वापसी (Wapsi): NBSE Class 10 Alternative Hindi (हिन्दी)

वापसी (Wapsi)
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Get notes, summary, questions and answers, MCQs, extras, and PDFs of Chapter 4 “वापसी (Wapsi)” which is part of Nagaland Board (NBSE) Class 10 Alternative Hindi answers. However, the notes should only be treated as references and changes should be made according to the needs of the students.

सारांश (Summary)

कहानी “वापसी” (Wapsi) में लेखक उपेन्द्रनाथ अश्क (Upendranath Ashk) ने गजाधर बाबू नाम के एक सेवानिवृत्त व्यक्ति की कहानी बताई है। गजाधर बाबू वर्षों की नौकरी के बाद रिटायर होकर अपने घर लौटते हैं। वे बहुत खुश हैं क्योंकि अब वे अपने परिवार के साथ समय बिता सकेंगे। लेकिन घर पहुँचने पर उन्हें महसूस होता है कि परिवार में उनके लिए कोई प्यार या सम्मान नहीं बचा है।

उनकी पत्नी, बेटे अमर, बेटी वसन्ती, बहू और छोटे बेटे नरेन्द्र सब अपनी-अपनी दुनिया में व्यस्त हैं। गजाधर बाबू को लगता है कि वे घर में एक मेहमान की तरह हैं। घर में उनके लिए कोई जगह नहीं है; उन्हें बैठक में अस्थायी रूप से ठहराया जाता है। जब वे परिवार के साथ घुलने-मिलने की कोशिश करते हैं, तो सब उनसे कतराते हैं।

वे देखते हैं कि उनकी पत्नी अब बदल गई है। वह गृहस्थी के कामों और शिकायतों में डूबी रहती है। बच्चों को उनकी बातों में कोई दिलचस्पी नहीं है। जब वे घर के खर्च कम करने या काम में हाथ बँटाने की बात करते हैं, तो परिवार के सदस्य नाराज़ हो जाते हैं।

गजाधर बाबू को महसूस होता है कि उनका अस्तित्व परिवार के लिए बस एक बोझ है। वे घर में अजनबी की तरह रहने लगते हैं। अंत में, वे अपने एक मित्र की चीनी मिल में मैनेजर की नौकरी स्वीकार कर लेते हैं। जब वे जाने लगते हैं, तो परिवार में किसी को भी उनका जाना बुरा नहीं लगता। उनके जाने के बाद सब अपने-अपने कामों में लग जाते हैं।

कहानी में गजाधर बाबू के अकेलेपन और अंदरूनी पीड़ा को दिखाया गया है। यह कहानी उन बुजुर्गों की स्थिति को बताती है जिन्हें उनके अपने परिवार में उपेक्षा मिलती है। कहानी में यह भी दिखाया गया है कि कैसे समय के साथ रिश्तों में दूरी आ जाती है।

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पाठ्य प्रश्न और उत्तर (textual questions and answers)

नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिये

1. गजाधर बाबू पैंतीस वर्षों तक कहाँ कार्यरत थे?

उत्तर: गजाधर बाबू पैंतीस वर्षों तक रेलवे में कार्यरत थे।

2. गणेशी कौन था? वह किसका बिस्तर बाँध रहा था?

उत्तर: गणेशी गजाधर बाबू का नौकर था। वह गजाधर बाबू का बिस्तर बाँध रहा था।

3. गजाधर बाबू को अकेले क्यों रहना पड़ा था?

उत्तर: गजाधर बाबू को अकेले रहना पड़ा था क्योंकि बच्चों की पढ़ाई के कारण उनका परिवार शहर में रहता था और गजाधर बाबू छोटे स्टेशनों पर रहते थे।

4. गजाधर बाबू को देखते ही कहाँ सन्नाटा छा गया और क्यों?

उत्तर: गजाधर बाबू को देखते ही घर के अंदर सन्नाटा छा गया क्योंकि वहाँ सब लोग नाच-गाने में मग्न थे और उनके अचानक आने से सब चुप हो गए।

5. गजाधर बाबू के आने के पहले कौन क्या कर रहा था?

उत्तर: गजाधर बाबू के आने से पहले नरेन्द्र नाच रहा था, वसन्ती हँस रही थी और अमर की बहू को अपने तन-बदन या आँचल का कोई होश नहीं था।

6. गजाधर बाबू से उनकी पत्नी ने क्या पूछा?

उत्तर: गजाधर बाबू से उनकी पत्नी ने पूछा, “अरे आप अकेले बैठे हैं? वे सब कहाँ गये?”

7. नरेन्द्र ने खाने के सम्बन्ध में क्या कहा?

उत्तर: नरेन्द्र ने कहा, “मैं ऐसा खाना नहीं खा सकता।”

8. खाना बनानेवाले ने नरेन्द्र की बात का उत्तर किन शब्दों में दिया?

उत्तर: वसन्ती ने नरेन्द्र की बात का उत्तर देते हुए कहा, “तो न खाओ! कौन तुम्हारी खुशामद करता है?”

नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर तीन-चार वाक्यों में दीजिये

1. गजाधर बाबू को अपनी पत्नी की कौन-कौन-सी बातें याद आती थीं?

उत्तर: गजाधर बाबू को उनकी पत्नी की कई बातें याद आती थीं, जैसे जब वह उनके लिए खाना गरम रखती थीं, आग्रह करके कुछ और परोस देती थीं। उनकी आहट सुनकर चौके के दरवाजे पर निकल आतीं और उनकी सलज्ज आँखें मुस्करा उठतीं। ये सारी बातें गजाधर बाबू को उदास कर देती थीं।

2. पत्नी ने जूठे बरतनों को देखकर अपने पति से क्या शिकायत की?

उत्तर: पत्नी ने जूठे बरतनों को देखकर अपने पति से शिकायत की कि इस घर में धरम-करम कुछ नहीं है। पूजा करके फिर वही जूठा सकोरा छूना पड़ता है। किसी से इतना भी नहीं होता कि खाये-पिये बर्तन ही समेट दें।

3. उनकी पत्नी का कमरा कैसा था?

उत्तर: उनकी पत्नी का कमरा छोटा था। एक कोने में अचारों के मर्तबान, दाल-चावल के कनस्तर और घी के डिब्बे रखे थे। दूसरी ओर पुरानी दरियों में लपेटी और रस्सी से बंधी रजाइयाँ रखी थीं। बीच में वसन्ती के कपड़े लापरवाही से पड़ी हुई अलगनी थी। कमरे में वसन्ती और उसकी माँ के बक्से भी थे।

4. उनकी पत्नी की नींद कैसे खुल गयी? भीतर से लौटकर आने पर उसका मुँह क्यों फूला हुआ था?

उत्तर: भीतर कुछ गिरने से उनकी पत्नी की नींद खुल गयी। भीतर से लौटकर आने पर उसका मुँह इसलिए फूला हुआ था क्योंकि बहू रसोई खुली छोड़ आयी थी और बिल्ली ने दाल की पतीली गिरा दी थी। इसी बात से पत्नी नाराज थी।

5. गजाधर बाबू के आने से पहले अमर ने अलग होने की बात क्यों नहीं सोची?

उत्तर: गजाधर बाबू के आने से पहले अमर ने अलग होने की बात इसलिए नहीं सोची थी क्योंकि अमर घर का मालिक बनकर रहता था। बहू को कोई रोक-टोक नहीं थी। अमर के दोस्तों का अक्सर अड्डा घर पर जमा रहता था और अन्दर से चाय-नाश्ता जाता रहता था। वसन्ती को भी यह सब अच्छा लगता था।

6. गजाधर बाबू के व्यवहार में क्या परिवर्तन हो गया था?

उत्तर: गजाधर बाबू के व्यवहार में यह परिवर्तन आ गया था कि उन्होंने घर की किसी भी बात में हस्तक्षेप करना छोड़ दिया था। उन्होंने सोच लिया था कि अगर घर में उनके लिए जगह नहीं है, तो वे परदेशी की तरह पड़े रहेंगे और किसी भी बात में दखल नहीं देंगे।

7. घर में अपनी स्थिति के बारे में गजाधर बाबू क्या सोचने लगे?

उत्तर: घर में अपनी स्थिति के बारे में गजाधर बाबू सोचने लगे कि वे घर में परदेशी की तरह हैं। यदि गृहस्वामी के लिए घर में एक चारपाई की जगह भी नहीं है, तो वे यहीं पड़े रहेंगे। उन्हें यह भी महसूस हुआ कि उनकी उपस्थिति घर में असंगत हो गयी है।

8. नरेन्द्र ने अपनी माँ से बाबू जी के बारे में क्या शिकायत की?

उत्तर: नरेन्द्र ने अपनी माँ से बाबू जी के बारे में शिकायत की कि बैठे-बिठाये कुछ नहीं तो नौकर ही छुड़ा दिया। अगर बाबू जी समझते हैं कि मैं साइकिल पर गेहूँ रखकर आटा पिसाने जाऊँगा, तो यह मुझसे नहीं होगा।

9. वसन्ती ने उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए क्या कहा?

उत्तर: वसन्ती ने नरेन्द्र की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा कि वह कॉलेज भी जाये और लौटकर घर में झाडू भी लगाये, यह उसके बस की बात नहीं है।

10. बच्चों की माँ ने भी उनकी बात का समर्थन करते हुए क्या कहा?

उत्तर: बच्चों की माँ ने भी उनकी बात का समर्थन करते हुए कहा कि और कुछ नहीं सूझा तो तुम्हारी बहू को ही चौके में भेज दिया। उसने पन्द्रह दिन का राशन पाँच दिन में ही खत्म कर दिया।

11. गजाधर बाबू को क्यों लगा कि वे ज़िन्दगी द्वारा ठगे गये हैं?

उत्तर: गजाधर बाबू को लगा कि वे ज़िन्दगी द्वारा ठगे गये हैं क्योंकि उन्होंने जो कुछ चाहा था, उसमें से उन्हें एक बूँद भी नहीं मिली। उनके लिए यह जीवन एक खोयी हुई निधि जैसा था, और उन्होंने महसूस किया कि ज़िन्दगी ने उनके साथ न्याय नहीं किया।

नीचे लिखे शब्दों एवं मुहावरों के अर्थ लिखकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिये ।

1. आन्तरिक

उत्तर: किसी के भीतर का, भीतरी।

वाक्य प्रयोग: उसकी आन्तरिक इच्छा थी कि वह अपनी पढ़ाई पूरी करे।

2. विस्मित

उत्तर: आश्चर्यचकित।

वाक्य प्रयोग: उसे इतनी सुंदर पेंटिंग देखकर विस्मित हो गया।

3. आहत

उत्तर: चोट खाया हुआ, पीड़ा अनुभव करना।

वाक्य प्रयोग: उसके कठोर शब्दों से मैं बहुत आहत हुआ।

4. सलज्ज

उत्तर: लज्जा के साथ, संकोच में।

वाक्य प्रयोग: वह सलज्ज भाव से अपने शिक्षक के सामने खड़ा रहा।

5. आघात

उत्तर: चोट, हानि, धक्का।

वाक्य प्रयोग: उस दुर्घटना से उसे गहरा आघात लगा।

6. फूहड़

उत्तर: जिसे काम करने का सही तरीका न आता हो, जो बेतरतीब हो।

वाक्य प्रयोग: उसका काम इतना फूहड़ था कि किसी को भी समझ में नहीं आया।

7. ताने देना

उत्तर: व्यंग्य के रूप में कटु बातें कहना।

वाक्य प्रयोग: हर छोटी गलती पर वह मुझे ताने देती रहती है।

8. पेट काटना

उत्तर: बचत करना, अपनी ज़रूरतें कम करना।

वाक्य प्रयोग: उन्होंने बच्चों की पढ़ाई के लिए पेट काटकर पैसे बचाए।

9. हाथ बँटाना

उत्तर: सहायता करना, मदद करना।

वाक्य प्रयोग: परीक्षा के दिनों में उसने अपनी माँ का घर के कामों में हाथ बँटाया।

10. दखल न देना

उत्तर: हस्तक्षेप न करना, किसी कार्य में बीच में न आना।

वाक्य प्रयोग: उसने कहा कि मैं उसकी बातों में दखल न दूँ।

यह कथन किसने किससे और क्यों कहे :

(क) “कभी-कभी हम लोगों की भी खबर लेते रहियेगा ।”

उत्तर: यह कथन गणेशी ने गजाधर बाबू से कहा था। जब गजाधर बाबू रेलवे क्वार्टर से विदा हो रहे थे, तब गणेशी ने भावुक होकर उनसे यह कहा, क्योंकि वह गजाधर बाबू के साथ लंबे समय से थे और उनके प्रति स्नेह रखते थे। वह चाहते थे कि गजाधर बाबू उनसे संपर्क बनाए रखें।

(ख) “क्यों नरेन्द्र, क्या नकल हो रही थी ?”

उत्तर: यह कथन गजाधर बाबू ने नरेन्द्र से कहा था। जब गजाधर बाबू घर पहुंचे तो नरेन्द्र और वसन्ती हंस-हंसकर मजाक कर रहे थे। गजाधर बाबू ने यह सोचते हुए कि वे किसी का मजाक बना रहे हैं, नरेन्द्र से पूछा।

(ग) “हाँ, बड़ा सुख है न बहू से । आज रसोई करने गयी है, देखो क्या होता है ।”

उत्तर: यह कथन गजाधर बाबू की पत्नी ने गजाधर बाबू से कहा था। जब वसन्ती रसोई में गई थी और खाना ठीक से नहीं बना पाई थी, तब गजाधर बाबू की पत्नी ने व्यंग्य में यह बात कही थी।

(घ) “क्या कह दिया वसन्ती से ? शाम से मुँह लटकाये पड़ी है, खाना भी नहीं खाया।”

उत्तर: यह कथन गजाधर बाबू की पत्नी ने गजाधर बाबू से कहा था। गजाधर बाबू ने वसन्ती को पढ़ाई करने के लिए पड़ोस में जाने से मना कर दिया था, जिसके बाद वसन्ती नाराज हो गई थी।

निम्नलिखित पंक्तियों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिये

क) रेलवे क्वार्टर का वह कमरा, जिसमें उन्होंने कितने ही वर्ष बिताये थे, उनका सामान हट जाने से नग्न और कुरूप लग रहा था। आँगन में रोपे पौधे भी पास-पड़ोस के लोग उखाड़ ले गये थे, वहाँ जगह-जगह पर गहरे गड्ढे बन गये थे। पर बाल-बच्चों के साथ की कल्पना में यह सब एक दुर्बल लहर की तरह उठकर लीन हो गया।

संदर्भ: यह पंक्ति उषा प्रियंवदा की कहानी “वापसी” से ली गई है।

प्रसंग: इस पंक्ति में गजाधर बाबू के जीवन में आए अकेलेपन और उनके द्वारा महसूस किए गए अस्थायित्व का वर्णन किया गया है।

व्याख्या: गजाधर बाबू, जो वर्षों तक एक रेलवे क्वार्टर में रहे थे, अब अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके थे। उस कमरे में उन्होंने कई साल बिताए थे, लेकिन अब वह खाली और बेकार लग रहा था। उनके आँगन में लगाए गए पौधे भी पड़ोसियों द्वारा उखाड़ लिए गए थे, जिससे वहाँ गहरे गड्ढे बन गए थे। इन सभी घटनाओं से उनका जीवन और अधिक उदास और खाली हो गया था, लेकिन उनके मन में बाल-बच्चों के साथ रहने की कल्पना ने इस दुःख को एक क्षणिक लहर की तरह भुला दिया। यह पंक्ति उनकी मानसिक स्थिति और परिवार के प्रति उनकी आशाओं का प्रतीक है।

ख) सारा दिन इसी खिचखिच में निकल जाता है। नौकर से किसी बात की मदद नहीं, इसी गृहस्थी का धन्धा पीटते-पीटते उमर बीत गयी। कोई जरा हाथ भी नहीं बँटाता ।

संदर्भ: यह पंक्ति उषा प्रियंवदा की कहानी “वापसी” से ली गई है।

प्रसंग: इस पंक्ति में गजाधर बाबू की पत्नी अपने जीवन की कठिनाइयों का वर्णन कर रही हैं।

व्याख्या: गजाधर बाबू की पत्नी कह रही हैं कि उनका सारा जीवन इसी गृहस्थी के काम-काज में ही निकल गया है। नौकर से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिलती, और घर के अन्य सदस्य भी कोई हाथ नहीं बँटाते। इस तरह के घरेलू झगड़ों और दिनचर्या की समस्याओं से उनका पूरा दिन निकल जाता है। यह पंक्ति उनकी निराशा और अकेलेपन को दर्शाती है, जहाँ उन्हें लगता है कि उनकी सारी जिम्मेदारियाँ सिर्फ उन पर ही आ गई हैं, और उन्हें कोई सहायता नहीं मिलती।

ग) तुम्हें किस बात की कमी है, अमर की माँ ? घर में बहू है, लड़के- बच्चे हैं। सिर्फ रुपये से ही इन्सान अमीर नहीं होता। और कहने के साथ ही अनुभव किया, यह उनकी आन्तरिक अभिव्यक्ति थी, ऐसी कि उनकी पत्नी नहीं समझ सकती। इस तरह की बात करते ही वे गहन अकेलापन अनुभव कर उठते थे।

संदर्भ: यह पंक्ति उषा प्रियंवदा की कहानी “वापसी” से ली गई है।

प्रसंग: इस पंक्ति में गजाधर बाबू अपनी पत्नी से बात करते हुए अपनी मानसिक स्थिति को व्यक्त कर रहे हैं।

व्याख्या: गजाधर बाबू अपनी पत्नी से कहते हैं कि उनके जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं है। उनके पास बहू, बच्चे और घर है, और सिर्फ पैसे से ही इंसान अमीर नहीं होता। इस पंक्ति में वह अपनी पत्नी से अपने मन की गहरी भावना व्यक्त कर रहे हैं कि जीवन में धन के अलावा भी कई महत्वपूर्ण चीजें होती हैं। हालांकि, वह महसूस करते हैं कि उनकी पत्नी उनकी इन भावनाओं को नहीं समझ सकती। इस प्रकार की बातें करते ही उन्हें गहरा अकेलापन महसूस होता है।

घ) जिस व्यक्ति के अस्तित्व में पत्नी माँग में सिन्दूर डालने की अधिकारी है, समाज में उसका कुछ स्थान है, उसके सामने वह दो वक्त भोजन की थाली रख देने से अपने कर्त्तव्य से छुट्टी पा जाती है। वह घी, चीनी के डिब्बों में इतनी रमी हुई है कि वही उसकी सम्पूर्ण दुनिया बन गयी है।

संदर्भ: यह पंक्ति उषा प्रियंवदा की कहानी “वापसी” से ली गई है।

प्रसंग: इस पंक्ति में गजाधर बाबू के अपने परिवार और जीवन के प्रति विचार व्यक्त किए गए हैं।

व्याख्या: गजाधर बाबू को ऐसा लगता है कि उनकी पत्नी, जो कभी उनकी जीवन संगिनी थी, अब केवल घरेलू जिम्मेदारियों में उलझ गई है। वह केवल घी और चीनी के डिब्बों में रमी हुई है और उसकी पूरी दुनिया अब यही बन गई है। गजाधर बाबू का अस्तित्व उसकी प्राथमिकताओं में कहीं खो गया है, और वह उसे केवल एक खाना परोसने की औपचारिकता से ही अपने कर्त्तव्यों से मुक्त हो जाती है। यह पंक्ति गजाधर बाबू के मन के भीतर के दुख और अकेलेपन को बयां करती है।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये

पैंतीस साल की लम्बी नौकरी के बाद रिटायर होकर …………… जा रहे थे। (घर, बाहर)

उत्तर: घर

गजाधर बाबू प्रायः …………… स्टेशनों पर रहे।

उत्तर: (बड़ा, छोटा) छोटा

गजाधर बाबू …………… और …………… का इन्तजार करते रहे। (चाय, नाश्ता, भोजन-पानी)

उत्तर: चाय, नाश्ता

हाँ, बड़ा सुख है न …………… से। (बेटा, बहू)

उत्तर: बहू

बच्चों की माँ ने बड़े …………… से कहा। (श्रद्धा, व्यंग्य)

उत्तर: व्यंग्य

अभ्यास प्रश्न

1. पुनरुक्ति से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिये।

उत्तर: पुनरुक्ति का अर्थ है किसी शब्द या वाक्यांश का पुनः प्रयोग होना। उदाहरणस्वरूप, “बार-बार”, “कभी-कभी”, “धीरे-धीरे” आदि पुनरुक्ति के उदाहरण हैं। पुनरुक्ति के माध्यम से किसी बात को बल दिया जाता है या उसकी पुनरावृत्ति दर्शाई जाती है।

2. पुनरुक्ति के भेदों को सोदाहरण लिखिये।

उत्तर: पुनरुक्ति तीन प्रकार की होती है:

(क) पूर्ण पुनरुक्ति: जब किसी शब्द को लगातार एक से अधिक बार प्रयुक्त किया जाता है, जैसे- देश-देश, बड़ा-बड़ा।
(ख) अपूर्ण पुनरुक्ति: जब एक शब्द सार्थक होता है और दूसरा उसकी ध्वनि के अनुरूप होता है, जैसे- पूछ-ताछ, चाल-ढाल।
(ग) अनुकरणवाचक पुनरुक्ति: जब किसी वस्तु की वास्तविक ध्वनि को ध्यान में रखकर शब्द बनाए जाते हैं, जैसे- गड़गड़ाहट, खटपट।

3. निम्नलिखित शब्दों से एक-एक वाक्य बनाइये।

उत्तर:

  • आस-पास: आस-पास के सभी लोग त्योहार मनाने में व्यस्त थे।
  • गड़गड़ाहट: बादलों की गड़गड़ाहट से लोग डर गए।
  • भोला-भाला: वह एक भोला-भाला व्यक्ति है।
  • बाल-बच्चा: उसके घर में बाल-बच्चे खेल रहे थे।
  • काला-कलूटा: वह लड़का काला-कलूटा है, लेकिन बहुत मेहनती है।
  • अपना-अपना: सभी लोग अपना-अपना सामान लेकर तैयार हो गए।
  • घर-घर: यह खबर अब घर-घर पहुँच चुकी है।
  • बूँद-बूँद: वर्षा की बूँद-बूँद से धरती सराबोर हो गई।

4. निम्नलिखित वाक्य को शुद्ध कीजिये।

(क) मुझे केवल दस रुपये मात्र मिले।
(ख) मैं सप्रमाण बता रहा हूँ।
(ग) सब यहाँ कुशलतापूर्वक हैं।
(घ) कृपया कल का अवकाश देने की कृपा करें।
(ङ) वे परस्पर एक-दूसरे से उलझ पड़े।

उत्तर:

  • (क) मुझे केवल दस रुपये मिले।
  • (ख) मैं प्रमाण सहित बता रहा हूँ।
  • (ग) सब यहाँ कुशलपूर्वक हैं।
  • (घ) कृपया कल अवकाश देने की कृपा करें।
  • (ङ) वे परस्पर उलझ पड़े।
गृहकार्य

दो विद्यालय के बीच होनेवाले फुटबाल मैच -प्रतियोगिता के बारे में वार्तालाप लिखिये।

उत्तर:

राम: अरे सुनो, क्या तुमने सुना कि हमारे विद्यालय और सिटी हाई स्कूल के बीच फुटबॉल मैच होने वाला है?

श्याम: हाँ, मैंने सुना है। मैं बहुत उत्साहित हूँ। यह मैच कब और कहाँ हो रहा है?

राम: यह मैच इस रविवार को हमारे विद्यालय के खेल मैदान में होगा। क्या तुम भी मैच देखने आओगे?

श्याम: बिल्कुल! मुझे तो फुटबॉल बहुत पसंद है। हमारी टीम इस बार बहुत अच्छा खेल रही है। पिछली बार भी हमने जीत हासिल की थी, है ना?

राम: हाँ, हमारी टीम की तैयारी शानदार है। कोच सर ने इस बार खास ट्रेनिंग दी है। हमारी टीम में रोहित और अमित जैसे अच्छे खिलाड़ी हैं।

श्याम: सिटी हाई स्कूल की टीम भी मजबूत है। उनके खिलाड़ी काफी अनुभवी हैं, इसलिए मुकाबला कड़ा होने वाला है।

राम: हाँ, लेकिन मुझे यकीन है कि हमारे खिलाड़ी अपनी मेहनत से जीत हासिल करेंगे। तुम किसे समर्थन कर रहे हो?

श्याम: जाहिर है, मैं तो अपनी विद्यालय की टीम का समर्थन करूंगा। मुझे विश्वास है कि हमारी टीम ट्रॉफी जीतकर आएगी।

राम: चलो, फिर इस रविवार को मिलते हैं मैदान में। हम अपनी टीम का जोरदार समर्थन करेंगे!

श्याम: हाँ, और जीत का जश्न भी मनाएंगे!

‘परहित सरिस धर्म नहि भाई’ का पल्लवन कीजिये।

उत्तर: ‘परहित सरिस धर्म नहि भाई’ का अर्थ है कि दूसरों का भला करने जैसा कोई धर्म नहीं है। यह विचार हमें मानवता के प्रति प्रेम, करुणा और दूसरों के प्रति सहानुभूति का संदेश देता है। समाज में परोपकार और दूसरों की भलाई के कार्य सबसे उच्च धर्म माने जाते हैं, क्योंकि इससे न केवल दूसरों का भला होता है, बल्कि समाज में सद्भाव और शांति का वातावरण भी बनता है।

जो व्यक्ति परहित में लगा रहता है, वह निस्वार्थ भाव से दूसरों की सहायता करता है। इसमें न कोई स्वार्थ होता है और न ही किसी प्रकार की अपेक्षा। ऐसा व्यक्ति अपनी मानवता का सही रूप में निर्वाह करता है। उदाहरण के रूप में, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी जैसे महान व्यक्तियों ने जीवन भर परोपकार के कार्य किए और लोगों की भलाई के लिए समर्पित रहे।

इसलिए, ‘परहित सरिस धर्म नहि भाई’ का संदेश यह है कि सच्ची धर्मपालना दूसरों के हित में निहित है। जब हम दूसरों के दुःखों को दूर करने का प्रयास करते हैं और उनके जीवन में खुशी लाते हैं, तब हम वास्तविक धर्म का पालन कर रहे होते हैं।

अतिरिक्त (extras)

प्रश्न और उत्तर (questions and answers)

1. गजाधर बाबू नौकरी के बाद कहाँ वापस आते हैं?

उत्तर: गजाधर बाबू वर्षों की नौकरी के बाद सेवानिवृत्त होकर अत्यन्त खुशी से अपने घर वापस आते हैं। वे अपने परिवारवालों से मिलने की खुशी और साथियों से बिछुड़ने का दुःख लेकर घर लौटते हैं।

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16. गजाधर बाबू ने सेठ रामजीमल की चीनी मिल में नौकरी क्यों स्वीकार की?

उत्तर: गजाधर बाबू ने सेठ रामजीमल की चीनी मिल में नौकरी इसलिए स्वीकार की क्योंकि घर में खाली बैठे रहने से चार पैसे हाथ में आ जाएं, यह बेहतर है। उन्होंने पहले यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था, लेकिन बाद में इसे स्वीकार कर लिया।

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

1. गजाधर बाबू कितने वर्षों की नौकरी के बाद सेवानिवृत्त हुए?

(क) 30
(ख) 35
(ग) 40
(घ) 25

उत्तर: (ख) 35

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25. वसन्ती को किन कामों से परेशानी हो रही थी?

(क) घर और कॉलेज
(ख) खाना और सफाई
(ग) सफाई और काम
(घ) पढ़ाई और झाड़ू

उत्तर: (घ) पढ़ाई और झाड़ू

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