पेड़ की बात (Pedh ki baat): NBSE Class 9 Alternative Hindi (हिन्दी)

पेड़ की बात (Pedh ki baat)
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सारांश (Summary)

पेड़ की बात (Pedh ki baat) निबंध में लेखक जगदीशचन्द्र बसु (Jagadish Chandra Bose) ने पेड़-पौधों के जीवन के माध्यम से कई महत्वपूर्ण बातें बताई हैं। पेड़ की उत्पत्ति मिट्टी में पड़े बीज से होती है। जब बारिश और सूर्य की रोशनी मिलती है, तब बीज अंकुरित होता है, जैसे कोई बच्चा सिर उठाकर नई दुनिया को देख रहा हो। पेड़ की जड़ें मिट्टी में और तना ऊपर की ओर बढ़ता है। इस प्रक्रिया को लेखक ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाया है।

लेखक बताते हैं कि पेड़-पौधे भोजन अपनी जड़ों और पत्तों से करते हैं। जड़ें मिट्टी से पानी और घुले हुए तत्वों को सोखती हैं। पत्तों में छोटे-छोटे मुँह होते हैं, जिनके द्वारा पेड़ हवा से आहार ग्रहण करते हैं। जब सूर्य की रोशनी पत्तों पर पड़ती है, तो पेड़-वायु से हानिकारक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके उसे जीवनदायिनी ऑक्सीजन में बदल देता है। यह प्रक्रिया जीवों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वायु शुद्ध करती है।

पेड़ सूर्य की रोशनी के बिना जीवित नहीं रह सकते। जंगल में पेड़-पौधे प्रकाश प्राप्त करने की होड़ में रहते हैं। बेल-लताएँ प्रकाश की ओर बढ़ती हैं, क्योंकि वे बिना प्रकाश के मर सकती हैं। पेड़ की हरियाली, ऊर्जा को संग्रहीत करती है, जिसे जानवर और मनुष्य अपने भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। इस प्रकार हम भी पेड़ की ही दी हुई ऊर्जा पर निर्भर हैं।

पेड़ अपने जीवन के अंतिम समय में अपनी सन्तान के लिए बीज तैयार करता है। बीज की सुरक्षा के लिए पेड़ फूलों का निर्माण करता है। अंततः पेड़ अपना जीवन अपने बीजों को पोषित करने में समर्पित कर देता है। लेखक ने पेड़ के जीवन चक्र को बड़े मार्मिक रूप से प्रस्तुत किया है, जहाँ पेड़ अपने बच्चों के लिए खुद को समाप्त कर देता है।

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पाठ्य प्रश्न और उत्तर (textual questions and answers)

मौखिक प्रश्न

१. वृक्ष के कौन से दो भाग होते हैं?

उत्तर: वृक्ष के दो भाग होते हैं – जड़ और तना।

२. वृक्ष को भोजन किस प्रकार प्राप्त होता है?

उत्तर: वृक्ष जड़ के द्वारा माटी से रस-पान करते हैं। पेड़ की जड़ें माटी में पानी और उसके भीतर घुले पदार्थों को सोखती हैं। इसके अतिरिक्त, वृक्ष के पत्ते हवा से आहार ग्रहण करते हैं।

३. अंगारक वायु किसे कहते हैं? इससे क्या हानि होती है?

उत्तर: अंगारक वायु को कार्बन-डाइ ऑक्साइड गैस कहते हैं। यदि यह जहरीली हवा पृथ्वी पर इकट्ठी होती रहे, तो तमाम जीव-जन्तु कुछ ही दिनों में उसका सेवन करके नष्ट हो सकते हैं।

४. फूल में क्या फलता है?

उत्तर: फूल में बीज फलता है।

५. वृक्ष कब मर जाता है?

उत्तर: वृक्ष तब मर जाता है, जब उसे भोजन और पानी मिलना बंद हो जाता है और उसका शरीर सूख जाता है।

लिखित प्रश्न

१. वृक्ष अपना भोजन किस प्रकार तैयार करते हैं ?

उत्तर: वृक्ष अपनी जड़ों के माध्यम से माटी से रस-पान करते हैं। जब माटी में पानी डाला जाता है, तो उसमें घुले हुए द्रव्य माटी के साथ मिलकर पेड़ के लिए आहार बनते हैं। ये आहार वृक्ष की जड़ों के द्वारा सोखे जाते हैं। पेड़ की जड़ों में नल होते हैं, जो इन द्रव्यों को पेड़ के विभिन्न हिस्सों में पहुँचाते हैं। इसके अलावा, वृक्ष के पत्ते हवा से आहार ग्रहण करते हैं। पत्तों में छोटे-छोटे मुँह होते हैं, जो हवा से अंगारक वायु ग्रहण करते हैं। जब सूर्य की किरणें पत्तों पर पड़ती हैं, तो वे अंगारक वायु को शुद्ध कर देते हैं और उसी से पेड़ का संवर्धन होता है। इस प्रकार, पेड़ अपने भोजन की व्यवस्था करते हैं और अपनी आवश्यक ऊर्जा प्राप्त करते हैं।

२. वृक्ष अंगारक वायु से होनेवाली हानि से हमें किस प्रकार बचाते हैं ?

उत्तर: अंगारक वायु, जो कि जीव-जन्तुओं के लिए विषाक्त होती है, पेड़-पौधे उसे ग्रहण करते हैं और शुद्ध कर देते हैं। पेड़ के पत्तों पर जब सूर्य का प्रकाश पड़ता है, तब पत्ते सूर्य ऊर्जा की मदद से अंगारक वायु को अंगार में बदल देते हैं। यह अंगार वृक्ष के भीतर जाकर उसके संवर्धन में सहायक होता है। इस प्रकार पेड़ उस विषैली वायु को शुद्ध कर देते हैं, जो अगर इकट्ठा हो जाए तो जीव-जन्तुओं के लिए जानलेवा हो सकती है। इस प्रक्रिया से पेड़ हमें उस हानिकारक वायु से बचाते हैं और पृथ्वी के वातावरण को स्वच्छ बनाए रखते हैं।

३. मधुमक्खियों और तितलियों की वृक्ष के साथ चिरकाल से घनिष्ठता है। कैसे ?

उत्तर: मधुमक्खियों और तितलियों की वृक्षों के साथ गहरी और चिरकाल से घनिष्ठता है, क्योंकि वे वृक्षों के फूलों पर आकर मधुपान करती हैं। वृक्ष अपने फूलों में शहद का संचय रखते हैं, जिसे मधुमक्खियाँ और तितलियाँ बड़े चाव से पीती हैं। इसके अलावा, मधुमक्खियाँ और तितलियाँ परागकण को एक फूल से दूसरे फूल तक पहुँचाती हैं, जिससे फूलों में बीज फलते हैं। बिना परागकण के बीज पक नहीं सकते। इस प्रकार मधुमक्खियाँ और तितलियाँ वृक्ष के संवर्धन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और पेड़-पौधों के साथ उनका गहरा सम्बन्ध बना रहता है।

४. लेखक ने वृक्ष और मानव जीवन में क्या समानताएँ बतायी हैं ?

उत्तर: लेखक ने पेड़ और मानव जीवन के बीच कई समानताएँ बतायी हैं। सबसे पहली समानता यह है कि जैसे पेड़-पौधे सूर्य की रोशनी पर निर्भर होते हैं, वैसे ही मानव जीवन भी प्रकाश के बिना नहीं चल सकता। प्रकाश दोनों के लिए जीवन का मूलमंत्र है। दूसरी समानता यह है कि जैसे वृक्ष अपनी संतानों, यानी बीजों, के लिए अपना जीवन न्योछावर कर देते हैं, वैसे ही मनुष्य भी अपने बच्चों के लिए अपना जीवन बलिदान करता है। तीसरी समानता यह है कि जैसे पेड़-पौधे अपने जीवन की अंतिम अवस्था में सूखकर समाप्त हो जाते हैं, वैसे ही मनुष्य भी वृद्धावस्था में अपने जीवन को समाप्त करता है। इस प्रकार, पेड़ और मानव जीवन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।

५. वृक्ष बीज की सुरक्षा किस प्रकार करता है ?

उत्तर: वृक्ष बीज की सुरक्षा के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए फूलों की पंखुड़ियों से घिरा एक छोटा-सा घर तैयार करता है। जब वृक्ष पर फूल लगते हैं, तब उन फूलों की पंखुड़ियों के बीच बीज छिपा होता है। यह फूल बीज को बाहरी आघात और हानिकारक तत्वों से बचाता है। जैसे-जैसे बीज परिपक्व होता है, वृक्ष अपने शरीर का रस देकर बीज का पोषण करता है। इस प्रकार, वृक्ष अपने बीजों को सुरक्षित रखता है और उन्हें पोषित करता है ताकि वे भविष्य में नए वृक्ष का निर्माण कर सकें।

६. निम्नलिखित वाक्यांशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिये –

(क) मानो बाहर से कोई शिशु को पुकार रहा हो ‘और सोये मत रहो, ऊपर उठ जाओ, सूरज की रोशनी देखो।’

उत्तर: सन्दर्भ: यह वाक्यांश “पेड़ की बात” नामक पाठ से लिया गया है, जिसके लेखक प्रसिद्ध वैज्ञानिक जगदीशचन्द्र बसु हैं। इस पाठ में पेड़ के जीवन चक्र और प्रकृति के साथ उसके गहरे सम्बन्ध को दर्शाया गया है।

व्याख्या: इस वाक्यांश में लेखक बीज के अंकुरण की प्रक्रिया का मार्मिक चित्रण करते हैं। लेखक बीज की तुलना एक शिशु से करता है, जो मानो बाहरी दुनिया से पुकारा जा रहा हो कि वह सोये नहीं, बल्कि बाहर आकर सूरज की रोशनी को देखे। यह प्रकृति की वह पुकार है, जो बीज को अंकुरित होने के लिए प्रेरित करती है। जैसे शिशु धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलकर दुनिया की ओर देखता है, वैसे ही बीज भी माटी के भीतर से ऊपर उठता है और सूर्य के प्रकाश की ओर बढ़ता है। इस वाक्यांश में लेखक ने बीज के जीवन और प्रकाश की आवश्यकता को खूबसूरती से उजागर किया है, जहाँ अंकुर का उठना जीवन की शुरुआत का प्रतीक है।

(ख) जो जन्तुओं के लिए जहर है, गाछ – बिरछ उसी का सेवन करके उसे पूर्णतया शुद्ध कर देते हैं।

उत्तर: सन्दर्भ: यह वाक्यांश “पेड़ की बात” नामक पाठ से लिया गया है, जिसे जगदीशचन्द्र बसु ने लिखा है। इस पाठ में वृक्षों के पर्यावरण में महत्त्वपूर्ण योगदान और उनकी जीवनदायिनी भूमिका का वर्णन किया गया है।

व्याख्या: इस वाक्यांश में लेखक पेड़ों की शुद्धिकरण क्षमता पर प्रकाश डालते हैं। जीव-जन्तुओं के लिए अंगारक वायु (कार्बन-डाइऑक्साइड) विषाक्त होती है, जिसका अधिक मात्रा में सेवन करने से उनका जीवन संकट में पड़ सकता है। परन्तु पेड़-पौधे इस विषैली वायु का सेवन करते हैं और सूर्य की किरणों की सहायता से इसे शुद्ध कर देते हैं। इस प्रक्रिया में पेड़-पौधे न केवल अपने लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त करते हैं, बल्कि वातावरण को भी स्वच्छ बनाते हैं। इस प्रकार पेड़-पौधे निस्वार्थ भाव से वह कार्य करते हैं, जो जीवों के लिए अत्यधिक हानिकारक हो सकता है। लेखक इस वाक्य से यह बताना चाहते हैं कि प्रकृति के अंग, विशेष रूप से वृक्ष, पर्यावरण के संतुलन में कितनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

(ग) प्रकाश ही जीवन का मूलमन्त्र है। सूर्य किरण का परस पाकर ही पेड़ पल्लवित होता है।

उत्तर: सन्दर्भ: यह वाक्यांश जगदीशचन्द्र बसु द्वारा लिखित पाठ “पेड़ की बात” से लिया गया है, जिसमें लेखक ने वृक्षों के जीवन में प्रकाश और सूर्य की महत्ता पर विस्तार से चर्चा की है।

व्याख्या: इस वाक्यांश में लेखक ने पेड़ों के जीवन में सूर्य के प्रकाश की महत्ता पर जोर दिया है। प्रकाश को जीवन का मूलमंत्र कहा गया है क्योंकि वृक्षों का सम्पूर्ण जीवन प्रकाश पर निर्भर करता है। पेड़-पौधे सूर्य की किरणों को ग्रहण करके अंगारक वायु से आहार बनाते हैं और इसी से उनका विकास होता है। प्रकाश के बिना वृक्षों का जीवन संभव नहीं है। यह वाक्य जीवन के लिए प्रकाश की अनिवार्यता का प्रतीक है। जिस प्रकार पेड़ सूर्य की रोशनी के बिना पल्लवित नहीं हो सकते, उसी प्रकार प्रकाश के बिना समस्त जीव-जगत का जीवन असंभव हो जाएगा। लेखक इस वाक्य से यह बताना चाहते हैं कि सूर्य की ऊर्जा प्रकृति का एक अनिवार्य और अटूट हिस्सा है, जिससे न केवल पेड़, बल्कि समस्त जीव-जंतु भी जीवन प्राप्त करते हैं।

७. पाठ के आधार पर खाली स्थानों को भरिये-

(क) जो अंश माटी के भीतर प्रवेश करता है उसका नाम “________” है।

उत्तर: जो अंश माटी के भीतर प्रवेश करता है उसका नाम “जड़” है।

(ख) जो अंश ऊपर की ओर बढ़ता है उसका नाम “________” है।

उत्तर: जो अंश ऊपर की ओर बढ़ता है उसका नाम “तना” है।

(ग) प्रकाश ही जीवन का “________” है।

उत्तर: प्रकाश ही जीवन का “मूलमन्त्र” है।

(घ) अपने शरीर का रस पिलाकर बिरछ “________” का पोषण करता है।

उत्तर: अपने शरीर का रस पिलाकर बिरछ “बीज” का पोषण करता है।

(ङ) इस तरह सन्तान के लिए अपना जीवन “________” करके बिरछ समाप्त हो जाता है।

उत्तर: इस तरह सन्तान के लिए अपना जीवन “न्योछावर” करके बिरछ समाप्त हो जाता है।

अभ्यास-प्रश्न

१. संज्ञा के सभी भेद बताते हुए प्रत्येक के नाम और उनके उदाहरण लिखिये।

उत्तर: संज्ञा के मुख्य तीन भेद होते हैं:

व्यक्तिवाचक संज्ञा: जो शब्द किसी व्यक्ति, प्राणी, स्थान और वस्तु का नाम बताता है, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
उदाहरण: कोहिमा, फेक, होकिसे, नारोला

जातिवाचक संज्ञा: जिस शब्द से किसी प्राणी या वस्तु के वर्ग का बोध हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
उदाहरण: लड़का, पहाड़, नदी, मनुष्य

भाववाचक संज्ञा: जो शब्द किसी के गुण, भाव, अवस्था आदि का बोध कराता है, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
उदाहरण: गरमी, क्रोध, प्रेम, सुन्दरता

२. निम्नलिखित शब्दों में से संज्ञा के सभी भेद स्पष्ट कीजिये।

उत्तर: मिठास – भाववाचक संज्ञा
राजधानी – जातिवाचक संज्ञा
कोहिमा – व्यक्तिवाचक संज्ञा
सच्चाई – भाववाचक संज्ञा
पुस्तक – जातिवाचक संज्ञा
नदी – जातिवाचक संज्ञा
चौड़ाई – भाववाचक संज्ञा
हिमालय – व्यक्तिवाचक संज्ञा

३. नीचे लिखे शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइये।

उत्तर: अच्छा – अच्छाई
कुलीन – कुलीनता
मित्र – मित्रता
सुन्दर – सुन्दरता
लड़का – लड़कपन
मूर्ख – मूर्खता
कुशल – कुशलता
चौड़ा – चौड़ाई
सफल – सफलता

४. नीचे लिखे वाक्यों में कोष्ठको में दी गयी संज्ञाएँ भरिये।

उत्तर: (i) नागालैण्ड की राजधानी कोहिमा है। (जातिवाचक)
(ii) कोहिमा का प्रसिद्ध स्मारक है। (व्यक्तिवाचक)
(iii) गन्ने में मिठास होती है। (भाववाचक)
(iv) आकाश में चिड़िया उड़ रही है। (जातिवाचक)
(v) नागालैण्ड की नदियाँ अच्छी हैं। (जातिवाचक)

गृह-कार्य

१. विद्यार्थी – जीवन पर एक अनुच्छेद लिखिये ।

उत्तर: विद्यार्थी जीवन किसी भी व्यक्ति के संपूर्ण जीवन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और आधारभूत समय होता है। इस समय में विद्यार्थी अपनी शिक्षा और चरित्र निर्माण करता है, जो आगे चलकर उसके जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन, परिश्रम, और समर्पण का विशेष महत्व होता है। यह जीवन संघर्ष और आत्म-विकास का होता है, जहाँ शिक्षा के साथ-साथ नैतिक और सामाजिक गुणों का भी विकास होता है। एक विद्यार्थी को इस समय का सही उपयोग करके अपने ज्ञान का विस्तार करना चाहिए, क्योंकि यह जीवन का वही चरण है जिसमें व्यक्ति के भविष्य की नींव रखी जाती है। विद्यार्थी को अपने शिक्षकों, माता-पिता और समाज के प्रति सम्मान और कर्तव्य का भाव रखना चाहिए। इस जीवन में जो विद्यार्थी मेहनत करता है, वही आगे चलकर जीवन में सफलता प्राप्त करता है। इस समय में की गई छोटी-छोटी आदतें और ज्ञान का अर्जन जीवन के बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होते हैं। विद्यार्थी जीवन में आत्म-नियंत्रण, समय का सदुपयोग, और धैर्य की अत्यंत आवश्यकता होती है। यह जीवन का वह चरण है जब व्यक्ति अपने स्वर्णिम भविष्य की कल्पना करता है और उसे साकार करने के लिए प्रयास करता है।

२. निम्नलिखित जातिवाचक संज्ञाओं से भाववाचक संज्ञा बनाइये –

उत्तर:

  • पशु – पशुत्व
  • देव – देवत्व
  • बच्चा – बचपन
  • लड़का – लड़कपन
  • बूढ़ा – बुढ़ापा
  • मनुष्य – मनुष्यता

३. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिये-

(क) चौकीदार पर ही चोर होने की शंका है।
(ख) मकान गिर जाने का सन्देह है।
(ग) हमें भाषा का अच्छा बोध होना चाहिए।
(घ) उन्हें मीटिंग का समाचार भेज दो।
(ङ) सियाली ने गीत की चार लड़ियाँ गायीं ।

उत्तर: (क) चौकीदार पर ही चोर होने का संदेह है।
(ख) मकान गिर जाने की आशंका है।
(ग) हमें भाषा का अच्छा ज्ञान होना चाहिए।
(घ) उन्हें मीटिंग का निमंत्रण भेज दो।
(ङ) सियाली ने गीत की चार पंक्तियाँ गायीं।

४. निम्नलिखित लोकोक्तियों के अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिये-

उत्तर:

  • नीम हकीम खतरे जान – आधी-अधूरी जानकारी खतरनाक होती है।
    वाक्य: बिना अच्छे डॉक्टर की सलाह लिए इलाज करवाना, नीम हकीम खतरे जान है।
  • तीन तेरह होना – बिखर जाना या अव्यवस्थित होना।
    वाक्य: अचानक आंधी आने से सारे सामान का तीन तेरह हो गया।
  • थका ऊँट सराय तकता है – थका हुआ व्यक्ति आराम की तलाश करता है।
    वाक्य: दिनभर की मेहनत के बाद वह थके ऊँट की तरह सराय तकने लगा।
  • चोर की दाढ़ी में तिनका – दोषी व्यक्ति खुद को छुपाने की कोशिश करता है।
    वाक्य: जब उसकी चोरी का जिक्र हुआ तो वह चोर की दाढ़ी में तिनका की तरह बेचैन हो गया।

छोटे मुँह बड़ी बात – किसी छोटे व्यक्ति द्वारा बड़ी बात करना।
वाक्य: अभी तुम्हारी उम्र बहुत कम है, इसलिए छोटे मुँह बड़ी बात मत करो।

अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर (extra questions and answers)

१. बीज कितने समय तक मिट्टी में छिपे रहे?

उत्तर: बीज बहुत दिनों तक मिट्टी के नीचे पड़े रहे, महीनों तक सर्दियों के बाद वसंत और फिर वर्षा के मौसम तक वहीं रहे।

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१०. पेड़-पौधों में फूलों का क्या महत्व है?

उत्तर: पेड़-पौधे अपने संतानों के रूप में बीज पैदा करते हैं और बीज को सुरक्षा देने के लिए फूल बनाते हैं। फूल बीजों के लिए एक छोटा-सा घर होता है। फूलों की पंखुड़ियाँ पेड़ को आकर्षक बनाती हैं और मधुमक्खी और तितलियों को आकर्षित करती हैं, जो परागकण को एक फूल से दूसरे फूल तक ले जाती हैं। इसके बिना बीज नहीं बन सकते, इसलिए फूल पेड़-पौधों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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