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1.वर्ष में केवल एक महीने के लिए पति के घर आने पर सोमा बुआ का जीवन और भी अधिक दूभर क्यों हो जाता था ?
उत्तर: वर्ष में केवल 1 महीने के लिए पति के घर आने पर बुआ का जीवन और भी अधिक दूभर हो जाता था क्योंकि उस समय उनके पति उन्हें कहीं आने जाने के लिए अंकुश लगा देते थे और हर वक्त क्रोध भरी कटु वचन सुनना पड़ता था l
2. किस ललक ने सीमा बुआ को अपने मृत पुत्र की एकमात्र निशानी बेचने को विवश कर दिया?
उत्तर: अपने समधी के विवाह में भाग लेने के ललित ने बुआ को अपने मृत पुत्र की एकमात्र निशानी अंगूठी बेचने के लिए विवश कर दिया l
3. सोमा बुआ हाथों की लाल चूड़ियों को सारी के आंचल में छुपाने का प्रयत्न क्यों कर रहे थे?
उत्तर: सीमा बुआ हाथों की लाल चूड़ियों को तारीख छुपाने का प्रयत्न कर रही थी क्योंकि वह एक परित्यक्ता श्री थे l उस समय लाल चूड़ियों को पहन कर इधर-उधर घूमने मैं उन्हें लज्जा आ रहे थे क्योंकि कोई देख ना ले और देख लेंगे तो लोग क्या सोचेंगे l
4. समधी के यहां विवाह में भाग लेने के लिए सीमा बुआ ने क्या क्या तैयारियां की?
उत्तर: समधी के यहां विवाह में भाग लेने के लिए सीमा बुआ सबसे पहले लाल हरी रंग की चूड़ियां पहने l अपने सफेद सारी को पीले रंग में रंग कर सुखाया तथा शादी में देने के लिए एक सारी, एक सिंदूरदानी, एक ब्लाउज का कपड़ा, एक नारियल और थोड़े से बताशे थाली में सजाएं l
5. समधी की ओर से निमंत्रण ना मिलने पर बुआ के मन पर क्या गुजरी, कल्पना करके लिखिए l
उत्तर: सीमा बुआ को पूर्ण विश्वास था कि उन्हें अपने समधी के लड़की की शादी में जरूर बुलावा आएगा l इसीलिए वह पूरी तरह तैयारियां कर बैठी थी l पर जब उन्हें निमंत्रण ना मिला तो वह बुआ के मन पर बड़ा आघात लगा था l उन्होंने फिर बड़े ही बुझी हुई दिल से सारी चीजें बरी जतन से अपने एकमात्र संदूक में रख दीया और अंगीठी जलाने लगी l
III. 1. “पिछले 20 वर्षों से उनके जीवन की इस एक एकरसता में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं हुआ l”
उत्तर: संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियां हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक भाषा सरिता भाग दो के “अकेली” नामक कहानी से ली गई है l इसकी लेखिका मन्नू भंडारी जी है l
प्रसंग: लेखिका ने यहां सोमा बुआ के एकमात्र पुत्र के निधन के बाद किस प्रकार वह अपना जीवन बिता रही है उसका वर्णन किया है l
व्याख्या: सोमा बुआ के पति घर बार छोड़कर तीर्थ वासी हो गए थे और वर्ष में केवल एक बार एक महीने के लिए घर आते थे l एकमात्र जवान बेटा भी गुजर गया था l सोमा बुआ अकेले ही जीवन यापन करती थी l अकेलेपन के उदासी को वह आस-पास के पड़ोस के कामकाज मैं मदद करके दूर करती थी l जब एक महीने के लिए पति महोदय घर आ जाते तो उनका चेहरा और भी मुरझा जाता थी क्योंकि उनके पति उन्हें कहीं आने जाने के लिए अंकुश लगा देती थी और उन्हें हर वक्त कटु वचन को सहना पढ़ते थे l इस प्रकार पिछले 20 वर्षों से सोमा बुआ अकेलेपन की जिंदगी जी रहे थे l
2. “मैं तो इनसे कहती हूं कि जब पल्ला पकड़ा है तो अंत समय में भी साथ ही रखो, सो तो इनसे होता नहीं l”
उत्तर: संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियां हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक भाषा सरिता भाग 2 के “अकेली” नामक कहानी से ली गई है l इसकी लेखिका मन्नू भंडारी जी है l
प्रसंग: सोमा बुआ के पति जब 1 महीने के लिए आते थे, तब वे उनपर कटु वचनों के बौछार कर देते थे क्योंकि उन्हें सोमा बुआ का कहीं आना जाना नहीं सुहाता था l
व्याख्या: जब सीमा बुआ किशोरीलाल के बेटे के मुंडन से घर आती है तो पतिदेव से कहासुनी हो जाती है l इस पर सोमा बुआ रोने लगे तब राधा समझाती है कि पति जो कुछ बोलता है सुन लिया करो l सोमा बुआ उत्तर देती है कि जब पति है और पल्ला पकड़ा है तो अंत समय तक साथ निभाना चाहिए l यह नहीं कि पति घर बार छोड़ तीर्थ में रहे और सारा धर्म-कर्म लूटे और पत्नी को अकेले छोड़ दे l यह कहा का न्याय है l
3. “मुझे क्या बावली ही समझ रखा है, जो बिना बुलाए चली जाऊंगी l”
उत्तर: संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियां हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक भाषा सरिता भाग 2 के “अकेली” नामक कहानी से ली गई है l की लेखिका मन्नू भंडारी जी है l
प्रसंग: कहानीकार ने यहां सोमा बुआ की अपने संबंधी की लड़की की शादी में भाग लेने की तैयारी के बारे में बताया है l
व्याख्या: सोमा बुआ शादी में जाने के लिए पूरी तैयारियां कर चुकी थी l जितना विवाह का दिन करीब आ रहा था उतना ही उनके निमंत्रण आने की ललक बढ़ती जा रही थी l सोमा बुआ के पति सन्यासी जी महाराज को भय था कि कहीं वह बिन बुलाये विवाह में चली ना जाए l इसीलिए जब उन्होंने सोमा बुआ को चेतावनी दी तब सोमा बुआ ने उन्हें कहा कि वह इतनी बावली नहीं है कि बिन बुलाये विवाह में चली जाए l
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