व्यवहार-कुशलता: NBSE Class 10 Alternative Hindi (हिन्दी)

व्यवहार-कुशलता (Vyavhar-Kushalta)
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Get notes, summary, questions and answers, MCQs, extras, and PDFs of Chapter 6 “व्यवहार-कुशलता (Vyavhar-Kushalta)” which is part of Nagaland Board (NBSE) Class 10 Alternative Hindi answers. However, the notes should only be treated as references and changes should be made according to the needs of the students.

सारांश (Summary)

“व्यवहार-कुशलता” (Vyavhar-Kushalta) निबंध में लेखक अनन्त गोपाल शेवड़े (Anant Gopal Shevde) ने इस बात पर जोर दिया है कि जब लोग निराश या पराजित होते हैं, तो उन्हें सबसे अधिक हमारे सहारे और प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। ऐसे समय में हमारी सहानुभूति और मदद उनके खोए हुए आत्मविश्वास को वापस ला सकती है। दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना और उनके साथ ईमानदारी से व्यवहार करना सज्जनता का लक्षण है और यही सच्ची व्यवहार-कुशलता है।

लेखक एक घटना का वर्णन करते हैं जिसमें एक तरुण विद्यार्थी भाषण देने के लिए खड़ा होता है, लेकिन उसका भाषण सफल नहीं होता और वह घबरा जाता है। श्रोताओं ने ताली बजाई, लेकिन वह कुछ ही वाक्य कहकर बैठ जाता है। मंच पर लौटते समय वह लेखक से धीरे से कहता है कि यह उसका पहला भाषण था। इस पर लेखक उसकी हिम्मत बढ़ाते हुए कहते हैं कि उन्होंने भी अपने पहले भाषण में मुश्किल से तीन वाक्य ही ठीक से कहे थे, और यह अनुभव तो हर किसी को शुरू में होता है। लेखक की यह बात सुनकर वह विद्यार्थी आश्वस्त हो जाता है और उत्साहित होकर कहता है, “सच?” इससे उसकी घबराहट कम हो जाती है, और आगे चलकर वह अच्छा वक्ता बन जाता है। कई बार उसने लेखक का धन्यवाद किया कि यदि उस दिन उसे प्रोत्साहन नहीं मिलता, तो वह शायद भाषण देना ही छोड़ देता।

लेखक इस घटना के माध्यम से यह समझाने का प्रयास करते हैं कि जब लोग निराश या पराजित हों, तब हमें उनका उपहास नहीं करना चाहिए, बल्कि उन्हें सहारा देना चाहिए और उनका आत्मविश्वास लौटाने में मदद करनी चाहिए। जो ऐसा करते हैं, वे हमेशा के लिए उन लोगों के दिलों में जगह बना लेते हैं। यह व्यवहार न केवल अच्छे संस्कारों का प्रमाण है, बल्कि यह सामाजिक जीवन में हमारी लोकप्रियता भी बढ़ाता है। लेखक का कहना है कि इस प्रक्रिया में बनावटीपन या दिखावा नहीं होना चाहिए, क्योंकि केवल सच्ची भावना ही हृदय को छू सकती है।

मानव की दो प्रमुख प्रवृत्तियाँ होती हैं: एक तो यह कि लोग हमारे गुणों की सराहना करें और हमें महत्व दें, और दूसरा यह कि लोग हमसे प्रेम करें और हमारी कमी को महसूस करें। यदि कोई हमारे छोटे से काम की भी ईमानदारी से तारीफ करता है, तो हमें कैसा महसूस होता है? और जब कोई हमारी सलाह लेने आता है, तो हमारा मन कैसे खिल उठता है? चाहे कोई कितना भी आत्मविश्वासी लगे, अंदर से वह भी तारीफ और प्रोत्साहन का भूखा होता है। यदि हम सच्चे दिल से किसी की भावनाओं का सम्मान करें, तो हम उनके दिल के करीब पहुँच सकते हैं।

लेखक के अनुसार, सच्ची व्यवहार-कुशलता दूसरों की भावनाओं को समझने, उनकी कद्र करने और उनके साथ ईमानदारी तथा स्नेह से पेश आने में है। यही सामाजिक जीवन में लोकप्रियता प्राप्त करने की कुंजी है और इससे हमारी अपनी सुख-शांति भी बढ़ती है।

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पाठ्य प्रश्न और उत्तर (textual questions and answers)

प्रश्न और उत्तर

1. विद्यार्थी के भाषण पर श्रोताओं ने तालियाँ क्यों पीटीं?

उत्तर: श्रोताओं ने विद्यार्थी के भाषण पर तालियाँ इसलिए पीटीं क्योंकि वह भाषण देने में घबरा गया और ठीक से बोल नहीं पाया।

2. भाषण देने में असफल विद्यार्थी की हिम्मत लेखक ने किस प्रकार बढ़ायी?

उत्तर: लेखक ने विद्यार्थी को यह कहकर हिम्मत बढ़ाई कि यह उसका पहला भाषण था और शुरुआत में ऐसा होना स्वाभाविक है। उन्होंने बताया कि अपने पहले भाषण में वे भी केवल तीन वाक्य बोल पाए थे, जिससे विद्यार्थी का आत्मविश्वास वापस आया।

3. लेखक के प्रोत्साहन का विद्यार्थी पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर: लेखक के प्रोत्साहन का विद्यार्थी पर यह प्रभाव पड़ा कि उसकी हिम्मत लौट आई और आगे चलकर वह एक अच्छा वक्ता बन गया।

4. लोगों को हमारी सहानुभूति की सबसे अधिक आवश्यकता कब होती है?

उत्तर: लोगों को हमारी सहानुभूति की सबसे अधिक आवश्यकता उस समय होती है जब वे त्रस्त, पराजित या शोकग्रस्त होते हैं और उनका आत्मविश्वास लड़खड़ा जाता है।

5. मनुष्य की किन दो मूल प्रवृत्तियों की ओर लेखक ने ध्यान दिलाया है?

उत्तर: लेखक ने ध्यान दिलाया है कि मनुष्य की दो मूल प्रवृत्तियाँ होती हैं- एक, लोग हमारे गुणों की क़द्र करें और हमें आदर दें; दूसरी, वे हमसे प्रेम करें और हमारे महत्त्व को अनुभव करें।

6. किसी व्यक्ति के हृदय को जीतने के लिए हमें किस तरह का व्यवहार करना चाहिए?

उत्तर: किसी व्यक्ति के हृदय को जीतने के लिए हमें उसकी भावनाओं को समझकर, सच्चाई और स्नेह से व्यवहार करना चाहिए।

उचित उत्तर के सामने (✓) का निशान लगाइये

व्यवहार कुशलता के उपयुक्त लक्षण के आगे सही (✓) का निशान लगाइये-

(क) दूसरों के प्रति शिष्टाचार का निर्वाह करना।
(ख) दूसरों की भावना को समझकर चुप रहना।
(ग) आत्मप्रशंसा के लिए अवसर के अनुकूल आचरण करना।
(घ) किसी को दुःखी देखकर अपना दुःख प्रकट करना ।

उत्तर: (क) दूसरों के प्रति शिष्टाचार का निर्वाह करना।

निम्नलिखित वाक्यांशों की सन्दर्भ सहित सप्रसंग व्याख्या कीजिये

1. “ऐसा ! तब तो तुमने बड़ी हिम्मत दिखायी ! मैं तो अपने पहले भाषण में मुश्किल से तीन वाक्य भी ठीक से नहीं बोल पाया था। शुरू-शुरू में तो ऐसा होता ही है, पर बाद में आदत होने से यह सब दूर हो जाता है ।”

सन्दर्भ: यह वाक्यांश “व्यवहार-कुशलता” निबंध से लिया गया है। इस निबंध के लेखक अनन्त गोपाल शेवड़े हैं।

प्रसंग: इस वाक्यांश में लेखक ने एक विद्यार्थी के पहले भाषण के असफल होने पर उसके प्रोत्साहन की बात की है। लेखक स्वयं अपनी प्रारम्भिक असफलताओं का जिक्र करते हुए उसकी हिम्मत बढ़ाते हैं।

व्याख्या: लेखक ने इस वाक्यांश में एक विद्यार्थी के पहले भाषण की असफलता का उल्लेख करते हुए उसे प्रोत्साहित किया है। विद्यार्थी अपने पहले भाषण में घबरा गया था और कुछ ही वाक्य कहने के बाद बैठ गया था। लेखक ने उसे दिलासा दिया कि पहली बार में असफल होना स्वाभाविक है और बाद में अभ्यास से यह समस्या दूर हो जाती है। लेखक ने अपने अनुभव का उदाहरण देकर उसकी हिम्मत बढ़ाई और यह संदेश दिया कि कठिनाइयों से घबराने की बजाय धैर्य और अभ्यास से उन्हें पार किया जा सकता है। इस प्रकार, लेखक ने उस विद्यार्थी को सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास की शिक्षा दी।

2. “जब लोग त्रस्त होते हों, पराजित हों या शोक-ग्रस्त हों तभी उन्हें हमारी सहानुभूति, सहायता या प्रोत्साहन की ज़रूरत होती है। उस समय आदमी का आत्मविश्वास लड़खड़ा जाता है ।”

सन्दर्भ: यह वाक्यांश “व्यवहार-कुशलता” निबंध से लिया गया है। इस निबंध के लेखक अनन्त गोपाल शेवड़े हैं।

प्रसंग: इस वाक्यांश में लेखक ने बताया है कि कठिन समय में दूसरों की सहानुभूति और सहायता की कितनी आवश्यकता होती है।

व्याख्या: इस वाक्यांश में लेखक ने उस समय की बात की है जब कोई व्यक्ति कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा होता है, जैसे कि वह त्रस्त हो, पराजित हो या शोक-ग्रस्त हो। ऐसे समय में उसकी आत्मविश्वास की कमी हो जाती है और वह निराशा में डूब जाता है। उस समय उसे हमारी सहानुभूति और प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। लेखक इस बात पर जोर देते हैं कि हमें ऐसे व्यक्तियों का मज़ाक उड़ाने या उनकी कमजोरियों का फायदा उठाने के बजाय उन्हें सहारा देना चाहिए। इसी से हम उनके जीवन में एक सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं और हमारी लोकप्रियता भी बढ़ती है।

3. “मानव की दो मूल प्रवृत्तियाँ होती हैं। एक तो यह कि लोग हमारे गुणों की क़द्र करें, हमें दाद दें और हमारा आदर करें और दूसरे वे हम पर प्रेम करें, हमारा अभाव महसूस करें, उनके जीवन में हम कुछ महत्त्व रखते हैं- ऐसा अनुभव करें।”

सन्दर्भ: यह वाक्यांश “व्यवहार-कुशलता” निबंध से लिया गया है। इस निबंध के लेखक अनन्त गोपाल शेवड़े हैं।

प्रसंग: इस वाक्यांश में लेखक ने मानव स्वभाव की दो प्रमुख प्रवृत्तियों का वर्णन किया है जो उसकी व्यवहार-कुशलता से जुड़ी हैं।

व्याख्या: इस वाक्यांश में लेखक ने मानव की दो प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख किया है। पहली प्रवृत्ति यह है कि लोग हमारे गुणों की सराहना करें, हमें आदर दें और हमारी तारीफ करें। दूसरी प्रवृत्ति यह है कि लोग हमसे प्रेम करें, हमारे न होने पर हमारा अभाव महसूस करें और हमारे जीवन का उनके जीवन में महत्त्व हो। लेखक के अनुसार, ये दोनों प्रवृत्तियाँ मनुष्य के स्वाभाविक गुण हैं और इन्हीं से उसकी व्यवहार-कुशलता का विकास होता है। यदि हम दूसरों के प्रति सही व्यवहार करते हैं, तो हम उनके जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर सकते हैं और उनके दिलों में जगह बना सकते हैं। इसी से सामाजिक जीवन में सफलता और लोकप्रियता प्राप्त होती है।

V. शब्दों के अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिये

उत्तर:

  • आश्वस्त
    अर्थ: भरोसा दिलाया हुआ
    वाक्य: शिक्षक की बातों से विद्यार्थी पूरी तरह से आश्वस्त हो गया।
  • प्रोत्साहन
    अर्थ: उत्साह बढ़ाना
    वाक्य: उसके अच्छे कार्यों पर गुरुजी ने उसे प्रोत्साहन दिया।
  • त्रस्त
    अर्थ: भयभीत, परेशान
    वाक्य: लगातार हो रही बारिश से गाँव के लोग त्रस्त हो गए।
  • अन्तःकरण
    अर्थ: हृदय, आत्मा
    वाक्य: किसी भी निर्णय से पहले अपने अन्तःकरण की आवाज़ सुननी चाहिए।
  • प्रवृत्तियाँ
    अर्थ: जन्मजात गुण, स्वभाव
    वाक्य: बच्चों में सीखने की प्रवृत्तियाँ प्रारम्भ से ही प्रकट होती हैं।
  • निमन्त्रण
    अर्थ: बुलावा
    वाक्य: उसने अपने जन्मदिन की पार्टी के लिए सभी दोस्तों को निमन्त्रण भेजा।
  • अनुभव
    अर्थ: किसी घटना या कार्य से मिली जानकारी या सीख
    वाक्य: इस कार्य को करने का मुझे पहले से ही अनुभव है।
अभ्यास प्रश्न

1. लिंग किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइये।

उत्तर: संज्ञा शब्द के जिस रूप से पुरुष व स्त्री जाति का ज्ञान होता है, वह लिंग कहलाता है। जैसे- लड़का, लड़की, गाय, चीता, मैना आदि।

2. निम्नलिखित शब्दों के लिंग बताइये-

उत्तर:

  • ब्रह्मपुत्र – पुल्लिंग
  • पक्षी – पुल्लिंग
  • जलज – पुल्लिंग
  • विद्वान् – पुल्लिंग
  • प्रिया – स्त्रीलिंग
  • सेविका – स्त्रीलिंग
  • शुभा – स्त्रीलिंग
  • विधुर – पुल्लिंग
  • विधवा – स्त्रीलिंग

3. निम्नलिखित शब्दों के लिंग परिवर्तन कीजिये-

उत्तर:

  • वधू – वर
  • युवा – युवती
  • महाशय – महाशया
  • जेठ – जिठानी
  • पुरुष – स्त्री
  • नारी – नर
  • पुजारी – पुजारिन
  • मृग – मृगी
  • अध्यापक – अध्यापिका
  • सेवक – सेविका

4. निम्नलिखित वाक्यों की लिंग सम्बधी अशुद्धियों को दूर करके शुद्ध वाक्य बनाइये।

(क) उसकी टाँग टूट गया।
(ख) बुआ जी आ रहे है।
(ग) वह ग्यारहवें कक्षा में पढ़ती है।
(घ) तुम्हारा आत्मा अपवित्र है।
(ड.) दीपक के लौ जगमगा उठी।
(च) आपने यह पुस्तक लिख डाला।
(छ) लड़की पत्र लिख रहा था।
(ज) हर एक ने चप्पल पहन रखा था।

उत्तर: (क) उसकी टाँग टूट गई।
(ख) बुआ जी आ रही हैं।
(ग) वह ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ती है।
(घ) तुम्हारी आत्मा अपवित्र है।
(ड.) दीपक की लौ जगमगा उठी।
(च) आपने यह पुस्तक लिख दी।
(छ) लड़की पत्र लिख रही थी।
(ज) हर एक ने चप्पल पहन रखी थी।

गृहकार्य

चेक बुक खो जाने के सम्बन्ध में बैंक मैनेजर को एक पत्र लिखिये ।

उत्तर:

सेवा में,
बैंक प्रबंधक,
[बैंक का नाम],
[शाखा का नाम],
[शहर का नाम]

विषय: चेक बुक खो जाने के संबंध में सूचना

महोदय,

सविनय निवेदन है कि मैं आपके बैंक की [खाता संख्या] का खाताधारक हूं। दुर्भाग्यवश, मेरी चेक बुक (संख्या [चेक बुक की संख्या], जारी तिथि [तारीख]) हाल ही में खो गई है। यह घटना [दिनांक] को हुई थी। मैंने हर संभव स्थान पर इसे ढूंढने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली।

आपसे विनम्र निवेदन है कि कृपया इस खोई हुई चेक बुक को अविलंब निरस्त कर दें और मेरे खाते में किसी भी प्रकार के लेन-देन को रोकने की कृपा करें। साथ ही, कृपया मुझे एक नई चेक बुक जारी करने की प्रक्रिया शुरू करें।

अविलंब कार्रवाई हेतु मैं आपका आभारी रहूंगा।

धन्यवाद सहित,
[आपका नाम]
[आपका पता]
[आपका संपर्क नंबर]

‘देशाटन से लाभ’ विषय पर २०० शब्दों का एक निबन्ध लिखिये।

उत्तर: देशाटन से लाभ

देशाटन का अर्थ है अपने देश के विभिन्न स्थानों की यात्रा करना। यह न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि ज्ञानवर्धन का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है। देशाटन के माध्यम से व्यक्ति नये-नये स्थानों की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकता है और वहां की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विशेषताओं को जान सकता है।

देशाटन से व्यक्ति का मानसिक विकास होता है। नई जगहों पर जाकर वहां के लोगों के रहन-सहन, भाषा, खान-पान और संस्कृति को समझने का अवसर मिलता है, जिससे व्यक्ति की सोच में व्यापकता आती है। इसके अलावा, यात्रा के दौरान नए-नए अनुभवों से सामना होता है, जो जीवन के प्रति दृष्टिकोण को परिपक्व बनाते हैं।

देशाटन से व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक थकान दूर होती है। शहरों की भाग-दौड़ भरी जिंदगी से कुछ समय के लिए दूर रहकर प्राकृतिक वातावरण का आनंद लेना स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है। इसके अलावा, यात्रा के दौरान विभिन्न लोगों से मिलने और उनके विचारों को समझने से सामाजिक अनुभव में भी वृद्धि होती है।

संक्षेप में, देशाटन से न केवल मनोरंजन प्राप्त होता है, बल्कि यह ज्ञान, अनुभव और स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। हर व्यक्ति को समय-समय पर देशाटन के लिए अवश्य जाना चाहिए।

अतिरिक्त (extras)

प्रश्न और उत्तर (questions and answers)

1. व्यक्तियों को सबसे अधिक सहारे की आवश्यकता कब होती है?

उत्तर: जब वे निराशा में डूबे होते हैं।

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19. जो लोग कठिन समय में सहारा देते हैं, उन्हें क्या प्राप्त होता है?

उत्तर: वे लोगों के हृदय में हमेशा के लिए स्थान प्राप्त कर लेते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

1. तरुण विद्यार्थी का भाषण देने का यह कौन सा मौका था?

(क) तीसरा
(ख) पहला
(ग) दूसरा
(घ) चौथा

उत्तर: (ख) पहला

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10. लेखक के अनुसार, सच्ची भावना किसे बांध सकती है?

(क) बुद्धि को
(ख) मन को
(ग) हृदय को
(घ) विचारों को

उत्तर: (ग) हृदय को

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