Get notes, summary, questions and answers, MCQs, extras, and PDFs of Chapter 4 “भिखारिन (Bhikharin)” which is part of Nagaland Board (NBSE) Class 9 Hindi answers. However, the notes should only be treated as references and changes should be made according to the needs of the students.
सारांश (Summary)
रवीन्द्रनाथ ठाकुर (Rabindranath Tagore) की कहानी भिखारिन (Bhikharin) में एक अंधी भिखारिन के वात्सल्य और उसकी संघर्षपूर्ण जीवन-यात्रा को दर्शाया गया है। कहानी समाज के धनलोलुप और पाखंडी तत्वों को भी उजागर करती है। यह अंधी स्त्री प्रतिदिन मंदिर के द्वार पर खड़ी होती, जहां श्रद्धालु उसे कुछ पैसे या अनाज दे जाते। उसी से वह अपना और एक अनाथ बच्चे का पालन-पोषण करती थी। यह बच्चा उसे एक दिन अचानक मिला, और उसने उसे ममता से पालना शुरू कर दिया।
भिखारिन ने अपनी भीख की कमाई को एक हांड़ी में जमा कर रखा था। उसे इस धन को चोरी होने का डर था, तो उसने एक दिन सेठ बनारसीदास (Banarsidas) के पास जमा करने का निर्णय किया। सेठ जी का धार्मिक व्यक्ति होने का ढोंग था, पर वास्तव में वे स्वार्थी थे। कुछ समय बाद बच्चा बीमार पड़ गया। अंधी ने इलाज के लिए सेठ से अपनी जमा राशि वापस मांगी, पर सेठ ने उसकी कोई सहायता नहीं की और अपनी धरोहर को नकार दिया।
बीमारी में तड़पते बच्चे के लिए अंधी ने कई प्रयास किए। सेठ ने बच्चे को देखा और पहचाना कि वह उनका खोया हुआ पुत्र था। उन्होंने बच्चे को अपने पास रख लिया और इलाज करवाया। अंधी ने इसका विरोध किया, लेकिन उसकी ममता ने उसे बच्चा उनके पास छोड़ने को प्रेरित किया। कुछ दिनों बाद, बच्चे के स्वस्थ होने पर अंधी ने जाने की इच्छा जताई। सेठ ने उसे पैसे लौटाने का प्रयास किया, पर उसने वह थैली वहीं छोड़ दी, क्योंकि वह पैसे बच्चे के लिए ही जमा कर रही थी।
कहानी के अंत में, अंधी भिखारिन होते हुए भी महान बन जाती है, जबकि सेठ याचक बनकर रह जाता है। यह कहानी ममता और त्याग की सुंदर मिसाल है, जिसमें मानवता की महानता और स्वार्थ का पर्दाफाश है।
Video tutorial
पाठ्य प्रश्न और उत्तर (textual questions and answers)
मौखिक प्रश्न
1. अन्धी प्रतिदिन कहाँ जाकर खड़ी होती थी ?
उत्तर: अन्धी प्रतिदिन मन्दिर के दरवाजे पर जाकर खड़ी होती थी।
2. सेठ बनारसीदास कहाँ के प्रसिद्ध व्यक्ति हैं ?
उत्तर: काशी में सेठ बनारसीदास बहुत प्रसिद्ध व्यक्ति हैं।
3. सेठ जी ने अपने मुनीम से क्या कहा ?
उत्तर: सेठ जी ने मुनीम की ओर संकेत करते हुए कहा – “बही में जमा कर लो।”
4. सेठ जी ने जब रुपयों की थैली अन्धी को दिया तब उसने क्या कहा ?
उत्तर: अन्धी ने कहा – “यह रुपये तो मैंने तुम्हारे मोहन के लिए संग्रह किये थे उसी को दे देना।”
लिखित प्रश्न
1. अन्धी अपना गुजारा कैसे करती थी ?
उत्तर: अन्धी प्रतिदिन मन्दिर के दरवाजे पर जाकर खड़ी होती और दर्शन करनेवालों से भीख माँगती थी। श्रद्धालु लोग उसे कुछ पैसे दे देते, और स्त्रियाँ अनाज डाल जाती थीं। दिन भर भीख माँगने के बाद वह जो कुछ भी मिलाता, उसे अपनी झोंपड़ी में लाकर हाँड़ी में जमा करती थी। वह इसी तरह अपने और अपने बच्चे का पालन-पोषण करती थी।
2. बच्चा मिलने पर अन्धी के जीवन में क्या बदलाव आया ?
उत्तर: बच्चा मिलने पर अन्धी के जीवन में एक नया उद्देश्य और आनंद का संचार हुआ। वह अब केवल अपने लिए नहीं बल्कि बच्चे के लिए भी मेहनत करने लगी। बच्चे के कारण उसका दिनचर्या बदल गया, और उसे एक सहारा मिला जिससे उसका जीवन सजीव और संतोषजनक हो गया। बच्चे को देखभाल और प्यार देने का अवसर मिलने से वह खुद को अधिक समर्पित महसूस करने लगी।
3. भिखारिन को सेठ जी से पैसे माँगने क्यों जाना पड़ा ?
उत्तर: भिखारिन को सेठ जी से पैसे माँगने इसलिए जाना पड़ा क्योंकि उसका बच्चा बीमार हो गया था और उसकी स्थिति खराब हो रही थी। घरेलू उपचार और टोने-टोटके सब विफल हो गए, तो उसे लगा कि डॉक्टर से इलाज करवाना आवश्यक है। इसके लिए उसे अपनी जमा की हुई पूँजी की आवश्यकता पड़ी, जो उसने सेठ जी के पास धरोहर के रूप में रखी थी।
4. अन्धी बच्चे का लालन-पालन किस प्रकार करती थी ?
उत्तर: अन्धी बच्चे को अपने से अच्छा खिलाती और पहनाती थी। वह अपने भीख में से पहले बच्चे को पेट भर खिलाती, फिर स्वयं खाती थी। रात में उसे अपने वक्ष से लगाकर सुलाती और दिन में उसे खिला-पिलाकर ही मन्दिर के द्वार पर जाती। बच्चे की देखभाल में वह अपना पूरा ध्यान देती थी और उसे अपने जीवन का सहारा मानती थी।
5. ‘ऐसा धर्मी व्यक्ति भी कहीं झूठ बोल सकता है’ – अन्धी की इस सोच के आधार पर सेठ के बाह्य सामाजिक रूप और धूर्तता पर प्रकाश डालिये।
उत्तर: अन्धी को यह विश्वास था कि सेठ जी जैसे धर्मात्मा और समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति कभी झूठ नहीं बोल सकते। परन्तु सेठ जी के व्यवहार से उसकी यह धारणा टूट गई। सेठ जी ने पहले अन्धी की जमा पूँजी को स्वीकार किया, परन्तु बाद में जब अन्धी ने पैसे वापस माँगे, तो उन्होंने अपनी धूर्तता दिखाते हुए पूँजी जमा करने की बात को नकार दिया। इस प्रकार, उनका बाहरी रूप धार्मिक और दयालु दिखने के बावजूद, उनके भीतर लोभ और असत्य की भावना थी, जिससे उनके व्यक्तित्व का दोहरा चरित्र उजागर होता है।
6. बच्चे की पहचान अपने बेटे के रूप में कर लेने पर सेठ जी के व्यवहार में क्या परिवर्तन हुआ ?
उत्तर: बच्चे की पहचान अपने बेटे के रूप में कर लेने के बाद सेठ जी का व्यवहार अचानक से बदल गया। उन्होंने बच्चे को तुरंत अपनी गोद में ले लिया और उसे अपने कलेजे से लगा लिया। उन्होंने डॉक्टर को बुलाने के लिए नौकर को भेजा और अपने बेटे को बचाने के लिए हर सम्भव यत्न करने का निर्णय लिया। अब वह उसी बच्चे के प्रति स्नेह और ममता से भर गए थे, जिसे वह अन्धी का मानकर अनदेखा कर चुके थे।
7. ‘इस समय सेठ याचक था और वह दाता थी’ – कहानी के आधार पर इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिये।
उत्तर: कहानी के अंत में, जब सेठ जी का खोया हुआ बेटा मोहन बीमार पड़ गया और अन्धी के बिना ठीक नहीं हो पा रहा था, तब सेठ जी की सारी संपत्ति और शक्ति भी उसे बचाने में असमर्थ साबित हुई। सेठ जी अन्धी के पास आए और उसे अपने बेटे की जान बचाने के लिए विनती की। इस स्थिति में, सेठ जी जो पहले समाज में एक धनी व्यक्ति थे, अब याचक बन गए थे और अन्धी, एक साधारण भिखारिन होते हुए भी उस समय दाता की भूमिका में थी। इस प्रकार, यह कथन कहानी के संदर्भ में पूर्णतः सार्थक है।
8. नीचे लिखे वाक्यों का सन्दर्भ सहित सप्रसंग व्याख्या कीजिये
(i) वह जानती थी कि मन्दिर में आनेवाले सहृदय और श्रद्धालु हुआ करते हैं। उसका अनुमान असत्य न था। आने-जानेवाले दो-चार पैसे उसके हाथ पर रख देते थे।
सन्दर्भ: यह वाक्यांश कहानी “भिखारिन” से लिया गया है। इसमें लेखक रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने एक अन्धी भिखारिन की आशा और विश्वास का चित्रण किया है।
व्याख्या: इस वाक्यांश में लेखक ने अन्धी भिखारिन के भावनात्मक पहलू को उजागर किया है। अन्धी प्रतिदिन मन्दिर के दरवाजे पर खड़ी होती थी, जहाँ श्रद्धालु और सहृदय लोग पूजा के लिए आते थे। अन्धी का विश्वास था कि जो लोग मन्दिर में भगवान के दर्शन के लिए आते हैं, वे सभी संवेदनशील और दयालु होते हैं। उसका यह अनुमान सही भी था, क्योंकि आने-जानेवाले लोग उसे कुछ पैसे दे देते थे। इन पैसे और अनाज की मदद से ही वह अपने और अपने बच्चे का जीवन यापन करती थी। इस प्रकार, लेखक ने इस वाक्य के माध्यम से भिखारिन की आशा, विश्वास और समाज में अच्छाई की उम्मीद को प्रदर्शित किया है।
(ii) दो वर्ष बहुत सुख के साथ बीते इसके पश्चात् एक दिन लड़के को ज्वर ने आ दबाया। अन्धी ने घरेलू दवा-दारू की झाड़-फूँक से भी काम लिया टोने-टोटके की परीक्षा की परन्तु सम्पूर्ण प्रयत्न व्यर्थ सिद्ध हुए। लड़के की दशा दिन-प्रतिदिन खराब होती गयी अन्धी का हृदय टूट गया साहस ने जवाब दे दिया निराश हो गयी।
सन्दर्भ: यह वाक्यांश कहानी “भिखारिन” से लिया गया है। इसमें लेखक रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अन्धी के जीवन में आने वाली कठिनाइयों और उसके साहस के टूटने का चित्रण किया है।
व्याख्या: इस वाक्यांश में लेखक ने अन्धी की भावनाओं और उसके जीवन की दारुण स्थिति को दर्शाया है। दो वर्षों तक अन्धी ने अपने बेटे के साथ सुख-शांति का जीवन बिताया, लेकिन अचानक उसका बेटा बीमार पड़ गया। उसने घरेलू उपायों, झाड़-फूँक, टोने-टोटके आदि का सहारा लिया, परन्तु कोई भी तरीका सफल नहीं हुआ। बेटे की बिगड़ती हालत ने अन्धी को हताश और निराश कर दिया। उसने हर सम्भव प्रयास किया, पर उसकी स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती गई। इस परिस्थिति में, अन्धी के साहस का टूटना और निराशा का भाव उसके लिए असहनीय था। इस प्रकार, लेखक ने इस वाक्यांश के माध्यम से अन्धी के दुःख और उसकी असहाय स्थिति का मार्मिक चित्रण किया है।
(iii) तुम्हारा बच्चा है इसलिए लाख यत्न करके भी उसे बचाओगे। मेरा बच्चा होता तो उसे मर जाने देते क्यों ? यह भी कोई न्याय है ? इतने दिनों तक खून-पसीना एक करके उसको पाला है। मैं उसको अपने हाथ से नहीं जाने दूँगी।
सन्दर्भ: यह वाक्यांश कहानी “भिखारिन” से लिया गया है। इसमें लेखक रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अन्धी की ममता और उसके अधिकार की भावना को व्यक्त किया है।
व्याख्या: इस वाक्यांश में अन्धी का अपने बच्चे के प्रति स्नेह और अधिकार भाव प्रकट होता है। जब सेठ जी ने बच्चे को अपना बेटा कहकर उसे बचाने की बात कही, तो अन्धी को यह अन्यायपूर्ण लगा। उसने व्यंग्यपूर्वक सेठ जी से कहा कि वे केवल इसलिए बच्चे की देखभाल कर रहे हैं क्योंकि वह उनका बेटा है। अन्धी का कहना था कि यदि बच्चा उसका होता, तो शायद उसे मरने दिया जाता। अन्धी ने लंबे समय तक बच्चे की देखभाल की थी, उसे अपने हाथों से पाला था, इसीलिए वह उसे आसानी से छोड़ना नहीं चाहती थी। इस प्रकार, इस वाक्य से अन्धी की ममता, अपने बच्चे के प्रति अधिकार और समाज में व्याप्त भेदभावपूर्ण मानसिकता का आक्रोश स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
(iv) अन्धी ने थैली वहीं छोड़ दी और लाठी टेकती हुई चल दी। बाहर निकलकर फिर उसने उस घर की ओर नेत्र उठाये उसके नेत्रों से अश्रु बह रहे थे किन्तु वह भिखारिन होते हुए भी सेठ से महान् थी। इस समय सेठ याचक था और वह दाता थी।
सन्दर्भ: यह वाक्यांश कहानी “भिखारिन” से लिया गया है। इसमें लेखक रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अन्धी की महानता और उसके त्याग को उजागर किया है।
व्याख्या: इस वाक्यांश में अन्धी की महानता और उसका निस्वार्थ त्याग सामने आता है। जब सेठ जी ने उसे उसकी जमा पूँजी लौटाने के लिए थैली दी, तो उसने इसे ठुकरा दिया और कहा कि वह पैसा उसने अपने बेटे के लिए जमा किया था। अन्धी ने वह धन लेने से मना कर दिया, और अपनी महानता का परिचय दिया। इस समय, भिखारिन होते हुए भी वह सेठ जी से अधिक महान और दयालु साबित हुई। सेठ जी जो एक सम्पन्न व्यक्ति थे, इस समय याचक बन गए थे और अन्धी अपने त्याग और उदारता के कारण दाता बनकर उभरी। लेखक ने इस वाक्य के माध्यम से मानवीयता की महानता को परिभाषित किया है, जिसमें धन और ऐश्वर्य की तुलना में त्याग और सेवा की भावना को उच्च स्थान दिया गया है।
9. पाठ के आधार पर सही कथन पर ✓ का तथा गलत पर X का चिह्न लगाइये
1. पटना में बनारसीदास बहुत प्रसिद्ध व्यक्ति है।
उत्तर: X
2. अन्धी ने अपनी झोपड़ी में एक हाँड़ी गाड़ रखी थी।
उत्तर: ✓
3. अन्धी एक फटे पुराने टाट पर पड़ी थी।
उत्तर: ✓
4. सेठ अन्धी को भगाकर अन्दर चले गये।
उत्तर: X
5. इस समय सेठ दाता था और वह याचक थी।
उत्तर: X
10. निम्नलिखित कथन को किसने, किससे एवं कब कहा ?
(i) कैसी जमा-पूँजी? कैसे रुपये? मेरे पास किसी के रुपये जमा नहीं हैं।
उत्तर: यह कथन सेठ बनारसीदास ने अन्धी से तब कहा जब वह अपनी जमा-पूँजी से कुछ रुपये अपने बेटे की चिकित्सा के लिए माँगने आई थी।
(ii) मरता है तो मरने दो मैं भी मर रही हूँ।
उत्तर: यह कथन अन्धी ने सेठ बनारसीदास से तब कहा जब वह सेठ के पुत्र मोहन की मृत्युशय्या पर आह्वान करने पर उसे अपने बच्चे के रूप में बचाने के लिए जाने से इनकार कर रही थी।
(iii) इसमें तुम्हारी धरोहर है तुम्हारे रुपये।
उत्तर: यह कथन सेठ बनारसीदास ने अन्धी से तब कहा जब मोहन के स्वस्थ हो जाने के बाद उसने अपनी जमा-पूँजी लौटानी चाही और अन्धी ने इसे अस्वीकार कर दिया।
11. पाठ के आधार पर खाली स्थानों को भरिये-
(i) सैकड़ों भिखारी अपनी जमा-पूँजी इन्हीं ……….. के पास जमा कर जाते।
Answer: सेठ बनारसीदास
(ii) दो वर्ष हुए मैं आपके पास ……… रख गयी थी।
Answer: धरोहर
(iii) ऐसा ……… भी भला कहीं झूठ बोल सकता है।
Answer: धर्मी व्यक्ति
(iv) हम दोनों ……. में फिर माँ-बेटे की तरह मिल जायँगे।
Answer: स्वर्गलोक
(v) ममता की ……. रख लो आखिर तुम भी उसकी माँ हो।
Answer: लाज
गृह-कार्य
1. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिये-
(i) लाज रखना
Answer: लाज रखना – सम्मान बनाए रखना
वाक्य: उसने अपनी लाज रख ली और पूरे गाँव का सम्मान बढ़ाया।
(ii) पत्थर में जोंक लगना
Answer: पत्थर में जोंक लगना – असंभव कार्य होना
वाक्य: उसके स्वभाव को देखते हुए उससे मदद की उम्मीद करना पत्थर में जोंक लगाने जैसा है।
(iii) प्राणों के लाले पड़ना
Answer: प्राणों के लाले पड़ना – बहुत कठिन परिस्थिति का सामना करना
वाक्य: बाढ़ में फँसने के बाद उसके प्राणों के लाले पड़ गए।
(iv) टस-से-मस न होना
Answer: टस-से-मस न होना – किसी स्थिति से हिलना नहीं, अडिग रहना
वाक्य: धरने पर बैठे किसान टस-से-मस नहीं हुए।
(v) खून-पसीना एक करना
Answer: खून-पसीना एक करना – बहुत मेहनत करना
वाक्य: इस इमारत को खड़ा करने के लिए मजदूरों ने खून-पसीना एक कर दिया।
2. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिये-
(क) माया को भारी भूख लगी है।
उत्तर: माया को बहुत भूख लगी है।
(ख) मेरेन बड़े अच्छे वकील हैं।
उत्तर: मेरे बड़े अच्छे वकील हैं।
(ग) अधिकांश विद्यार्थी शान्त रहे ।
उत्तर: अधिकांश विद्यार्थी शांत रहे।
(घ) व्यक्ति और समाज में घोर सम्बन्ध है ।
उत्तर: व्यक्ति और समाज में घनिष्ठ सम्बन्ध है।
3. ‘मेरा प्रदेश’ पर 200 शब्दों का एक निबन्ध लिखिये ।
उत्तर: मेरा प्रदेश
मेरा प्रदेश भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक धरोहर और विविध परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के लोग विभिन्न भाषाओं, धर्मों और रीति-रिवाजों का पालन करते हुए एकता और भाईचारे का प्रतीक हैं। मेरे प्रदेश में हरे-भरे जंगल, लहराते खेत, ऊँचे पहाड़ और शांत नदियाँ हैं, जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाते हैं। यहाँ के मुख्य शहर आधुनिकता के प्रतीक हैं, जबकि गाँवों में आज भी पुरानी परंपराओं का पालन किया जाता है।
कृषि यहाँ की प्रमुख आजीविका है, और विभिन्न फसलों का उत्पादन होता है, जो पूरे देश में निर्यात की जाती हैं। इसके अलावा, हस्तशिल्प और कुटीर उद्योग भी यहाँ के प्रमुख व्यवसायों में शामिल हैं, जो यहाँ की सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखते हैं। मेरे प्रदेश में कई ऐतिहासिक स्थल, मंदिर और किले हैं, जो प्राचीन काल की समृद्ध संस्कृति की झलक दिखाते हैं।
मेरे प्रदेश के लोग मेहनती, सरल और आतिथ्यपूर्ण हैं। यहाँ की त्योहारों की रौनक, मेलों की धूम और पारंपरिक नृत्य-संगीत इसे और भी विशेष बनाते हैं। मुझे गर्व है कि मैं इस प्रदेश का निवासी हूँ, जहाँ की संस्कृति और परंपरा आज भी जीवित हैं।
अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर (extra questions and answers)
1. अन्धी प्रतिदिन कहाँ जाकर खड़ी होती थी?
उत्तर: अन्धी प्रतिदिन मन्दिर के दरवाजे पर जाकर खड़ी होती थी और दर्शन करने वालों से भीख माँगती थी।
18. अन्धी ने सेठ जी की धरोहर को वापस लेने से क्यों मना कर दिया?
उत्तर: अन्धी ने कहा कि उसने वह रुपये मोहन के लिए ही जमा किये थे, इसलिए वह उसे सेठ जी के पास ही छोड़कर चली गयी।
Ron’e Dutta is a journalist, teacher, aspiring novelist, and blogger. He manages Online Free Notes and reads Victorian literature. His favourite book is Wuthering Heights by Emily Bronte and he hopes to travel the world. Get in touch with him by sending him a friend request.
Get notes of other boards, classes, and subjects