Get notes, summary, questions and answers, MCQs, extras, and PDFs of Chapter 2 “तुलसी के दोहे (Tulsi ke Dohe)” which is part of Nagaland Board (NBSE) Class 9 Alternative Hindi answers. However, the notes should only be treated as references and changes should be made according to the needs of the students.
सारांश (Summary)
प्रस्तुत पाठ “तुलसी के दोहे” (Tulsi ke Dohe) गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas) द्वारा लिखित है। इसमें कई शिक्षाप्रद दोहे शामिल हैं, जिनमें तुलसीदास ने समाज के विभिन्न पहलुओं, मानव स्वभाव और नैतिकता पर विचार व्यक्त किए हैं। ये दोहे बहुत सरल और स्पष्ट भाषा में हैं, ताकि सामान्य व्यक्ति भी उनसे शिक्षा ग्रहण कर सके।
पहले दोहे में तुलसीदास ने बताया है कि मूर्ख व्यक्ति का हृदय अच्छे गुरु या सीखों से भी जागृत नहीं होता, ठीक वैसे ही जैसे गन्ना फूलता-फलता नहीं है चाहे अमृत-सा जल भी उस पर बरसे। इस दोहे में शिक्षा का महत्व दर्शाया गया है, परन्तु यह भी स्पष्ट किया गया है कि शिक्षा केवल उसी व्यक्ति के लिए सार्थक होती है, जो उसे ग्रहण करने का माद्दा रखता हो।
एक अन्य दोहे में तुलसीदास कहते हैं कि जैसे कोयल वर्षा के समय मौन हो जाती है और मेढक शोर मचाने लगते हैं, वैसे ही योग्य लोग कठिन परिस्थितियों में चुप रहते हैं और अयोग्य लोग तब बोलने लगते हैं। यहाँ कोयल और मेढक का उपयोग प्रतीक रूप में किया गया है, जहाँ कोयल विद्वान या समझदार का प्रतीक है और मेढक मूर्ख का।
तुलसीदास यह भी कहते हैं कि मुखिया (नेता) को मुख के समान होना चाहिए, जो सभी अंगों का ध्यान रखता है और सबको समान रूप से पालता है। इस दोहे में नेतृत्व की परिभाषा दी गई है, जिसमें मुखिया को सहनशील और जिम्मेदार होना आवश्यक बताया गया है।
इन दोहों के माध्यम से तुलसीदास ने समाज के हर वर्ग के लोगों के गुण-दोषों का चित्रण किया है और स्पष्ट रूप से यह बताया है कि मानव को कैसे आचरण करना चाहिए ताकि समाज और स्वयं का कल्याण हो सके।
Video tutorial
पंक्ति दर पंक्ति (Line by line) स्पष्टीकरण
फूलै फरै न बेंत जदपि सुधा बरसहिं जलद।
बेंत का पौधा (जिससे बांस बनता है) फूलता और फलता नहीं है, चाहे उस पर अमृत के समान वर्षा क्यों न हो जाए। इसका मतलब है कि बेकार प्रयास से भी बुरी चीज़ में सुधार नहीं होता।
मूरख हृदय न चेत ज्यों गुरु मिलै बिरंचि सम।।
मूर्ख व्यक्ति का हृदय कभी चेतता (समझदार बनता) नहीं है, चाहे उसे ब्रह्मा के समान महान गुरु क्यों न मिल जाए। यहां तुलसीदास ने समझाया है कि मूर्ख व्यक्ति को कोई भी शिक्षा दी जाए, वह बदलता नहीं है। जैसे बांस को अमृत से सींचने पर भी वह फलता-फूलता नहीं है, वैसे ही मूर्ख व्यक्ति की समझ नहीं बढ़ती।
काहिं पर कदली फरइ कोटि जतन कोउ सींच।
केले का पेड़ कहीं भी, किसी भी प्रकार के जतन से फलता नहीं है। मतलब यह है कि गलत और बुरे व्यक्तियों में सुधार लाना अत्यंत कठिन होता है, चाहे उनके ऊपर कितनी भी मेहनत क्यों न की जाए।
विनय न मान खगेस सुनु डाँटेहिं पै नव नीच।
हे खगों के राजा (गरुड़), सुनिए! बुरे लोग विनम्रता नहीं समझते हैं, भले ही उन्हें डांट दिया जाए। यहां तुलसीदास ने कहा है कि नीच स्वभाव के लोग विनम्रता से कोई फर्क नहीं पड़ता, उन्हें चाहे डांट दो या विनती करो।
नीच गुड़ी ज्यों जानिवों सुनि लखि तुलसीदास।
नीच व्यक्ति का स्वभाव वैसा ही होता है जैसे पतंग की गुड़ी (डोर)। मतलब कि उसे जितना ढील दी जाती है, वह और ऊंचाई पर चढ़ता है, लेकिन अंत में वह गिर ही जाता है।
ढील दिये गिरि परत महि खैचत चढ़त अकास।
अगर उसे ढील दी जाए तो वह आकाश में ऊपर चढ़ता जाता है, लेकिन जब उसे खींचा जाए तो वह जमीन पर गिर जाता है। यह जीवन की सच्चाई को दर्शाता है कि बुरे व्यक्ति को जितनी स्वतंत्रता दी जाती है, वह उतना ही ऊपर चढ़ता है, लेकिन अंत में गिरता ही है।
बरषि बिस्व हरषित करत हरत ताप अघ प्यास।
बादल जब बरसते हैं तो संसार को आनंदित कर देते हैं और सभी के दुख-दर्द, पाप और प्यास को हर लेते हैं।
तुलसी दोष न जलद को जो जल जरै जवास ।।
तुलसीदास कहते हैं कि इसमें बादलों का कोई दोष नहीं है कि उनका जल कुछ जड़ी-बूटियों को जलाने का काम करता है। यह दिखाता है कि सच्चाई और अच्छाई का असर अलग-अलग लोगों पर अलग-अलग हो सकता है, और इसमें अच्छाई का कोई दोष नहीं होता।
मुखिया मुख सो चाहिए खान-पान को एक।
मुखिया का स्वभाव मुख (मुख का मतलब यहां मुखिया से है) जैसा होना चाहिए, जो केवल अपने खाने-पीने के लिए सोचता हो।
पालै पोसै सकल अंग तुलसी सहित बिबेक |
लेकिन उसी मुख की तरह मुखिया को सभी अंगों का ध्यान रखना चाहिए, विवेक के साथ। मतलब है कि एक अच्छे नेता को अपनी प्रजा या परिवार की सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखना चाहिए।
तुलसी पावस के समय धरी कोकिलन मौन।
तुलसीदास कहते हैं कि जब वर्षा का मौसम आता है, तब कोयल चुप हो जाती है। यह एक प्रकार का उदाहरण है जो बताता है कि अच्छे लोग या अच्छी बातें सही समय पर ही प्रकट होती हैं।
अब तो दादुर बोलिहैं हमें पूछिहै कौन।
अब तो मेंढक बोलने लगे हैं, तो हमें (कोयल को) कौन पूछेगा? मतलब जब शोर-शराबा अधिक हो तो सच्ची और मधुर आवाज को लोग नहीं सुनते।
उत्तम मध्यम नीच गति पाहन सिकता पानि।
मनुष्यों की तीन अलग-अलग प्रकृतियाँ होती हैं- उत्तम, मध्यम और नीच। यह पत्थर, बालू और पानी की तरह होती हैं, जो उनके स्वभाव और गुणों का परिचय देती हैं।
प्रीति परीक्षा तिहुन की बैर व्यतिक्रम जानि।।
प्रेम और दुश्मनी की परीक्षा इन तीनों प्रकार की लोगों में हो सकती है, और उनकी प्रकृति के अनुसार उनका व्यवहार भी बदल जाता है।
सचिव बैद गुरु तीन जो प्रिय बोलहिं भय आस।
मंत्री, वैद्य और गुरु – ये तीनों यदि किसी भय या लालच के कारण केवल प्रिय बातें ही कहें, तो यह हितकारी नहीं होता।
राजधर्म तन तीन को होइ बेगिही नास ।।
अगर मंत्री, वैद्य और गुरु अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते और सिर्फ खुश करने के लिए बातें करते हैं, तो राज्य, शरीर और धर्म – तीनों का नाश जल्दी ही हो जाता है।
पाठ्य प्रश्न और उत्तर (textual questions and answers)
मौखिक प्रश्न
1. मुखिया को किस प्रकार का होना चाहिए ?
उत्तर: मुखिया मुख सो चाहिए खान-पान को एक। पालै पोसै सकल अंग तुलसी सहित बिबेक।
2. कोयल कब चुप हो जाती है ?
उत्तर: तुलसी पावस के समय धरी कोकिलन मौन। अब तो दादुर बोलिहैं हमें पूछिहै कौन।
3. किससे मनुष्य को झूठ नहीं बोलना चाहिए ?
उत्तर: सचिव बैद गुरु तीन जो प्रिय बोलहिं भय आस। राजधर्म तन तीन को होइ बेगिही नास।
4. तुलसी ने अपनी रचनाएँ किस भाषा में की हैं ?
उत्तर: तुलसी ने अपनी रचनाएँ अवधी और ब्रज भाषा में की हैं।
लिखित प्रश्न
1. मनुष्य की तीन भिन्न-भिन्न प्रकृतियाँ क्या होती हैं ?
उत्तर: उत्तम, मध्यम, नीच
2. तुलसी का जीवन-परिचय लिखिये।
उत्तर: तुलसीदास जी का जन्म संवत 1554 में हुआ था। वे गोस्वामी तुलसीदास के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनकी रचनाओं में रामचरितमानस, कवितावली, गीतावली आदि प्रमुख हैं। वे भगवान राम के अनन्य भक्त थे और उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य राम भक्ति का प्रचार-प्रसार था। तुलसीदास ने संस्कृत और अवधी भाषा में रचनाएँ कीं।
3. तुलसी की रचनाओं के नाम लिखिये।
उत्तर: रामचरितमानस, कवितावली, गीतावली, विनयपत्रिका, हनुमान चालीसा
4 (क) तुलसी पावस के समय धरी कोकिलन मौन। अब तो दादुर बोलिहैं हमें पूछिहै कौन।।
उत्तर: वर्षा ऋतु में कोयल चुप हो जाती है और मेंढक बोलने लगते हैं। अब कोयल का मधुर स्वर किसी को याद नहीं आता और उसका महत्व नहीं रह जाता। तुलसीदास जी ने इस पंक्ति के माध्यम से यह समझाने का प्रयास किया है कि जैसे कोयल केवल वसंत में बोलती है और वर्षा ऋतु में मौन रहती है, वैसे ही सद्गुणी व्यक्ति परिस्थितियों के अनुसार ही अपनी बात रखता है। दूसरी ओर, मेंढक जैसे लोग बिना किसी विशेष योग्यता के भी अवसर पाकर शोर मचाने लगते हैं। यहाँ पर तुलसीदास जी ने समय के महत्व और मौन के गुण को स्पष्ट करने का प्रयास किया है।
(ख) सचिव बैद गुरु तीन जो प्रिय बोलहिं भय आस। राजधर्म तन तीन को होइ बेगिही नास।।
उत्तर: इस दोहे में तुलसीदास जी ने सचिव (मंत्री), वैद्य (डॉक्टर) और गुरु के गुणों के विषय में बताया है। उनका कहना है कि मंत्री, वैद्य और गुरु यदि केवल भय या स्वार्थ के कारण ही मीठी बात बोलते हैं और सच्चाई को छिपाते हैं, तो इससे राज्य, शरीर और धर्म का शीघ्र ही नाश हो जाता है। मंत्री को राज्य के हित में, वैद्य को रोगी के स्वास्थ्य के लिए और गुरु को शिष्य के कल्याण के लिए सत्य कहना चाहिए, भले ही वह कटु हो। इस प्रकार, तुलसीदास जी ने सत्य बोलने और सही मार्गदर्शन के महत्व को स्पष्ट किया है।
5. नीच की तुलना तुलसीदास ने पतंग से क्यों की है ?
उत्तर: नीच व्यक्ति की तुलना तुलसीदास ने पतंग से इसलिए की है क्योंकि जैसे पतंग अपनी ढील के कारण गिर जाती है और धरती पर आ जाती है, वैसे ही नीच व्यक्ति अपने स्वभाव के कारण दूसरों की उन्नति देखकर जलता है और अंततः नष्ट हो जाता है।
6. पानी बरसने पर भी नीच मनुष्य किस प्रकार की आग में जलता है ?
उत्तर: पानी बरसने पर भी नीच मनुष्य ईर्ष्या और जलन की आग में जलता रहता है। उसकी मन की जलन शांत नहीं होती, चाहे बाहर कितना भी पानी बरस जाए।
भाषा-अध्ययन
1. नीचे लिखे शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिये-
उत्तर:
- दुःख – शोक, कष्ट
- प्यार – प्रेम, स्नेह
- पत्थर – शिला, प्रस्तर
- ईश्वर – भगवान, परमात्मा
- आग – अग्नि, ज्वाला
- हवा – वायु, समीर
- जलद – मेघ, बादल
2. कोष्टक में दी गयी क्रियाओं के उचित रूपों से नीचे लिखे वाक्यों के खाली स्थान भरिये-
(क) मेरे गुरु जी आज शाम हमारे घर __________। (आना)
उत्तर: आएंगे
(ख) निवोत्यो के पिता जी कोहिमा में __________ हैं। (रहना)
उत्तर: रहते
(ग) हमारे बड़े भाई साहब अगले सोमवार को दिल्ली __________। (जाना)
उत्तर: जाएंगे
(घ) माता जी शाम को हमें कहानी __________ हैं। (सुनाना)
उत्तर: सुनाती
3. नीचे लिखे अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिये-
उत्तर:
(क) वह स्थान जहाँ धरती और आकाश मिले हुए दिखायी देते हैं
उत्तर: क्षितिज
(ख) ईश्वर को न माननेवाला
उत्तर: नास्तिक
(ग) जिसके समान दूसरा न हो
उत्तर: अद्वितीय
(घ) जिसके पास धन न हो
उत्तर: निर्धन
(ङ) नगर में रहनेवाला
उत्तर: नागरिक
(च) दूसरों का उपकार करनेवाला
उत्तर: परोपकारी
(छ) जिसको दूसरों पर दया आती हो
उत्तर: दयालु
(ज) दिन में एक बार होनेवाला
उत्तर: दैनिक
(झ) वर्ष में एक बार होनेवाला
उत्तर: वार्षिक
(ञ) जो इस लोक की बात हो
उत्तर: लौकिक
4. नीचे लिखे वाक्यों में क्रिया-विशेषण छाँटिये-
(क) बूँद-बूँद से घड़ा भर गया।
उत्तर: बूँद-बूँद
(ख) कल लौट आना वरना झगड़ा हो जायगा।
उत्तर: कल
(ग) मेरेन धीरे-धीरे चलता है।
उत्तर: धीरे-धीरे
(घ) सारे आम हाथोंहाथ बिक गये।
उत्तर: हाथोंहाथ
(ङ) धीरे-धीरे चढ़ो अन्यथा गिर पड़ोगे।
उत्तर: धीरे-धीरे
(च) जैसा करोगे वैसा भरोगे।
उत्तर: जैसा, वैसा
(छ) उसका जीवन सुखपूर्वक कट रहा था।
उत्तर: सुखपूर्वक
(ज) भीतर जाकर पढ़ो।
उत्तर: भीतर
(ञ) ऐसा कभी नहीं हो सकता।
उत्तर: कभी नहीं
5. नीचे लिखे अंग्रेजी वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद कीजिये-
(1) We are thankful to her for her help.
उत्तर: हम उसकी मदद के लिए आभारी हैं।
(2) Delhi is the capital of India.
उत्तर: दिल्ली भारत की राजधानी है।
(3) There are eleven districts in Nagaland.
उत्तर: नागालैंड में ग्यारह जिले हैं।
(4) Shri Vishnu Sahay was the first Governor of Nagaland.
उत्तर: श्री विष्णु सहाय नागालैंड के पहले राज्यपाल थे।
(5) Dr. Rajendra Prasad was the first President of India.
उत्तर: डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे।
(6) Students should be given physical education.
उत्तर: विद्यार्थियों को शारीरिक शिक्षा दी जानी चाहिए।
(7) Ramayana is the holy book of the Hindus.
उत्तर: रामायण हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ है।
(8) There are sixteen tribes in Nagaland.
उत्तर: नागालैंड में सोलह जनजातियाँ हैं।
(9) Smt. Nini Meru is the chairman of the N.B.S.E.
उत्तर: श्रीमती नीनी मेरु एन.बी.एस.ई. की अध्यक्ष हैं।
(10) Nagaland is the sixteenth number of Indian Union.
उत्तर: नागालैंड भारतीय संघ का सोलहवाँ राज्य है।
अतिरिक्त (extras)
प्रश्न और उत्तर (questions and answers)
1. मुखिया को किस प्रकार का होना चाहिए?
उत्तर: मुखिया को ऐसा होना चाहिए जो खान-पान में एक समान हो, और जो पूरे अंगों को पालता-पोषता हो, जैसे तुलसीदास ने बताया है: “मुखिया मुख सो चाहिए खान-पान को एक। पालै पोसै सकल अंग तुलसी सहित बिबेक।”
12. मुखिया मुख सो चाहिए खान-पान को एक।
पालै पोसै सकल अंग तुलसी सहित बिबेक।।
उत्तर: इस दोहे में तुलसीदास ने मुखिया की भूमिका को मुख (मुखड़ा) से तुलना की है। वे कहते हैं कि जैसे मुख का काम है सभी अंगों का पोषण करना, वैसे ही मुखिया (नेता) को सभी का ध्यान रखना चाहिए। मुख का खाना-पीना सभी अंगों को पोषण देता है और इसी तरह मुखिया को भी विवेकपूर्वक अपनी प्रजा या समूह की देखभाल करनी चाहिए। यह दोहा हमें नेतृत्व के आदर्श गुणों का बोध कराता है, जो केवल अपने लिए नहीं बल्कि अपने सभी अनुयायियों का भला चाहते हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
1. तुलसी के दोहों में मुखिया को कैसा होना चाहिए?
(क) कमजोर
(ख) खान-पान का एक
(ग) निर्दयी
(घ) धनी
उत्तर: (ख) खान-पान का एक
15. तुलसीदास ने ‘नीच’ को किससे तुलना की है?
(क) पर्वत
(ख) पतंग
(ग) पानी
(घ) अग्नि
उत्तर: (ख) पतंग
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