच्य किसे कहते हैं ? उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिये।

उत्तर: वाक्य में क्रिया के जिस रूप से कर्त्ता, कर्म या क्रिया की प्रधानता हो, उसे वाच्य कहते हैं। जैसे-
(क) बच्चे खेल रहे हैं। (कर्त्ता ‘बच्चे’ की प्रधानता)
(ख) रोज समय पर घण्टी बजती है। (कर्म ‘घण्टी’ की प्रधानता)

2. उदाहरण सहित वाच्य के प्रकार बताइये।

उत्तर: वाच्य के तीन प्रकार होते हैं:
(क) कर्तृवाच्य (Active Voice) – जिस वाक्य में कर्त्ता की प्रधानता हो, जैसे- बच्चे खेल रहे हैं।
(ख) कर्मवाच्य (Passive Voice) – जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता हो, जैसे- चिट्ठी भेज दी गयी।
(ग) भाववाच्य (Impersonal Voice) – जिस वाक्य में क्रिया की प्रधानता हो, जैसे- बालक से खेला नहीं जाता।

3. कोष्ठक में दिये गये निर्देश के अनुसार वाच्य बदलिये-

उत्तर: (क) मेयाविसे चित्र बनाता है। (कर्मवाच्य में) – चित्र मेयाविसे द्वारा बनाया जाता है।
(ख) वह किताब खरीदेगा। (कर्मवाच्य में) – किताब खरीदी जायेगी।
(ग) बच्चा नहीं रोता। (भाववाच्य में) – बच्चे से नहीं रोया जाता।
(घ) बालक नहीं खेलता। (भाववाच्य में) – बालक से नहीं खेला जाता।
(ङ) मैं बाइबिल पढ़ता हूँ। (कर्मवाच्य में) – बाइबिल पढ़ी जाती है।

4. निम्नलिखित वाक्यों के वाच्य सम्बन्धी अशुद्धियों को दूर करके शुद्ध कीजिये

(क) प्रस्तुत पंक्तियाँ सरोज स्मृति से ली हैं।
(ख) अध्यापक से संस्कृत पढ़ायी है।
(ग) मै अमरुद खाया गया।
(घ) पुलिस ने डाकुओं का पीछा किया।
(ङ) विकाश ने घर गया और सोया ।
(च) डाकुओं ने चौकी लूटी गयी ।

उत्तर: (क) प्रस्तुत पंक्तियाँ सरोज स्मृति से ली गयी हैं।
(ख) अध्यापक ने संस्कृत पढ़ायी।
(ग) मैंने अमरुद खाया।
(घ) पुलिस ने डाकुओं का पीछा किया।
(ङ) विकास घर गया और सोया।
(च) डाकुओं ने चौकी लूटी।

गृहकार्य

अपने गाँव में मनाये जानेवाले किसी त्योहार का वर्णन २० वाक्यों में कीजिये।

उत्तर: मेरे गाँव में हर साल दीपावली का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन और घरों को रोशन करने के लिए प्रसिद्ध है। लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और उन्हें रंग-बिरंगे दीयों और लाइटों से सजाते हैं। गाँव के सभी लोग नये कपड़े पहनते हैं और मिठाइयाँ बनाते हैं। बच्चे आतिशबाजी में भाग लेते हैं और पूरा गाँव जगमगाता रहता है। संध्या के समय गाँव के मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन होता है, जिसमें सभी लोग शामिल होते हैं। लक्ष्मी माता की पूजा के बाद घरों में प्रसाद वितरण किया जाता है। दीपावली के अवसर पर गाँव में मेले का आयोजन भी होता है, जहाँ बच्चे और बड़े सभी आनंद लेते हैं। गाँव के बड़े-बुजुर्ग अपने घरों में दीप जलाकर देवताओं का स्वागत करते हैं। गाँव के लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ और उपहार देते हैं। रात के समय, लोग पटाखे फोड़ते हैं और आसमान रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा उठता है।

इस दिन गाँव में सबके घरों में विशेष पकवान बनते हैं। त्योहार के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है, जिसमें गोधन की पूजा होती है। गाँव के लोग एक-दूसरे के घर जाकर बधाई देते हैं। इस अवसर पर लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भी भुला देते हैं और नये सिरे से संबंधों की शुरुआत करते हैं। दीपावली के समय गाँव में चारों तरफ खुशहाली का माहौल होता है। लोग अपने व्यापार और खेती-बाड़ी में समृद्धि की कामना करते हैं। दीपावली के दिन गाँव की गलियाँ और चौक विशेष रूप से सजाये जाते हैं। गाँव के छोटे बच्चे पूरे दिन खुश होकर इधर-उधर घूमते रहते हैं। इस त्योहार का सबसे बड़ा आकर्षण घरों की सजावट और मिठाइयाँ होती हैं। दीपावली गाँव के लोगों के लिए एक सामाजिक और धार्मिक महत्त्व का त्योहार है। इस त्योहार के माध्यम से गाँव के लोग एकजुट होते हैं और आपसी मेलजोल बढ़ता है। दीपावली का त्योहार गाँव की संस्कृति और परंपराओं को उजागर करता है।

अतिरिक्त (extras)

प्रश्न और उत्तर (questions and answers)

1. वन प्रदेश में किस प्रकार की शासन व्यवस्था की स्थापना हुई?

उत्तर: वन प्रदेश में प्रजातंत्र की स्थापना हुई।

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17. पंचायत में भेड़ियों ने कौन-सा पहला कानून बनाया?

उत्तर: पंचायत में भेड़ियों ने पहला कानून बनाया कि हर भेड़िये को सवेरे नाश्ते में भेड़ का एक मुलायम बच्चा, दोपहर में पूरी भेड़ और शाम को आधी भेड़ दी जाए।

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

1. वन के पशुओं ने किस शासन व्यवस्था को अपनाने का निर्णय लिया?

(क) राजतंत्र
(ख) प्रजातंत्र
(ग) तानाशाही
(घ) साम्राज्यवाद

उत्तर: (ख) प्रजातंत्र

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15. भेड़िया संत किसके प्रति विशेष प्रेम दिखाता था?

(क) शेर के प्रति
(ख) सियारों के प्रति
(ग) भेड़ों के प्रति
(घ) रीछ के प्रति

उत्तर: (ग) भेड़ों के प्रति

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