Get notes, summary, questions and answers, MCQs, extras, and PDFs of Chapter 6 “मेरा बचपन (Mera Bachpan)” which is part of Nagaland Board (NBSE) Class 9 Alternative Hindi answers. However, the notes should only be treated as references and changes should be made according to the needs of the students.
सारांश (Summary)
“मेरा बचपन” (Mera Bachpan) नामक इस पाठ में लेखिका आशापूर्णा देवी (Ashapurna Devi) अपने बचपन के अनुभवों का भावनात्मक और सरल चित्रण करती हैं। वे बताती हैं कि उनके बचपन का समय आज की तुलना में बहुत सरल और सादगी भरा था। उस समय कोलकाता में डोलियाँ चलती थीं, रिक्शा और बस जैसी आधुनिक सुविधाएँ नहीं थीं। बड़े-बड़े घरों में रहने वाली महिलाएँ डोली में सफर करती थीं और उनके साथ कहार होते थे जो इन्हें लेकर चलते थे। उस समय के लोगों में सादगी और संतोष का भाव था। लोग कम में ही खुश हो जाते थे।
लेखिका ने धोबी, नाई, और कहार जैसे कामगारों का उदाहरण दिया है, जो कम मेहनताने में भी संतुष्ट रहते थे। वे अपने बचपन की तुलना आज के बच्चों से करती हैं और कहती हैं कि आज के बच्चे अक्सर कहते हैं कि “अच्छा नहीं लग रहा,” जबकि उनके समय में लोग “अकारण ही अच्छा” महसूस करते थे। उस समय बहुत सी आधुनिक चीजें नहीं थीं, जैसे रिक्शा, बस, रेडियो, टेलीविजन, और हवाई जहाज।
लेखिका को अपने बचपन में बहुत संतोष था, वे बताती हैं कि उनका समय सरलता और कम साधनों का था, फिर भी खुशहाल था। वे कहती हैं कि पहले लोगों के पास दिल था, आज वह भावना कहीं खो गई है। पुराने समय में शादी-ब्याह में लोग कई दिनों तक रुकते थे, और हर काम उत्सव की तरह होता था। आज की तुलना में बच्चों पर पढ़ाई का बोझ भी कम था, और वे आसानी से स्कूल पास कर लेते थे।
लेखिका अपने लेखन के सफर की शुरुआत का भी जिक्र करती हैं, जब तेरह साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली रचना लिखी थी, जिसे संपादक ने सराहा था।
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पाठ्य प्रश्न और उत्तर (textual questions and answers)
मौखिक प्रश्न
1. बड़ी मौसी या मँझली नानी माँ का अकेले आना डर की बात क्यों नहीं थी?
उत्तर: बड़ी मौसी या मँझली नानी माँ का अकेले आना डर की बात इसलिए नहीं थी क्योंकि वे सफेद धोती पहने रहती थीं, शरीर पर गहने का नामोनिशान नहीं था, सिर मुँड़ा हुआ था। इसलिए चोर-डकैतों से कोई डर नहीं था।
2. लेखिका को बचपन की बातें शुरू करने में खतरा क्यों लगता है?
उत्तर: लेखिका को बचपन की बातें शुरू करने में खतरा इसलिए लगता है क्योंकि स्मृतियों का समुद्र उफन उठता है।
3. लेखिका को पहला उपहार क्या मिला?
उत्तर: लेखिका को पहला उपहार एक मोटी-सी कॉपी मिली थी, जो उनके भैया ने खोयी हुई किताब ढूँढने पर उन्हें दी थी।
4. लेखिका उस उपहार को जीवन में मिले अन्य उपहारों से श्रेष्ठ क्यों मानती हैं?
उत्तर: लेखिका उस उपहार को जीवन में मिले अन्य उपहारों से श्रेष्ठ इसलिए मानती हैं क्योंकि वह पहला उपहार था जो किसी ने उनके मन को पढ़कर दिया था, और उसका कोई भी तुलना नहीं कर सकता।
5. लेखिका की प्रारम्भिक रचनाएँ किन-किन पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं?
उत्तर: लेखिका की प्रारम्भिक रचनाएँ ‘शिशुसाथी’ और ‘खोकाखुकू’ नामक बाल पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई थीं।
लिखित प्रश्न
1. लेखिका ने अपने बचपन को बहुत थोड़े में सन्तुष्ट होनेवाला दौर क्यों कहा है ?
उत्तर: लेखिका ने अपने बचपन को बहुत थोड़े में सन्तुष्ट होनेवाला दौर इसलिए कहा है क्योंकि उस समय लोग कम में सन्तुष्ट हो जाते थे, बच्चे भी थोड़े में संतुष्ट रहते थे। धोबी, नाई, कुली, कहार, गाड़ीवान सब-के-सब थोड़े में सन्तुष्ट हो जाते थे। धोबी को यदि कपड़ों के साथ कुछ छोटे कपड़े मुफ्त में फींचने को देकर दो पैसा ‘जलपान’ के लिए दे दिया जाता था तो वह बहुत खुश हो जाता था। नाई भी बड़ों के बाल काटते समय छोटे बच्चों के बाल खुशी से मुफ्त में काट दिया करता था। लोग ज्यादा की अपेक्षा नहीं करते थे और बहुत थोड़े में खुश हो जाते थे।
2. लेखिका अपने बचपन और आज के बच्चों के बचपन में क्या-क्या अन्तर पाती हैं ?
उत्तर: लेखिका अपने बचपन और आज के बच्चों के बचपन में कई अन्तर पाती हैं। उनके बचपन में लोग बहुत कम में संतुष्ट होते थे, बच्चों के चेहरे हमेशा संतुष्ट दिखते थे। लेकिन आज के बच्चों को कुछ भी अच्छा नहीं लगता, वे असंतुष्ट रहते हैं। आज के बच्चों की जुबान से ही यह सुनने को मिलता है कि ‘अच्छा नहीं लग रहा।’ यह उनके आसपास की अधिक सुविधाओं और हमेशा ‘अच्छा लगनेवाले’ चेहरों के कारण हुआ है। लेखिका के समय में बच्चे अकारण ही खुश रहते थे और संतुष्ट रहते थे, जबकि आज के बच्चों में वह संतुष्टि नहीं है।
3. कोलकाता में बहुत-कुछ न होने पर भी अपने बचपन में कोलकाता में बिताये गये दिनों को लेखिका ने गौरवपूर्ण क्यों कहा है ?
उत्तर: लेखिका ने कोलकाता में बहुत-कुछ न होने पर भी अपने बचपन में कोलकाता में बिताये गये दिनों को गौरवपूर्ण इसलिए कहा है क्योंकि उस समय भी कोलकाता का अपना एक गौरव था। कोलकाता में उस समय भले ही रिक्शा, बस, टैक्सी, माइक, बल्ब, और अन्य आधुनिक सुविधाएँ नहीं थीं, फिर भी लोग संतुष्ट और खुश थे। उस समय दुकानदार या व्यापारी ‘कालाबाजारी’ नहीं करते थे और हर चीज़ मिल जाती थी। कोलकाता में पैसा फेंकने पर आधी रात में भी बाघ का दूध मिल सकता था, ऐसी बात कही जाती थी, जो उस समय की स्थिति और शहर के गौरव को दर्शाती है।
4. प्रस्तुत पाठ में आजकल के सम्पादकों पर लेखिका ने क्या व्यंग्य किया है ?
उत्तर: प्रस्तुत पाठ में लेखिका ने आजकल के सम्पादकों पर व्यंग्य करते हुए कहा है कि पहले के सम्पादक बहुत ही अच्छे और सहयोगी होते थे। लेखिका ने बताया कि जब उन्होंने तेरह वर्ष की उम्र में पहली बार कोई रचना लिखकर सम्पादक के पास भेजी तो वह तुरन्त छप गई और सम्पादक ने उन्हें बहुत प्रोत्साहित किया। लेकिन आजकल के सम्पादक नये लेखकों को देखकर नाक सिकोड़ते हैं और उनकी रचनाओं को बहुत जल्दी नकार देते हैं। वे नये लेखकों को प्रोत्साहित नहीं करते, बल्कि उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं।
5. आशय स्पष्ट कीजिये
(क) निष्ठा का वह आनन्द बड़ा सुखदायी होता था।
उत्तर: इस वाक्य में लेखिका ने अपने बचपन के दिनों में सरस्वती पूजा के समय की निष्ठा और उस निष्ठा के कारण मिलने वाले आनन्द की बात की है। बचपन में सरस्वती पूजा के दिन गलती से भी पढ़ाई न करने की भावना, पूजा के दिन के लिए पहले से किताबों को अलग रखने और पूजा के दिन वासंती रंग का कपड़ा पहनने जैसी परंपराओं का पालन करने से उन्हें जो आनंद मिलता था, उसे उन्होंने ‘सुखदायी’ कहा है। यह निष्ठा का पालन करते समय मिलने वाला आत्मसंतोष और पवित्रता उनके लिए बेहद आनंददायक था।
5. (ख) बचपन की प्राप्ति ही परम-प्राप्ति होती है, उसका स्वाद ही निराला होता है।
उत्तर: इस वाक्य में लेखिका ने अपने बचपन की विशेषताओं को व्यक्त किया है। उनके अनुसार बचपन में जो कुछ प्राप्त होता है, वह जीवन की सबसे बड़ी प्राप्ति होती है। बचपन की खुशियाँ, अनुभव और उपहार जीवन में मिलने वाले किसी अन्य अनुभव या उपहार से श्रेष्ठ होते हैं। बचपन की छोटी-छोटी प्राप्तियाँ भी बेहद मूल्यवान होती हैं और उनका स्वाद अतुलनीय होता है। जीवन के बाद के किसी भी अनुभव से उस आनंद की तुलना नहीं की जा सकती, जो बचपन में मिला था।
6. निम्नलिखित वाक्यों की सन्दर्भ तथा प्रसंग सहित व्याख्या कीजिये-
(i) आज के बच्चों की तो जुबानी बोली ही है ‘धत्! अच्छा नहीं लग रहा।’ क्यों अच्छा नहीं लग रहा शायद तुम लोग खुद भी नहीं जानते। असलियत तो यह है कि आस-पास हमेशा ‘अच्छा लगनेवाला’ चेहरा देखते-देखते तुम्हारी यह दशा हुई है।
उत्तर: सन्दर्भ: यह वाक्यांश “मेरा बचपन” पाठ से लिया गया है, जिसकी लेखिका आशापूर्णा देवी हैं। इसमें लेखिका ने वर्तमान और अतीत के बचपन की तुलना करते हुए आज के बच्चों की मानसिकता पर व्यंग्य किया है।
प्रसंग: इस वाक्य का प्रसंग बच्चों के मनोविज्ञान से है। लेखिका बता रही हैं कि आज के बच्चों को किसी भी चीज़ में संतोष नहीं होता और वे हमेशा किसी न किसी चीज़ की कमी महसूस करते हैं।
व्याख्या: इस वाक्य में लेखिका ने कहा है कि आज के बच्चों की सोच और भाषा ही बदल गई है। वे अक्सर यह कहते हैं कि ‘अच्छा नहीं लग रहा’ जबकि इसके पीछे कोई ठोस कारण नहीं होता। लेखिका का मानना है कि आज के बच्चों को उनकी चारों तरफ की वस्तुएं और वातावरण हमेशा आकर्षक और अच्छा दिखाया जाता है, जिससे उनकी सन्तुष्टि की क्षमता घट गई है। उनकी इस स्थिति का कारण यही है कि वे हर समय बाहरी चमक-दमक के पीछे रहते हैं और उनके पास संतोष का कोई भाव नहीं रह गया है।
(ii) विज्ञान की अविश्वसनीय प्रगति और आराम-सुविधा की जितनी भी सामग्री आज उपलब्ध है वह पिछले पचास-साठ वर्षों के दौरान ही हुई।
उत्तर: सन्दर्भ: यह वाक्यांश भी “मेरा बचपन” पाठ से लिया गया है। इसमें लेखिका आशापूर्णा देवी ने विज्ञान की अद्भुत प्रगति और जीवन में आई आरामदायक सुविधाओं का उल्लेख किया है।
प्रसंग: लेखिका आधुनिक समय की वैज्ञानिक प्रगति और आरामदायक साधनों की चर्चा करते हुए इस वाक्य का उपयोग करती हैं, जिसमें वे वर्तमान समय की सुविधाओं का जिक्र करती हैं जो उनके बचपन में उपलब्ध नहीं थीं।
व्याख्या: इस वाक्य में लेखिका कह रही हैं कि पिछले पचास-साठ वर्षों में विज्ञान ने इतनी तेज़ी से प्रगति की है कि वह अविश्वसनीय लगती है। आज के समय में जितनी भी सुविधाएँ, जैसे बिजली, ट्रांसपोर्ट, संचार माध्यम आदि, हमें सहज रूप से मिल रहे हैं, वे सब विज्ञान की देन हैं। लेखिका यह संकेत देती हैं कि उनके बचपन के समय में ये सभी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं थीं और आज के बच्चों के पास जीवन के हर क्षेत्र में बहुत सी सुविधाएँ हैं।
(iii) लेकिन इतना कहे बिना रहा नहीं जा रहा कि निमन्त्रितों को जब विदा किया जाता था तब ज़बरदस्ती उनके हाथ में आने-जाने का किराया तक दे दिया जाता था।
उत्तर: सन्दर्भ: यह वाक्यांश “मेरा बचपन” पाठ से लिया गया है, जिसमें लेखिका आशापूर्णा देवी ने पुराने समय की सामाजिक परम्पराओं का वर्णन किया है।
प्रसंग: इस वाक्य का प्रसंग शादियों में मिलने वाली मेहमाननवाज़ी और पुराने समय की रीति-रिवाज़ों से है। लेखिका ने अपने बचपन की शादियों और उनमें मिलने वाले सम्मान को याद करते हुए इस वाक्य का उपयोग किया है।
व्याख्या: इस वाक्य में लेखिका बता रही हैं कि उनके समय की शादियों में मेहमानों की कितनी इज्जत की जाती थी। जब मेहमानों को विदा किया जाता था, तो न केवल उन्हें भरपूर खाना खिलाया जाता था, बल्कि उन्हें यात्रा का किराया भी दिया जाता था। यह रीति-रिवाज आज के समय की तुलना में विशेष रूप से उल्लेखनीय है, क्योंकि वर्तमान में ऐसी व्यवस्थाएँ देखने को नहीं मिलतीं।
7. पाठ के आधार पर सही (✓) गलत (x) का चिह्न लगाइये –
(i) हमारा बचपन तो बहुत थोड़े से सन्तुष्ट होनेवाला दौर नहीं था।
उत्तर: गलत (x)
(ii) हमारे बचपन में कोई सार्वजनिक पूजा नहीं होती थी।
उत्तर: सही (✓)
(iii) जब पहली बार फाउण्टेन पेन निकला तो रवीन्द्रनाथ ने उसका नामकरण किया-झरना पेन।
उत्तर: सही (✓)
(iv) बचपन की बातें शुरू करने में ख़तरा है।
उत्तर: सही (✓)
(v) बचपन की प्राप्ति ही परम-प्राप्ति होती है उसका स्वाद ही निराला होता है।
उत्तर: सही (✓)
8. यह कथन किसने तथा किस सन्दर्भ में कहा है ?
(i) लेकिन जीवन का पहला उपहार जो किसी ने मेरे मन को पढ़कर दिया था क्या उसके साथ किसी की तुलना की जा सकती है ?
उत्तर: यह कथन आशापूर्णा देवी ने कहा है। इसके सन्दर्भ में उन्होंने अपने बचपन के समय के एक अनुभव को बताया है, जब उनके भाई ने उन्हें एक कॉपी उपहार में दी थी। इस उपहार को वह अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण उपहार मानती हैं, क्योंकि यह उनके मन को समझकर दिया गया था और उन्होंने इसे अपने जीवन के अन्य उपहारों से श्रेष्ठ माना है।
(ii) आहा बेचारे ! कितना दुःख झेला है कितना दुःखी रहे।
उत्तर: यह कथन आशापूर्णा देवी ने अपने बचपन और वर्तमान समय की तुलना करते हुए कहा है। उन्होंने व्यंग्यात्मक ढंग से यह बताया है कि आज के लोग पुराने समय के जीवन को दुखी मानते हैं, जबकि उनके बचपन में सन्तोष और खुशी थी, भले ही भौतिक साधनों की कमी थी।
(iii) आहा उस दिन भैया मुझे स्वर्ग के देवता के बराबर लगा था।
उत्तर: यह कथन आशापूर्णा देवी ने अपने भाई द्वारा दिए गए पहले उपहार के सन्दर्भ में कहा है। उस समय उनके भाई ने उन्हें एक रूलदार कॉपी उपहार में दी थी, जो उनके लिए अत्यन्त मूल्यवान थी। उस उपहार को पाकर उन्हें अपने भाई के प्रति गहरा स्नेह महसूस हुआ और उन्होंने उसे स्वर्ग के देवता के समान माना।
9. पाठ के आधार पर खाली स्थानों को भरिये-
(i) _______ का मतलब है मेघ का गर्जन ।
उत्तर: मेघनाद
(ii) हमारे बचपन में कोई _______ पूजा नहीं होती थी।
उत्तर: सार्वजनिक
(iii) _______ का समुद्र उफन उठता है ।
उत्तर: स्मृतियों
(iv) दोष तुम्हारे _______ का है।
उत्तर: सम्पादक
(v) निष्ठा का वह _______ बड़ा _______ होता था।
उत्तर: आनन्द, सुखदायी
10. निम्नलिखित मुहावरों द्वारा सार्थक वाक्य बनाइये-
(i) गद्गद होना
अर्थ: अत्यंत प्रसन्न और भावुक हो जाना।
उत्तर: पुरस्कार पाकर वह गद्गद हो गया।
(ii) आँखें फटी-की-फटी रह जाना
अर्थ: अत्यधिक आश्चर्यचकित हो जाना।
उत्तर: जादूगर का खेल देखकर सबकी आँखें फटी-की-फटी रह गईं।
(iii) चारा न होना
अर्थ: कोई विकल्प न होना।
उत्तर: समय पर पहुँचने के लिए उसके पास दौड़ने के सिवा कोई चारा न था।
(iv) नाक कटना
अर्थ: अपमानित होना।
उत्तर: परीक्षा में असफल होने से उसकी नाक कट गई।
(v) लाल पीला होना
अर्थ: बहुत क्रोधित होना।
उत्तर: उसकी बात सुनकर वह लाल पीला हो गया।
अभ्यास-प्रश्न
1. उदाहरण सहित क्रिया-विशेषण की परिभाषा लिखिये।
उत्तर: जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं, उन्हें क्रिया-विशेषण कहते हैं। उदाहरण: “नरोला धीरे-धीरे चलती है।” इस वाक्य में ‘धीरे-धीरे’ शब्द क्रिया-विशेषण है क्योंकि यह ‘चलने’ की क्रिया की विशेषता बता रहा है।
2. कालवाचक क्रिया-विशेषण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर: जो क्रिया-विशेषण क्रिया में होनेवाले कार्य का समय बताता है, उसे कालवाचक क्रिया-विशेषण कहते हैं। उदाहरण: “वह सुबह टहलता है।” इस वाक्य में ‘सुबह’ शब्द कालवाचक क्रिया-विशेषण है क्योंकि यह ‘टहलने’ की क्रिया का समय बता रहा है।
3. उचित क्रिया-विशेषण लगाकर रिक्त स्थान भरिये-
(क) तुम _______ नहीं बोलते।
उत्तर: तुम स्पष्ट नहीं बोलते।
(ख) तुम्हारे _______ चिल्लाने से मेरी नींद उचट गयी।
उत्तर: तुम्हारे जोर-जोर चिल्लाने से मेरी नींद उचट गयी।
(ग) मैं दौड़-धूप करते-करते _______ थक गया।
उत्तर: मैं दौड़-धूप करते-करते अधिक थक गया।
(घ) गाड़ी _______ पर आ गयी।
उत्तर: गाड़ी धीरे-धीरे पर आ गयी।
(ङ) प्रथम आने के लिए तेसिन्लो _______ से दौड़ा।
उत्तर: प्रथम आने के लिए तेसिन्लो तेज़ी से दौड़ा।
4. निम्नलिखित वाक्यों में क्रिया-विशेषण सम्बन्धी अशुद्धियाँ हैं। इन्हें शुद्ध करके लिखिये-
(क) सारी रात भर मैं जागता रहा।
उत्तर: सारी रात मैं जागता रहा।
(ख) यह कदापि भी सत्य नहीं हो सकता।
उत्तर: यह कदापि सत्य नहीं हो सकता।
(ग) मैं आज प्रातःकाल के समय घूमने गया था।
उत्तर: मैं आज प्रातः घूमने गया था।
(घ) वह बड़ा आगे चले गये।
उत्तर: वह बहुत आगे चले गये।
(ङ) जैसा करोगे वैसा भरोगे।
उत्तर: जैसा करोगे वैसा पाओगे।
गृह-कार्य
1. कम्प्यूटर का महत्त्व बताते हुए पत्र लिखकर छोटे भाई को कम्प्यूटर सीखने के लिए प्रेरित कीजिये ।
उत्तर:
प्रिय छोटे भाई,
आशा करता हूँ कि तुम स्वस्थ और प्रसन्नचित्त होंगे। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि तुम्हारी पढ़ाई अच्छी चल रही है। आज मैं तुमसे एक महत्वपूर्ण विषय पर बात करना चाहता हूँ, और वह है—कम्प्यूटर सीखने का महत्त्व।
जैसा कि तुम जानते हो, आज के दौर में कम्प्यूटर हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। स्कूल की पढ़ाई से लेकर ऑफिस के काम तक, हर क्षेत्र में कम्प्यूटर का प्रयोग हो रहा है। इसके माध्यम से हम कुछ ही पलों में दुनिया भर की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। कम्प्यूटर का ज्ञान रखने वाले छात्रों को न केवल पढ़ाई में मदद मिलती है, बल्कि भविष्य में नौकरी के अच्छे अवसर भी प्राप्त होते हैं।
कम्प्यूटर सीखने से न केवल तुम्हारी पढ़ाई में मदद मिलेगी, बल्कि यह तुम्हें नई तकनीकों के बारे में भी सिखाएगा। तुम इंटरनेट का सही उपयोग करना सीखोगे, प्रोजेक्ट बनाना, प्रोग्रामिंग करना और बहुत कुछ कर सकोगे। आजकल लगभग हर नौकरी में कम्प्यूटर का ज्ञान अनिवार्य हो गया है, और इसे सीखना तुम्हारे करियर के लिए एक मजबूत नींव साबित होगा।
तुम्हारे स्कूल में कम्प्यूटर क्लासेस भी होती हैं, इसलिए मेरी सलाह है कि तुम इसे गंभीरता से लो और कम्प्यूटर के हर पहलू को सीखने की कोशिश करो। इसके अलावा, यदि तुम और भी अधिक सीखना चाहते हो, तो तुम घर पर भी प्रैक्टिस कर सकते हो। मैं आशा करता हूँ कि तुम इसे जल्द ही सीखने का प्रयास शुरू करोगे और इसमें निपुण बनोगे।
अब बस यहीं समाप्त करता हूँ। अपना ख्याल रखना और समय पर पढ़ाई करना मत भूलना।
तुम्हारे उत्तर का इंतजार रहेगा।
तुम्हारा भाई, (तुम्हारा नाम)
2. ‘टेलीविजन का प्रभाव’ विषय पर 200 शब्दों का एक निबन्ध लिखिये ।
उत्तर: ‘टेलीविजन का प्रभाव’
टेलीविजन आज के युग में मनोरंजन और जानकारी का एक प्रमुख साधन बन गया है। यह न केवल लोगों को दुनिया भर की घटनाओं से अवगत कराता है, बल्कि शिक्षा, खेल, कला, संस्कृति और मनोरंजन से भी जुड़ी सामग्री प्रस्तुत करता है। इसके विभिन्न चैनल्स पर शिक्षा से संबंधित कार्यक्रमों को देखकर विद्यार्थी अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं। इसके अलावा, टेलीविजन पर प्रसारित वृत्तचित्र, समाचार और ज्ञानवर्धक कार्यक्रम लोगों को जानकारी और जागरूकता प्रदान करते हैं।
हालांकि, टेलीविजन के कई सकारात्मक पहलू हैं, इसके नकारात्मक प्रभाव भी हैं। यदि इसका अत्यधिक उपयोग किया जाए, तो यह बच्चों और युवाओं पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। हिंसक और असामाजिक कार्यक्रमों को देखने से उनके मानसिक और सामाजिक विकास पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। इसके अलावा, अधिक समय तक टेलीविजन देखने से शारीरिक सक्रियता में कमी आती है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे मोटापा और आंखों में कमजोरी हो सकती हैं।
अतः, टेलीविजन का सही और सीमित उपयोग आवश्यक है। यह महत्वपूर्ण है कि हम इसका प्रयोग अपने ज्ञान और मनोरंजन के लिए करें, लेकिन इसका अत्यधिक उपयोग करने से बचें। हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि टेलीविजन हमारी दिनचर्या का हिस्सा बने, न कि हमारे जीवन पर हावी हो।
3. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिये-
(क) यह पिता जी के स्वभाव के अनुरूप नहीं है।
उत्तर: यह पिता जी के स्वभाव के अनुकूल नहीं है।
(ख) माता जी के आज्ञा के अनुकूल वह सो गया।
उत्तर: माता जी की आज्ञा के अनुकूल वह सो गया।
(ग) यह पत्र उनके अनुसार ही है।
उत्तर: यह पत्र उनके कहे अनुसार ही है।
(घ) यह मुराद का घर है। यहाँ वह रहता है।
उत्तर: यह मुराद का घर है जहाँ वह रहता है।
(ङ) यदि वर्षा में भींग गये तब बीमार पड़ जाओगे।
उत्तर: यदि वर्षा में भीग गये तो बीमार पड़ जाओगे।
अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर (extra questions and answers)
1. कोलकाता के रास्तों पर किस प्रकार का परिवहन था?
उत्तर: उस समय कोलकाता के रास्तों पर डोली चलती थी। रिक्शा का नाम तक नहीं सुना गया था। डोली को चार हट्टे-कट्टे कहार उठाते थे और सवारी को सुरक्षित पहुंचाते थे।
25. लेखिका के समय की आर्थिक स्थिति कैसी थी?
उत्तर: लेखिका के समय की आर्थिक स्थिति आज की तुलना में बेहतर थी। चीजों का दाम कम था और लोग थोड़े में ही संतुष्ट रहते थे। चीनी से जमाया गया खॉटी दही छह आना सेर, रबड़ी चौदह आना सेर और कटी हुई मछली आठ आना सेर में मिलती थी।
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