नीति के दोहे: NBSE Class 10 Alternative Hindi (हिन्दी)

नीति के दोहे (Neeti Ke Dohe)kfq
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Get notes, summary, questions and answers, MCQs, extras, and PDFs of Chapter 1 “नीति के दोहे (Neeti Ke Dohe) ” which is part of Nagaland Board (NBSE) Class 10 Alternative Hindi answers. However, the notes should only be treated as references and changes should be made according to the needs of the students.

सारांश (Summary)

नीति के दोहे (Neeti Ke Dohe) रहीम (Rahim) द्वारा लिखे गए हैं। इन दोहों में जीवन के विभिन्न पहलुओं और मानवीय मूल्यों पर आधारित नीति और ज्ञान की शिक्षा दी गई है। पहले दोहे में रहीम कहते हैं कि जिस तरह चंदन के पेड़ पर सांप लिपटा होता है, फिर भी चंदन की शुद्धता बनी रहती है, उसी प्रकार एक अच्छे स्वभाव के व्यक्ति को बुरे संग से नुकसान नहीं होता। यह इस बात पर जोर देता है कि महान लोग अपने स्वभाव के कारण बुराई से प्रभावित नहीं होते।

दूसरे दोहे में पानी को महत्वपूर्ण बताया गया है। बिना पानी के न तो मोती चमकते हैं, न इंसान का जीवन रहता है, और न ही जमीन उपजाऊ होती है। यह पानी का एक रूपक है, जो जीवन के मूलभूत तत्वों की आवश्यकता को समझाता है। तीसरे दोहे में रहीम समझाते हैं कि बड़ों का अपमान नहीं करना चाहिए। जिस तरह सुई जहां काम आती है वहां तलवार का उपयोग नहीं होता, उसी तरह छोटे कामों में भी छोटी चीजों का महत्व होता है।

चौथे दोहे में वह कहते हैं कि पेड़ अपने फल खुद नहीं खाते और न ही सरोवर अपना पानी पीते हैं, उसी प्रकार समझदार लोग अपनी संपत्ति का उपयोग दूसरों की भलाई के लिए करते हैं। रहीम पाँचवे दोहे में गरीबों की मदद को महान कार्य बताते हैं, जैसे सुदामा की मित्रता भगवान कृष्ण के साथ हुई थी।

छठे दोहे में रहीम कहते हैं कि जो लोग मांगने जाते हैं, वे अपने आत्मसम्मान को खो देते हैं। वे यह भी कहते हैं कि संकट के समय जो साथ रहते हैं, वही सच्चे मित्र होते हैं। अंतिम दोहों में वह संगति और व्यक्ति के आचरण की बात करते हैं, कि जिस प्रकार दीपक का प्रकाश अंततः अंधकार में खो जाता है, उसी प्रकार बुरे लोग भी अपने परिवार के नाम को नुकसान पहुँचाते हैं।

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पंक्ति दर पंक्ति (Line by line) स्पष्टीकरण

जो रहीम उत्तम प्रकृति का करि सकत कुसंग|
चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग।

रहीम कहते हैं कि जो व्यक्ति स्वभाव से उत्तम है, वह बुरी संगति (कुसंग) में रहकर भी अपने स्वभाव को नहीं बदलता। जैसे चंदन का पेड़, उस पर चाहे जहरीले साँप लिपटे रहें, फिर भी वह अपनी सुगंध और गुण नहीं छोड़ता। यहां ‘चंदन’ का अर्थ है एक अच्छा या शुद्ध व्यक्ति और ‘भुजंग’ का अर्थ है साँप, जो बुरे लोगों का प्रतीक है।

रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून|
पानी गये न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।

रहीम कहते हैं कि पानी को हमेशा संभालकर रखना चाहिए, क्योंकि बिना पानी के सब कुछ सूना (खाली) हो जाता है। यदि पानी चला जाए, तो न मोती, न मनुष्य, और न ही आटा (चून) कुछ भी बचा रहता है। यहां ‘पानी’ का अर्थ आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा से भी है। रहीम यह समझा रहे हैं कि जैसे पानी जरूरी है, वैसे ही इंसान का आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा भी आवश्यक हैं।

रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तरवारि।।

रहीम कहते हैं कि जब बड़े काम हो रहे हों, तो छोटे और महत्वपूर्ण चीजों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। जहां सुई की जरूरत हो, वहां तलवार का क्या काम? यह दोहा समझाता है कि हर चीज़ की अपनी उपयोगिता है, चाहे वह कितनी ही छोटी क्यों न हो। हमें कभी भी छोटी चीज़ों को महत्वहीन नहीं समझना चाहिए।

तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियत न पान।
कहि रहीम पर-काज हित, सम्पति सँचहि सुजान।।

रहीम कहते हैं कि पेड़ अपने फल खुद नहीं खाते और न ही तालाब अपना पानी खुद पीते हैं। इसी प्रकार, समझदार लोग अपनी संपत्ति को दूसरों की भलाई के लिए संचित (इकट्ठा) करते हैं। यहां ‘तरुवर’ का अर्थ पेड़ और ‘सरवर’ का अर्थ तालाब है। रहीम हमें त्याग और परोपकार का संदेश दे रहे हैं, कि जैसे प्रकृति परोपकार करती है, वैसे ही इंसान को भी करना चाहिए।

जे गरीब पर हित करें, ते रहीम बड़ लोग।
कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग।।

रहीम कहते हैं कि जो लोग गरीबों की भलाई करते हैं, वही सच्चे महान लोग होते हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि सुदामा जैसे गरीब को कृष्ण जैसे मित्र की मित्रता प्राप्त करने योग्य समझा गया। यहां ‘सुदामा’ और ‘कृष्ण’ का प्रसंग दिया गया है, जहां कृष्ण ने सुदामा की गरीबी में भी मदद की। इस दोहे से रहीम यह कहना चाहते हैं कि सच्ची महानता गरीबों की सहायता में है।

रहिमन वे नर मर चुके, जे कहुँ माँगन जाहिं।
उनते पहले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहिं।।

रहीम कहते हैं कि वे लोग पहले से ही मरे हुए हैं जो किसी से कुछ माँगने जाते हैं। और उनसे पहले वे मर चुके हैं, जिनके मुख से ‘नहीं’ शब्द नहीं निकलता। यह दोहा इस बात पर जोर देता है कि आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान सबसे महत्वपूर्ण हैं, और जो दूसरों पर निर्भर होते हैं, वे जीवन में सच्ची खुशहाली नहीं पा सकते।

कहि रहीम सम्पति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत।।

रहीम कहते हैं कि धन-संपत्ति होने पर तो रिश्तेदारों और मित्रों की कोई कमी नहीं होती, लेकिन विपत्ति (मुसीबत) की कसौटी पर जो खरे उतरते हैं, वही सच्चे मित्र होते हैं। यहां ‘कसौटी’ का मतलब कठिनाई या मुसीबत से है। रहीम सच्ची मित्रता और रिश्तों की पहचान विपरीत परिस्थितियों में होने की बात कर रहे हैं।

खीरा सिर तै काटिये, मलियत लोन लगाय।
रहिमन करुए मुखन कौ, चहियत इहै सजाय।।

रहीम कहते हैं कि जैसे खीरे का कड़वा सिरा काटकर उसमें नमक लगाते हैं, वैसे ही कड़वे और कटु बोलने वाले लोगों को ऐसी ही सजा दी जानी चाहिए। यहां ‘खीरा’ कड़वाहट का प्रतीक है, और रहीम यह सिखा रहे हैं कि जो लोग बुरे या कटु बोलते हैं, उन्हें भी ऐसी कड़वाहट का सामना करना चाहिए।

कदली सीप भुजंग मुख, स्वाति एक गुन तीन।
जैसी संगति बैठिये, तैसो ही फल दीन।।

रहीम कहते हैं कि कदली (केले का पेड़), सीप और साँप, तीनों स्वाति नक्षत्र की वर्षा में भिन्न-भिन्न फल पाते हैं। यह इस बात का उदाहरण है कि जैसी संगति में आप रहते हैं, वैसा ही प्रभाव आप पर पड़ता है। यहां ‘स्वाति’ का अर्थ एक विशेष नक्षत्र से है, जो वर्षा के समय पड़ता है। रहीम यह समझा रहे हैं कि संगति का असर किसी के जीवन पर बहुत गहरा होता है।

दोनों रहिमन एक से, जौ लौं बोलत नाहिं।
जानि परत हैं काक-पिक, ऋतु बसन्त के माँहि।।

रहीम कहते हैं कि कौआ और कोयल, जब तक वे बोलते नहीं हैं, तब तक एक जैसे ही दिखते हैं। बसंत ऋतु में ही पता चलता है कि कौन कोयल है और कौन कौआ। यह दोहा इस बात पर जोर देता है कि व्यक्ति की असली पहचान उसके कर्मों और व्यवहार से होती है, न कि केवल बाहरी रूप से।

जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारौ लगै, बढ़े अँधेरो होय।।

रहीम कहते हैं कि दीपक और कुल के कुपुत्र (बुरे संतान) की स्थिति एक जैसी होती है। जैसे दीपक पहले उजाला देता है और फिर बुझने पर अंधकार फैल जाता है, वैसे ही बुरी संतान अपने परिवार का नाम पहले उजागर करती है और फिर उसे बदनाम कर देती है। यहां रहीम ने दीपक और कुपुत्र की तुलना की है, जिससे यह शिक्षा मिलती है कि गलत संतान परिवार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकती है।

पाठ्य प्रश्न और उत्तर (textual questions and answers)

भाव-सौन्दर्य

1. “उत्तम प्रकृति के लोगों पर कुसंग का असर नहीं पड़ता” – यह बात रहीम ने कैसे समझायी है?

उत्तर: रहीम ने इस बात को इस प्रकार समझाया है कि उत्तम प्रकृति के लोग कुसंग के प्रभाव में नहीं आते, जैसे चन्दन के पेड़ पर साँप लिपटा रहता है, लेकिन चन्दन पर विष का असर नहीं होता।

2. निम्नलिखित परिस्थितियों और भावों के लिए रहीम के उपयुक्त दोहे बताइये-

(क) कड़वी वाणी बोलनेवालों को कड़ा दण्ड देना चाहिए।

उत्तर: खीरा सिर तै काटिये, मलियत लोन लगाय।
रहिमन करुए मुखन कौ, चहियत इहै सजाय।।

(ख) बड़ों से सम्पर्क बढ़ने पर छोटों को भुला नहीं देना चाहिए।

उत्तर: रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तरवारि।।

(ग) भले-बुरे लोगों की पहचान उनकी वाणी से होती है।

उत्तर: दोनों रहिमन एक से, जौ लौं बोलत नाहिं।
जानि परत हैं काक-पिक, ऋतु बसन्त के माँहि।।

(घ) हम जिस तरह के लोगों की संगति में बैठेंगे, वैसा ही फल पायेंगे।

उत्तर: कदली सीप भुजंग मुख, स्वाति एक गुन तीन।
जैसी संगति बैठिये, तैसो ही फल दीन।।

3. रहीम के अनुसार सच्चा मित्र कौन है? सही उत्तर छाँटिये-

(क) जो मुसीबत में काम आये
(ख) जो धन से सहायता करे
(ग) जो मुँह पर प्रशंसा करे
(घ) जो मौके का लाभ उठाये

उत्तर: (क) जो मुसीबत में काम आये।

अभ्यास प्रश्न

1. “संगति का असर किस प्रकार पड़ता है।” यह बात रहीम ने कैसे समझायी है?

उत्तर: रहीम ने संगति का असर इस प्रकार समझाया है – “कदली सीप भुजंग मुख, स्वाति एक गुन तीन। जैसी संगति बैठिये, तैसो ही फल दीन।।”

2. रहीम के अनुसार सच्चा मित्र कौन है?

उत्तर: रहीम के अनुसार सच्चा मित्र वह है जो मुसीबत में काम आये। इसे इस प्रकार कहा गया है – “कहि रहीम सम्पति सगे, बनत बहुत बहु रीत। बिपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत।।”

3. रहीम ने दीपक और कपूत को एक समान क्यों कहा है?

उत्तर: रहीम ने दीपक और कपूत को एक समान इसीलिए कहा है क्योंकि दीपक पहले उजाला करता है और फिर अंधकार बढ़ा देता है, उसी प्रकार कपूत भी पहले सुख देता है और फिर दुखी कर देता है। इसे इस प्रकार कहा गया है – “जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय। बारे उजियारौ लगै, बढ़े अँधेरो होय।।”

4. कृष्ण और सुदामा की मैत्री के दृष्टान्त से रहीम ने क्या शिक्षा दी है?

उत्तर: रहीम ने कृष्ण और सुदामा की मैत्री के दृष्टान्त से यह शिक्षा दी है कि गरीब व्यक्ति की सहायता करने वाले ही बड़े लोग होते हैं। इसे इस प्रकार कहा गया है – “जे गरीब पर हित करें, ते रहीम बड़ लोग। कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग।।”

5. मोती, मनुष्य और आटे के प्रसंग में रहीम ‘पानी’ शब्द का प्रयोग किन-किन अर्थों में किया है?

उत्तर: रहीम ने मोती, मनुष्य और आटे के प्रसंग में ‘पानी’ शब्द का प्रयोग चमक, सम्मान और जल के अर्थ में किया है। इसे इस प्रकार कहा गया है – “रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।।”

6. भले-बुरे लोगों की पहचान उनकी वाणी से होती है। रहीम ने किस प्रकार स्पष्ट किया है?

उत्तर: रहीम ने भले-बुरे लोगों की पहचान उनकी वाणी से इस प्रकार स्पष्ट की है – “दोनों रहिमन एक से, जौ लौं बोलत नाहिं। जानि परत हैं काक-पिक, ऋतु बसन्त के माँहि।।”

7. रहीम की रचनाओं के नाम बताइये।

उत्तर: रहीम की रचनाओं के नाम इस प्रकार हैं – रहीम सतसई, श्रृंगार सतसई, मदनाष्टक, रास पंचाध्यायी, रहीम रत्नावली, बरवै, नायिका – भेद वर्णन आदि।

8. निम्नलिखित पंक्तियों की सन्दर्भ तथा प्रसंग सहित व्याख्या कीजिये-

(क) रहिमन वे नर मर चुके, जे कहुँ माँगन जाहिं।
उनते पहले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहिं । ।

उत्तर: सन्दर्भ: प्रस्तुत दोहा रहीम के नीति पर आधारित दोहों में से लिया गया है। रहीम ने अपने नीति दोहों में व्यावहारिक जीवन की समस्याओं और उनके समाधान को सरल भाषा में समझाया है।

प्रसंग: इस दोहे में रहीम ने दानशीलता और स्वाभिमान को महत्व दिया है। कवि ने बताया है कि जो व्यक्ति दूसरों से मांगने जाता है, वह मरे हुए के समान है, क्योंकि उससे पहले वही मर चुका है जिसका स्वाभिमान समाप्त हो चुका है।

व्याख्या: इस दोहे में रहीम ने स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता को महत्वपूर्ण बताया है। कवि कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने स्वाभिमान को छोड़कर दूसरों के सामने याचना करता है, वह व्यक्ति मृतक के समान है। उससे पहले वह व्यक्ति मर चुका है जिसके मुख से ‘नहीं’ शब्द नहीं निकलता। यह दोहा व्यक्ति को आत्मसम्मान और स्वाभिमान बनाए रखने की प्रेरणा देता है। चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों, किसी के सामने हाथ फैलाने से बेहतर है कि व्यक्ति अपने स्वाभिमान की रक्षा करे।

(ख) खीरा सिर तै काटिये, मलियत लोन लगाय।
रहिमन करुए मुखन कौ, चहियत यही सजाय ।।

उत्तर: सन्दर्भ: यह दोहा रहीम के नीति परक दोहों से लिया गया है। रहीम ने अपने दोहों में व्यवहारिक जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला है।

प्रसंग: इस दोहे में कवि ने बताया है कि कटु वचन बोलने वाले लोगों के लिए दंड आवश्यक है, जिस प्रकार खीरे का सिर काटकर उसमें नमक लगाकर उसे ठीक किया जाता है।

व्याख्या: रहीम कहते हैं कि जैसे खीरे का सिर काटने के बाद उसमें नमक मल दिया जाता है ताकि उसका कड़वापन दूर हो जाए, उसी प्रकार कटु वचन बोलने वाले लोगों को दंडित किया जाना चाहिए ताकि उनकी कठोरता समाप्त हो जाए। कवि यहाँ यह संदेश देना चाहते हैं कि कटुता का उपचार कठोर दंड से ही संभव है। जिस तरह खीरा अपने कड़वेपन से मुक्ति पाता है, उसी प्रकार कटु वाणी वाले भी सजा के बाद अपने व्यवहार में परिवर्तन ला सकते हैं।

(ग) रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तरवारि। ।

उत्तर: सन्दर्भ: यह दोहा रहीम के नीति पर आधारित दोहों में से लिया गया है। रहीम ने अपने दोहों में व्यवहारिक जीवन की सूक्ष्मताओं को सरल और प्रभावी ढंग से व्यक्त किया है।

प्रसंग: इस दोहे में कवि ने बताया है कि किसी छोटे व्यक्ति को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि छोटे कामों में भी उनकी जरूरत पड़ती है।

व्याख्या: इस दोहे में रहीम कहते हैं कि बड़े व्यक्तियों को देखकर छोटे व्यक्तियों को त्यागना उचित नहीं है। जैसे सूई की आवश्यकता होने पर तलवार काम नहीं आती, उसी प्रकार जीवन में छोटे कामों के लिए छोटे लोगों की भी आवश्यकता होती है। कवि यह बताना चाहते हैं कि किसी व्यक्ति की महत्ता उसके आकार या पद से नहीं होती, बल्कि उसकी उपयोगिता और कार्यक्षमता से होती है।

भाषा अध्ययन

1. नीचे लिखे शब्दों के विलोम शब्द लिखिये-

सपूत, रचना, विमुख, विशेष, सजीव, सुपुत्र, सुपथ, स्मरण, श्वेत, शोषक, मित्र

उत्तर:

  • सपूत – कपूत
  • रचना – विनाश
  • विमुख – सम्मुख
  • विशेष – सामान्य
  • सजीव – निर्जीव
  • सुपुत्र – कुपुत्र
  • सुपथ – कुपथ
  • स्मरण – विस्मरण
  • श्वेत – कृष्ण
  • शोषक – पोषक
  • मित्र – शत्रु

2. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिये-

अमृत, अग्नि, इच्छा, कमल, किरण, जल, तालाब, सोना

उत्तर:

  • अमृत – सुधा, पीयूष, अमिय
  • अग्नि – अनल, पावक, वह्नि
  • इच्छा – अभिलाषा, कामना, चाह
  • कमल – नलिन, पंकज, जलज
  • किरण – रश्मि, मयूख, अंशु
  • जल – नीर, पानी, वारि
  • तालाब – सर, सरोवर, जलाशय
  • सोना – कनक, सुवर्ण, हेम

3. निम्नलिखित वाक्यों के लिंग सम्बन्धी अशुद्धियाँ दूर कीजिये-

(क) बेटी तो पराया धन होता है।
(ख) उसकी आदत था सच बोलना ।
(ग) दरिद्रता जैसी शत्रु दूसरी नहीं ।
(घ) उसने धीमी स्वर में कहा ।
(ड.) दंगे में बालक-बालिका सब पकड़ी गयी ।
(च) सुगन्धित पुष्प आनन्द की बस्तु होती है ।
(छ) वह नयी प्रकार की बस्तु होगी ।

उत्तर: (क) बेटी तो पराया धन होती है।
(ख) उसकी आदत थी सच बोलना।
(ग) दरिद्रता जैसा शत्रु दूसरा नहीं।
(घ) उसने धीमे स्वर में कहा।
(ड.) दंगे में बालक-बालिका सब पकड़े गये।
(च) सुगन्धित पुष्प आनन्द की वस्तु होता है।
(छ) वह नये प्रकार की वस्तु होगी।

अतिरिक्त (extras)

प्रश्न और उत्तर (questions and answers)

1. रहीम किस प्रकार के व्यक्ति को उत्तम प्रकृति का मानते हैं?

उत्तर: जो उत्तम प्रकृति का व्यक्ति है, वह कुसंग से प्रभावित नहीं होता।

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19. खीरा सिर तै काटिये, मलियत लोन लगाय |
रहिमन करुए मुखन कौ, चहियत इहै सजाय ||

उत्तर: इस दोहे में रहीम ने एक प्रतीकात्मक उदाहरण देकर समझाया है कि जिस प्रकार कड़वी खीरे का सिर काटकर उसमें नमक मलने से उसकी कड़वाहट कम हो जाती है, उसी प्रकार कटु और कठोर बोलने वाले लोगों को भी सही मार्ग पर लाने के लिए कठोरता की आवश्यकता होती है। यह उन लोगों के लिए एक प्रकार की सजा है जो हमेशा कड़वाहट से बोलते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

1. रहीम के किस दोहे में उत्तम प्रकृति का उल्लेख है?

(क) चन्दन विष व्यापत नहीं
(ख) रहीम पानी राखिये
(ग) खीरा सिर तै काटिये
(घ) जो रहीम गति दीप की

उत्तर: (क) चन्दन विष व्यापत नहीं

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10. “काक” और “पिक” का उल्लेख किस संदर्भ में किया गया है?

(क) आवाज का
(ख) ऋतु का
(ग) संगति का
(घ) उपदेश का

उत्तर: (ख) ऋतु का

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